गया(GAYA): बिहार में पूर्ण शराबबंदी की नीति जारी है, बीच-बीच में जहरीली शराब से मौत के बाद शराबबंदी की नीति को वापस लेने की बात भी की जाती है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष के साथ ही अपने ही साथियों के निशाने पर भी रहते हैं. कई बार तो माननीय कोर्ट के द्वारा भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया जाता रहा है.
ताड़ी एक परंपरागत पेय पदार्थ है, इसकी दीवानों की संख्या कम नहीं
यहां बता दें कि इस शराबबंदी में ताड़ी भी शामिल है, सरकार ने इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है, यह वही तार की ताड़ी है, जिसके दीवानों की संख्या भी कुछ कम नहीं है, हालांकि सच्चाई यह भी है कि इसे तुच्छ और घटिया समझने वालों की भी भरमार है, शहरी चकाचौंध ने इस परंपरागात पेय पदार्थ को तुच्छ और हिकारत की नजर से देखा जाने वाला वस्तु बना दिया है.
इसी ताड़ी से बनती है लजीज मिठाइयां और तिलकुट
लेकिन क्या आप इस बात पर विश्वास कर पायेंगे कि जिस ताड़ी को गले में उतार इसके दीवाने अपने को तृप्त समझते थें, वही ताड़ी से स्वादिष्ट और लजीज मिठाइयां भी बनायी जा सकती है. शायद आपके लिए यह विश्वास करना थोड़ा कठिन हो, लेकिन यह एक सच्चाई है.
बोधगया से चंद किलोमीटर पर स्थित है नीमा गांव
बोधगया से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है नीमा गांव, कुछ वर्ष पहले तक यहां के लोगों के लिए ताड़ी मुख्य पेय पदार्थ था, गांव छोड़ शहर में चाकरी करने वाले भी वैशाख महीने का बेसब्री से इंतजार करते थें, दरअसल इसी वैशाख के महीने में ताड़ी का उत्पादन अपने चरम सीमा पर होता है, उमस भरी दिन की शुरुआत तब इसी ताड़ी के साथ होती थी.
लेकिन नीतीश सरकार के द्वारा शराबबंदी की नीति को लागू करते ही ताड़ी उत्पादकों के सामने संकट खड़ा हो गया, उनकी आजीविका संकट में पड़ गयी. रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो गया.
आजीविका की बहनों ने निकाला रास्ता
लेकिन इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता निकाला आजीविका की बहनों ने. उनके द्वारा इस ताड़ी यानी नीरा में (Value Additions) वैल्यू एडिसन का ख्याल आया है, कोशिश जारी रही और आखिरकार आजीविका के बहनों को सफलता मिल ही गयी.
आज आजीविका की बहनों के द्वारा इस नीरा से तिलकूट और तरह तरह की मिठाईयां बनायी जा रही है. और इसकी खपत भी अच्छी है, इसकी वजह है बोधगया, यहां सालों भर देशी-विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है, यही पर्यटक इसके सबसे बड़े उपभोक्ता है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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