पटना(PATNA): बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को सीबीआई का समन के बावजूद भी नीतीश कुमार टस से मस होने को तैयार नहीं है, उन्होंने कहा है कि पहले भी सीबीआई तेजस्वी यादव को समन भेज चुकी है, पूछताछ भी की गई है, यह कोई नई बात नहीं है, उन्होंने साफ कर दिया कि इस पूछताछ का बिहार सरकार की सेहत पर कोई अन्तर पड़ने वाला नहीं है.
यहां बता दें कि पिछली बार जब लैंड फोर जॉब मामले में सीबीआई ने तेजस्वी यादव से पूछताछ की थी, उनकी संपत्तियों का विवरण मांगा था, तब नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए के साथ सरकार बना ली थी.
नीतीश कुमार के सामने धर्म संकट की स्थिति पैदा करने की कोशिश
माना जाता है कि इस बार भी भाजपा की कोशिश सीबीआई और ईडी के बहाने नीतीश कुमार को घेरने की है. भ्रष्टाचार के मामले को उछाल कर नीतीश कुमार के सामने धर्म संकट की स्थिति पैदा करने की है, ताकि अपनी साफ सुधरी छवि को लेकर बेहद सतर्क रहे नीतीश कुमार महागठबंधन का साथ छोड़ कर एक बार फिर से भाजपा के साथ वापस आ जायें.
लेकिन नीतीश कुमार इस बार किसी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं लग रहे हैं, उल्टे उनके द्वारा यह संकेत भी दिया जा रहा है कि यह भ्रष्टाचार का मामला नहीं होकर केन्द्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग का मामला है, भाजपा इन एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्ष को निशाना बना रही है.
कारगार नहीं होने वाला है भाजपा का यह हथकंडा
विश्लषकों का मानना है कि भाजपा के इस हथकंडे का इस बार नीतीश कुमार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है, क्योंकि अब यह आम धारणा बन चुकी है कि भाजपा इन एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्ष को निशाना बना रही है, यही कारण है कि 95 फीसदी मामले में विपक्ष के नेताओं को ही निशाना बनाया जा रहा है, जबकि भष्टाचार की तमाम शिकायतों के बावजूद यदि कोई नेता भाजपा में शामिल हो जाता है, तो उसके खिलाफ सारी जांच बंद कर दी जाती है, अब इन एजेसिंयों की विश्वसनीयता ही खत्म हो चुकी है, यही कारण है कि नीतीश कुमार पर अब इन एंजेसियों की किसी भी कार्रवाई का कोई असर नहीं पड़ रहा है, उल्टे विपक्ष का आकलन यह है कि इन एजेंसियों की कार्रवाई से जनता में एक सहानुभूति ही पैदा होती है. आम जनमानस भी इसे बदले की भ्रष्टाचार का मामला नहीं मानकर बदले की कार्रवाई मानती है.
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