टीएनपी डेस्क (TNP DESK): राम मनोहर लोहिया के साथ मिलकर समाजवादी राजनीति की झण्डबरदार रहे शरद यादव का कल निधन हो गया. अपने 51 साल के लंबे राजनीतिक जीवन में शरद यादव सात बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा के सांसद बने. करीबन एक दशक तक उनके द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक पद की जिम्मेवारियों का निर्वाह किया. इसके साथ ही वह केन्द्रीय मंत्री और कई अहम संसदीय समितियो के अध्यक्ष भी रहे.
कभी देश में गैर कांग्रेसी राजनीति का अहम हिस्सा थें शरद
यद्यपि हाल के दिनों में सत्तासीन भाजपा की वैचारिकी के खिलाफ उनकी सक्रियता बढ़ी थी. लेकिन एक वह दौर भी था जब वह कांग्रेस विरोधी राजनीति का अहम हिस्सा माने जाते थें, प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के साथ मिलकर उन्होंने मंडल राजनीति की शुरुआत की थी. वह 90 के दशक में कांग्रेस और भाजपा से अलग रहकर तीसरे मोर्चे का प्रयोगकर्ताओ में भी रहें. मंडल कमिशन का रिपोर्ट को लागू करवाने में भी रामविलास पासवान, लालू यादव के साथ ही शरद यादव की काफी अहम भूमिका रही थी.
पीएम मोदी ने कहा कि उनके साथ हुई बातचीत को संजोकर रखूंगा
कहा जा सकता है कि शरद यादव का देहांत के साथ ही भारतीय राजनीति से एक अहम किरदार का अंत हो गया. उनकी मौत समाजवादी राजनीति के लिए एक बड़ा धक्का है. यही कारण है कि उनकी मौत की खबर सुन कर प्रधानमंत्री मोदी अपने को मर्माहत महसूस कर रहें है, पीएम मोदी ने कहा कि मैं आपके साथ हुई बातचीत को संजोकर रखूंगा.
मध्य प्रदेश में जन्मे शरद के लिए बिहार उनकी कर्मभूमि थी
मध्य प्रदेश के जबलपुर में जन्मे शरद यादव के लिए बिहार उनकी कर्मभूमि थी. बिहार के मधेपुरा से वह चार बाद सांसद भी चुने गये. बिहार की राजनीति में शरद और नीतीश की जोड़ी को काफी हिट माना जाता था. लेकिन नीतीश कुमार से मनमुटाव के बाद उनके द्वारा लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया गया था, यद्धपि हाल के दिनों में लोकतांत्रिक जनता दल का राजद में विलय कर दिया गया था, कुछ दिनों से उनका स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा था. वह कई बीमारियों से जूझ रहे थें. उनकी मौत की खबर सुन कर लालू यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी संवेदना प्रकट की है. कहा जा सकता है कि देश के साथ ही बिहार को भी शरद यादव की कमी खलती रहेगी.
रिपोर्ट: देवेंद्र कुमार, रांची
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