रांची(RANCHI): प्रचंड बहुमत मिलने के बाद अब गुरुवार को हेमंत सोरेन चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले है. इससे पहले हेमंत के मंत्रिमंडल में कौन होगा. इसे लेकर कयास और चर्चा शुरू है. लेकिन कुछ संभावित नाम है जिसपर मुहर लगने की संभावना है. ऐसे में इस खबर में उन संभावित नाम पर चर्चा करेंगे. आखिर क्यों इन नाम के आगे होने की संभवना है. इसके पीछे क्या मजबूत कड़ी है.
सबसे पहले बता दे कि हेमंत 2.0 में किस पार्टी से कितने मंत्री बन सकते है यह बताते है. राज्य में इंडी गठबंधन को जनादेश मिला है और इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे बड़ी पार्टी बनी है. ऐसे में सबसे ज्यादा मंत्री भी झामुमो कोटे से ही होंगे. इसके बाद कांग्रेस और फिर राजद का नंबर है. इस बार लेफ्ट पर भी सभी की नजर है. क्या पहली बार लेफ्ट सरकार में शामिल होगी या अपनी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम करेगी. इस बार पाँच विधायक पर एक मंत्री का फार्मूला तय किया गया है. ऐसे में झामुमो से मुख्यमंत्री के साथ छह मंत्री हो सकते है. इसके बाद कांग्रेस से तीन या चार मंत्री मंडल में जगह दी जा सकती है. राजद से एक मंत्री बन सकते है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा से संभावित नाम की बात करें तो सबसे पहले मधुपुर विधानसभा से विधायक हाफ़िजूल हसन की चर्चा है. हफ़िजूल हसन तत्कालीन सरकार में भी मंत्री है. फिर से झामुमो हसन को जगह दे सकती है.अगर मजबूत कड़ी की बात करें तो हफ़िजूल हसन अंसारी अल्पसंख्यक है और एक अल्पसंख्यक को हेमंत सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है.
इसके अलावा पलामू प्रमंडल से एक को जगह दी जा सकती है.इसमें पलामू के भवनाथपुर सीट से पहली बार चुनाव जीते अनंत प्रताप देव के नाम की संभवना है.इसके पिछले प्रमंडल में झामुमो के मजबूत और एकलौते विधायक है.पिछले सरकार में गढ़वा से चुनाव जीते मिथलेश ठाकुर को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. लेकिन इस बार वह चुनाव हार गए. ऐसे में अनंत देव की किस्मत खुल सकती है.
इसके अलावा कोल्हान से दीपक बिरुआ और रामदास सोरेन को दोबारा से रिपिट किया जा सकता है.रामदास सोरेन अनुभवी और दिग्गज नेता है. चंपाई सोरेन के साथ छोड़ने के बाद हेमंत सोरेन के सबसे भरोसेमंद साथी रामदास ही निकले थे. इन्हे मंत्री मंडल में शामिल किया था. अब फिर से रामदास को मौका दिया जा सकता है. साथ ही दीपक बिरुआ को भी जगह दी जा सकती है.
इसके अलावा एक महिला को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. इसमें जामा विधायक डॉ लुईस मरांडी के नाम की चर्चा चल रही है. लुईस के पास मंत्री का अनुभव भी है. इसके अलावा ईचागढ़ सीट से विधायक सबीता महतो पर भी मंथन किया जा रहा है. दोनों में से किसी एक पर अंतिम मुहर लग सकती है.
अब कांग्रेस कोटे पर नजर डाल लेते है
अगर देखें तो पलामू प्रमंडल में एक विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. इसमें मनिका के रामचन्द्र सिंह की चर्चा है. रामचन्द्र सिंह की बात करें तो यह अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते है. साथ ही सीनियर विधायक में शामिल है. पिछले कार्यकाल के दौरान रामचन्द्र को विधानसभा से उत्कृष्ट विधायक चुना गया था. साथ ही संगठन में इनकी भूमिका बड़ी है. काफी सक्रिय रहते है सभी को साथ लेकर चलने का काम करते है. जिसका नतीजा है कि विधानसभा चुनाव में फिर से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे है.
इनके अलावा अपर जाति से अनूप सिंह या दीपिका पांडे सिंह को भी जगह देने पर चर्चा चल रही है. अनूप सिंह लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचे है. इसके साथ ही संगठन में काफी सक्रिय रहते है. इनके अलावा दीपिका पांडे सिंह है. दीपिका भी दूसरी बार विधानसभा पहुंची है. इनके काम को देखें तो संगठन में यूथ कांग्रेस के समय से खूब सक्रिय भूमिका में दिखती है. इसी का परिणाम है कि पिछले चुनाव में जीत कर विधायक बनी और फिर मंत्री बनाई गई. अब दोबारा से इनके रिपिट होने की संभावना है. ऐसे में दोनों विधायक में से किसे मौका दिया जाता है यह कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व अंतिम फैसला लेगा.
इस बार ओबीसी जाति से आने वाली रामगढ़ विधायक ममता देवी के नाम पर भी चर्चा है. देखें तो ममता देवी 2019 में विधायक बनीं, लेकिन एक मामले में कोर्ट ने सजा सुनाया और फिर उनकी विधायकी चली गई. उपचुनाव हुआ और उपचुनाव में कांग्रेस के हाथ से सीट निकल गई. जिसके बाद दोबारा से 2024 के चुनाव में ममता चुनाव लड़ी तो जनता ने ममता को जीता कर विधानसभा भेजने का काम किया. अब इन्हे बड़ी जिम्मेवारी दी जा सकती है.
इसके अलावा अनुसूचित जनजाति से आने वाले रामेश्वर उरांव और शिल्पी नेहा तिर्की के नाम की चर्चा है. कांग्रेस अलाकामन इन नामों में से किसी एक पर मुहर लगा सकते हैं. अगर रामेश्वर उरांव को उम्र के कारण ड्रॉप किया जाता है तो शिल्पी को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. हालांकि सभी नाम संभावित है. यह दो दिनों में साफ होगा की किसके नाम पर मुहर लगी है.
इसके बाद कांग्रेस की बात करें तो इसका निर्णय केन्द्रीय नेतृत्व को लेना है. संभावित नाम कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भेज दिया गया है. जिसके बाद आलाकमान नाम पर मुहर लगाएगा. लेकिन इतना साफ है कि दलित,आदिवासी और अल्पसंख्यक के साथ सामान्य जाति से आने वाले गणित पर कांग्रेस आलाकमान आगे बढ़ेगा. हालांकि पेंच यहां यह भी है कांग्रेस को मंत्रिमंडल में तीन जगह दी जा रही है. लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने चार की मांग की है.
इसके अलावा राजद से एक मंत्री मण्डल में शामिल होंगे. चर्चा है कि संजय सिंह यादव हुसैनाबाद, संजय प्रसाद यादव गोड्डा या फिर सुरेश पासवान देवघर को मौका दिया जा सकता है. तीन नाम पर चर्चा चल रही है. इसपर अंतिम निर्णय राजद सुप्रीमो लालू यादव को लेना है. अगर देखें तो सुरेश पासवान को विधायक दल का नेता चुना गया है. अब मंत्री मंडल में किसे जगह मिलती है. यह तस्वीर दो दिनों में साफ हो पाएगी.राजद, कांग्रेस, झामुमो के साथ पहली बार संभवना है कि माले इस बार सरकार में शामिल हो सकती है. सिंदरी और नीरसा से लाल झंडा बुलंद हुआ है. ऐसे में संभावना है कि पार्टी इस बार हेमंत मंत्री मंडल में शामिल हो सकती है. अंदर खाने में आलाकमान इसकी चर्चा कर रहा है.
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