टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- ज्यादा दिन की बात नहीं है. नीतीश कुमार घूम-घूमकर बीजेपी के खिलाफ बागी दलों को एकजुट करने में जुटे थे. भाजपा का विरोध कर संविधान को किस तरह खतरा भगवा पार्टी पहुंचा रही है. इसे बताने में थकते नहीं थे, उन्ही का कमाल था कि जो ममता औऱ केजरीवाल कांग्रेस के नाम से ही खुन्नस खाते थे. नीतीश बाबू के चलते बीजेपी को सबक सीखने के लिए एकजुट हुए थे.
नीतीश ने जलाई थी इंडिया की मशाल
याद होगा पिछले साल पटना में विपक्ष की बैठक हुई थी. जिसमे कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक के बड़े नेता शिरकत की थी और इंडिया नाम का गठबंधन बनाकर एनडीए से लोहा लेने के लिए मैदान में थी. इंडिया की इंजीनियरिंग नीतीश ने ही की थी, सबकुछ उनके मनमुताबिक ही चल रहा था. मुंबई बैठक तक तो सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था. लेकिन, इसके बाद तो यकायक सबकुछ पलट सा गया. नीतीश बाबू मायूस और बेजार दिख रहे थे. समय-समय पर कांग्रेस के खिलाफ उनकी तल्खी भी उजागर हो रही थी. जिस इंडिया गठबंधन को उसने खड़ा किया और संवरा. उसी पर कांग्रेस सवारी कर हांकना चाह रही थी और तकरीबन काबिज भी हो गयी थी.
कांग्रेस की मनमर्जी तो एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनाव में भी चली, किसी के साथ गठबंधन नहीं किया और खुद अपने आपको तिसमार खान समझी. ओर तो ओर राहुल गांधी की मणिपुर से मुंबई तक भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी गठबंधन के साथी नदारद दिखाई पड़े .
संयोजक नहीं बनाने से भड़के हुए थे नीतीश !
सबसे ज्यादा भड़काने औऱ नीतीश को कचोटने वाली घटना ये रही कि उनके संयोजक का पद नहीं मिलने से अंदर ही अंदर एक गुस्सा पनप रहा था. जो बाद में काफी भड़क गया. क्योंकि उनके संयोजक बनने से ममता ने नाराजगी जताई थी. यही बात नीतीश को नागवार गुजरी और इंडिया को सबक सीखाने का मानों मन बना लिया था. इतना ही नहीं ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खड़गे को इंडिया गठबंधन के पीएम के तौर पर पेश कर दिया. इससे भी नीतीश कुमार तिलमिला गये थे और कांग्रेस को सबक सीखाने की ठान ली थी.
आखिरकार अंदर ही अंदर जो उबाल, बगावत और गुस्सा पल रहा था. नीतीश ने एक झटके में ही सारी कहानी इंडिया गठबंधन की मटियामेट कर डाली . जो कुछ दिन पहले तक एकजुट करने के लिए सबसे चेहरे और सूत्रधार थे . आज उस खेमे से ही हट गये, जिसकी मशाल नीतीश कुमार ने जलायी थी.
इंडिया पर निकाली कड़वाहट
इंडिया से नीतीश की कड़वाहट उनके बयानों से भी दिखता है. जब उन्होंने महगठबंधन से हटकर इस्तीफा सौपा. तो उनका बयान रहा कि राजग को छोड़कर नया गठबंधन बनाया था. लेकिन, इसमे भी स्थितियां ठीक नहीं लगी. राजद के बारे में नीतीश ने साफ किया कि कामकाज में अड़चने पैदा की जा रही थी . इसलिए किनारे हटने का कदम सभी की राय से उठाया.
लोकसभा चुनाव में अब कुछ महीनों का वक्त है और गेम ही इंडिया का पलट गया है. जो गठबंधन के अगुवा था, उनके कन्नी काटने से तगड़ा झटका लगा है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. सवाल ये भी है कि नीतीश की पलटी को जनता बिहार में कैसे लेती है. आगे भाजपा का भी नीतीश को लेकर क्या रुख होगा. ये भी देखना बेहद ही दिलचस्प होगा.
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