टीएनपी डेस्क (Tnp desk):-सोचिए एक शख्स बिना किसी अपराध के आठ सालों तक जेल की सलाखों में रहा . उसने किसी भी तरह का कई जुर्म नही किया था औऱ फर्जी केस में डालकर उसकी जिदगी के आठ साल बर्बाद कर दिए गये. उस शख्स का नाम मंगा सिंह है और एनसीबी की ओर से फर्जी केस उस पर किया गया था. झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई हुई और उसकी बेगुनाही के बाद उसे रिहा कर दिया गया . हाई कोर्ट ने एनसीबी से जेल में रहने की अवधि को देखते हुए मंगा को आठ लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया.
झारखंड हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
मंगा सिंह पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की ओर से फर्जी केस दर्ज किया गया था, जिसके चलते उसने आठ साल जेल में बिताए. झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में इस मामले में सुनवाई हुई. उसके खिलाफ दर्ज मामले को निरस्त करते हुए, तत्काल रिहा करने का आदेश दिया . इसके साथ ही अदालत ने जेल में रहने की अवधि को देखते हुए प्रार्थी को आठ लाख रुपए भुगतान एनसीबी के डीजी को करने का निर्देश दिया.
फर्जी केस हुआ था दर्ज
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने अदालत में जिरह किया, उन्होंने बताया कि एनसीबी के अधिकारियों ने फर्जी तरीके से मंगा सिंह सहित दो के खिलाफ वर्ष 2015 में रांची में एफआईआर दर्ज की थई. एनसीबी के अधिकारियों ने प्रार्थी को छह अक्टूबर 2015 को बिहार के गया जिला के एक ढाबे से पकड़ा था. एनसीबी की टीम उसे रांची लाई और उसके साथ दो खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. गया पुलिस ने हालांकि, इससे संबंधित एक मामले में गया पुलिस ने जांच में पाया कि एनसीबी ने मंगा सिंह के खिलाफ फर्जी केस किया है. वह बिना किसी जुर्म के आठ साल जेल में रहा. फिजुल के केस को देखते हुए इसे निरस्त की जाने की मांग अदालत से की गई थी. बता दें कि प्रार्थी मंगा सिंह की ओर से एनसीबी में केस को निरस्त करने और बिना किसी जुर्म के जेल में रहने पर मुआवजे की मांग की गई थी.
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