कांके गोलीकांड का पर्दाफाश, फिल्मी स्टाईल में रची गयी थी हत्याकांड की साजिश, पूर्व पार्टनर चितरंजन सिंह फरार


रांची(RANCHI)- अरसंडे निवासी अवधेश यादव को ब्लॉक चौक पर दिन दहाड़े गोलियों से भूनने वाला कोई दूसरा नहीं उसका ही पूर्व पार्टनर चितरंजन सिंह था. हालांकि छह-छह गोलियां खाने के बावजूद अवधेश यादव अभी सुरक्षित है, और वह एक-एक कर पुलिस को सारी कहानियां सुना रहा है.
बताया जाता है कि हिनू निवासी चितरंजन सिंह और अशोक यादव दोनों का जमीन कारोबार का संयुक्त धंधा था. दोनों कई दूसरे स्थानों के साथ ही कांके के जगतपुरम में प्लॉटिंग कर जमीन की बिक्री किया करते थें. लेकिन तीन माह पूर्व दोनों के बीच विवाद गहरा गया. विवाद की स्थिति में उसने चितरंजन सिंह से अलग होने का फैसला किया, अलग होने के फैसले के साथ ही अवधेश पर जगतपुरम में काम छोड़ने का दवाब बनाया जाने लगा, लेकिन अवधेश ने काम छोड़ने से साफ इंकार कर दिया, और यही बात चितरंजन सिंह को अखर गयी और वह अवधेश यादव के सफाये का प्लानिंग करने लगा, हालांकि इसकी कुछ कुछ भनक अवधेश यादव को भी थी, लेकिन फिर भी वर्षों की विश्वाश की डोरी अभी पूरी नहीं टूटी थी. इसी बीच इस विवाद का समाधान के लिए चितरंजन ने अवधेश को 14 सितम्बर को अपने घर बुलाया, कहा गया कि दोनों आपस में मिल बैठ कर इसका समाधान कर लेंगे. वर्षों की दोस्ती से बंधा अवधेश ने भी उसकी बात पर विश्वास कर लिया.
चितरंजन की प्लानिंग को भांपने में असफल रहा अवधेश
लेकिन अवधेश यही चूक कर बैठा, दरअसल बैठक के लिए बुलाना चितरंजन की साजिश का एक हिस्सा था, और अवधेश इसको भांपने में असफल रहा. चितरंजन को पता था कि वह कब घर से निकलेगा, उसे रास्ते की भी जानकारी थी, ठीक समय पर अवधेश जैसे ही मीटिंग के लिए निकला, चितरंजन के भेजे शूटर उसके इंतजार में खड़े मिले, सब कुछ पूर्व प्लानिंग का हिस्सा था, एक एक कर छह गोलियां अवधेश के शरीर को भेद चुकी थी. लेकिन छह छह गोलियां खाने के बाद भी अवधेश ने हिम्मत नहीं छोड़ी और ऑपरेशन थियेटर में जाने के पहले चितरंजन की कलई खोल गया. पुलिस को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली, चितरंजन की खोज शुरु हो गयी.
यहां ध्यान रहे कि तीन वर्ष पहले ही अवधेश यादव से उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के नाम पर 20 लाख की रंगदारी की मांग की गयी थी, लेकिन उस मामले में पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ी. बाद में अवधेश ने अपनी सुरक्षा के लिए हथियार का लाइसेंस की भी मांग की थी, लेकिन अवधेश को हथियार का लाइसेंस नहीं मिला.
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