TNPDESK- झारखंड बिहार को सुखाड़ से मुक्त बनाने के लिए नदियों को जोड़ने की दिशा में योजना बनायी जा रही है, कई स्थानों पर इसका काम भी शुरु हो चुका है. दावा किया जा रहा कि यदि बिहार झारखंड की नदियों को एक दूसरे से जोड़ दिया गया तो इन दोनों राज्यों को सुखाड़ से मुक्ति दिलवाना संभव है. इसी सोच के साथ नेशनल वॉटर डेवलपमेंट अथॉरिटी के निर्देश पर एनआईटी पटना ने झारखंड के लिए एक कार्ययोजना तैयार किया गया है, जिसके तहत दक्षिण कोयल बेसिन से सुवर्णरेखा बेसिन तक पानी का अंतर बेसिन स्थानांतरण और दामोदर-बराकर नदी बेसिन से सुवर्णरेखा तक जल का अंतर बेसिन स्थानांतरण की रुप रेखा तैयार गयी है, इसके साथ ही इससे दक्षिण कोयल बेसिन को भी जोड़ने की योजना है.
900 किलोमीटर लिंक चैनल की होगी खुदाई
जबकि बिहार में गंगा, बागमती, घाघरा, गंडक, कोसी, बूढ़ी गंडक, छाड़ी, नून, दाहा नदियों को पांच चैनलों में जोड़े जाने की योजना पर काम हो रहा है. दावा किया जाता है कि इन चैनलों को जोड़ने लिए करीबन 900 किलोमीटर लिंक चैनल की खुदाई करनी होगी, जिससे करीबन 7 लाख हेक्टेयर खेतों में सालों भर सिंचाई की जा सकेगी. जिसके बाद इन खेतों में सालों भर फसले लहलहाती मिलेंगी. और इसका सीधा लाभ यहां के किसानों को मिलेगा, उनकी आय भी बढ़ेगी और बिहार झारखंड से पलायन की रफ्तार पर भी रोक लगेगी.
बिहार के इन जिलों को होगा विशेष लाभ
यदि हम बात बिहार की करें तो इसका सबसे ज्यादा लाभ मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी पश्चिम चंपारण, समस्तीपुर, गोपालगंज, सारण समेत बीस जिलों को मिलेगा. बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा का कहना है कि इन नदियों को जोड़ने से सुखाड़े के साथ ही बाढ़ से भी राहत मिलेगी, और भूजल स्तर में भी सुधार आयेगा.
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