Ranchi-दुनिया की लब्ध प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करने वाली स्नेहा महतो को जमशेदपुर सीट से जेएमएम का उम्मीदवार बनाये जाने की खबर है. जैसे ही यह खबर सामने आयी, सोशल मीडिया पर स्नेहा महतो के नाम की खोज शुरु हो गयी और साथ ही स्नेहा महतो की इंट्री के बाद जमशेदुपर के सियासी समीकरण में क्या बदलाव आयेगा इसका आकलन किया जाने लगा.
इचागढ़ विधायक सवीता महतो की बेटी हैं स्नेहा महतो
यहां बता दें कि स्नेहा महतो झारखंड की सियासत का कद्दावर चेहरा सुधीर महतो की बेटी है. सुधीर महतो की मौत के उनकी पत्नी सवीता महतो को झामुमो ने इचागढ़ में अपना चेहरा बनाया और वह वर्ष 2019 में विधान सभा पहुंचने में सफल रही. इसके पहले सुधीर महतो भी इसी सीट से वर्ष 2005 में विधान सभा पहुंचे थे और मधुकोड़ा सरकार में उपमुख्यमंत्री बने थें. स्नेहा महतो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी मां के साथ इचागढ़ में सक्रिय हैं. स्नेहा महतो ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत सेक्रिड हार्ड कान्वेंट स्कूल, जमशेदुपर के बाद आगे की शिक्षा के लिए माउंट कार्मेल कॉलेज बेगंलरु चली गयी, और आखिरकार लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अपनी शिक्षा पूरी की.
स्नेहा की इंट्री से विद्यूत वरण महतो की चुनौती कितनी मुश्किल?
ध्यान रहे कि इस बार भी भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद विद्यूत वरण महतो पर ही दांव लगाया है. विद्यूत वरण महतो की यह दूसरी पारी है, इसके पहले वर्ष 2014 में भी वह जमशेदपुर में अपना परचम फहरा चुके हैं, हालांकि इस बार भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच से ही नाराजगी की खबर सामने आ रही थी, जिसके बाद सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज थी कि भाजपा इस बार विद्यूत वरण महतो से किनारा कर सकती है. लेकिन भाजपा के रणनीतिकारों ने एक बार फिर से विद्यूत वरण महतो पर ही दांव लगाना बेहतर समझा और इसका कारण विद्यूत वरण का सियासी रिकॉर्ड है. वर्ष 2014 में विद्यूत वरण महतो ने झारखंड विकास मोर्चा के डॉ अजय कुमार को करीबन तीन लाख मतों से शिकस्त दिया था, जबकि वर्ष 2019 में वर्तमान सीएम चंपाई सोरेन को करीबन तीन लाख मतों से पटकनी दी थी. लेकिन इस बार इंडिया गठबंधन ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए किसी कुर्मी चेहरे पर ही दांव लगाना उचित समझा. और इसके बाद विद्यूत वरण महतो की राह मुश्किल में दिखने लगी है.
क्या है सियासी सामाजिक समीकरण
यहां बता दें कि एक आकलन के अनुसार जमशेदपुर सीट पर अनुसूचित जन जाति की आबादी-28 फीसदी, अल्पसंख्यक- फीसदी और इसके साथ ही कुड़मी महतो की आबादी करीबन तीन लाख मानी जाती है. यदि हम वर्तमान सियासी समीकरण की बात करें तो इस लोकसभा के अंतर्गत कुल छह विधान सभा आता है, इसमें बहरागोड़ा विधान सभा पर झामुमो (समीर मोहंती), घाटशीला झामुमो (रामदास सोरेन), पोटका झामुमो (संजीव सरदार), जुगसुलाई झामुमो (मंगल कांलिदी), जमशेदुपर से निर्दलीय सरयू राय, जमशेदपुर पश्चिमी कांग्रेस (बन्ना गुप्ता) का कब्जा है, यानि कुल छह में चार पर झामुमो, एक पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय सरयू राय का कब्जा है, किसी भी विधान सभा में आज के दिन भाजपा की उपस्थिति नहीं है. और इस हालत में झामुमो के द्वारा स्नेहा महतो पर दांव लगाना भाजपा के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है, इसकी एक दूसरी वजह भी है, कुर्मी जाति के द्वारा लम्बे समय से अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग की जाती रही है, लेकिन जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने इसे सार्वजनिक रुप रे खारिज कर चुके हैं, बताया जाता है कि अर्जुन मुंडा के उस बयान के बाद कुर्मी जाति में काफी नाराजगी है, जबकि जमशेदपुर में करीबन तीन लाख कुर्मी जाति की आबादी है. इस हालत में कुर्मी जाति के सामने इस बार बार विकल्प के रुप में स्नेहा महतो का चेहरा होगा. यानि कुर्मी जाति का जो वोट थोक भाव में भाजपा के पास जाता था, इस बार उसमें बड़ी सेंधमारी हो सकती है. इस हालत में यदि इस बार जमशेदुपर में तीर धनुष कमल को छेद जाय तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा.
आप इसे भी पढ़ सकते हैं
LS POLL 2024- पूर्व भाजपा विधायक राज पालिवार पर झामुमो की "कृपा दृष्टि", क्या गोड्डा में खेल बदलने की तैयारी में है महागठबंधन, जानिये इसके मायने
4+