कैमूर(KAIMUR):स्कूल शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, जहां बच्चे अपने जीवन को जीने का सही सलिका और गुण सिखाते हैं. वहीं उन्हें ज्ञान मिलता हैं, जो उनके जीवन में आगे कम आते हैं लेकिन बदलते दौर के साथ स्कूलों की परिभाषा भी बदल चुकी है. बिहार से आए दिन ऐसी खबरें सामने आती हैं. जहां सरकारी स्कूलों में अजीबोगरीब मामले देखने को मिलते हैं.एक ऐसा ही हैरान करनेवाला मामला बिहार के कैमूर जिले से सामने आया है. जहां शिक्षा के मंदिर में खुलेआम हेडमास्टर साहब और शिक्षक आपस में जूता चप्पल चलाते हुए दिख रहे हैं. वहीं अश्लील अभद्र भाषा का भी प्रयोग किया जा रहा है.
क्या सिखेंगे बच्चे
अब आप कल्पना कीजिए कि जब बच्चे ये सब देखेंगे तो उनकी मानसिकता पर क्या प्रभाव पड़ेगा. कहा जाता है कि बच्चे कोरी किताब होते हैं, जैसा देखते है सिख जाते है, चाहे अच्छी हो या बुरी बात हो.इसलिए माता-पिता और शिक्षक बच्चों के सामने सलीके से बात करते हैं और व्यवहार करते हैं,लेकिन जब स्कूल में ही शिक्षक और हेडमास्टर साहिबा नीचता पर उतर आयें, तो फिर आप क्या कहेंगे.
पढ़ें पूरा मामला
पूरा मामला कैमूर जिलें के दुर्गावती प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत छांव पंचायत के प्राथमिक विद्यालय मधुरा बताया जा रहा है.विद्यालय की महिला प्रधानाध्यापिका एवं शिक्षक के बीच आपस में अभद्र भाषा व अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, और जूता,चप्पल चलाने का वीडियों तेजी से वायरल हो रहा है.जिसमे विद्यालय की महिला प्रधानाध्यापिका एवं पुरुष शिक्षक के बीच अभद्र व अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जा रहा है.
पढ़ें मामले पर गांव के मुखिया ने क्या कहा
इस पूरे घटना के मामले पर छांव पंचायत मुखिया प्रतिनिधि गजानंद सिंह यादव ने बताया कि छांव पंचायत के मधुरा प्राथमिक विद्यालय में लगातार शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के बीच तनाव का माहौल बना हुआ है. बार-बार विद्यालय की महिला प्रधानाध्यापिक की शिकायत मिल रही थी, तो हमने वहां पर जांच करने पहुंचा तो आपस में ही प्रधानाध्यापिका एवं शिक्षक में झड़प हो रही थी. एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप महिला प्रधानाध्यापिका एवं पुरुष शिक्षक द्वारा लगाए जा रहे थे.
पढ़ें किस वजह से शुरु हुआ विवाद
वहीं इस पूरें मामले की महिला प्रधानाध्यापिका ने मीडिया को बताया कि इस विद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं सुबह 11:00 के बाद आते हैं. जब मेरे द्वारा संदर्भ में शिक्षक एवं शिक्षिकाओं से कहा गया तो बेवजह हमसे उलझ गए और मुझे इस बात के लिए गाली-गलौज करने की बात करने लगे, जबकि मेरे द्वारा इसकी शिकायत शिक्षा विभाग में की गई है. मामले में शिक्षक ने बताया कि लगातार महिला प्रधानाध्यापिका के द्वारा हमें टॉर्चर किया जाता है,और हमने जब खेलकूद का सामान मांगा तो हमारे जाति सूचक का नाम लेकर अभद्र भाषा बोलने लगी.वहीं प्रधानाध्यापिका के द्वारा बच्चों को भोजन नहीं दिया जाता है. आपको बताये कि लगभग 3 माह से विद्यालय में भोजन बंद है, जबकि हमने इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के पदाधिकारीयों के साथ-साथ छांव पंचायत मुखिया प्रतिनिधि गजानंद सिंह यादव से भी हमने की.
पढ़ें शिक्षा विभाग के पदाधिकारी ने क्या कहा
वहीं विद्यालय के शिक्षक के शिकायत पर जांच करने शिक्षा विभाग के पदाधिकारी ने कहा कि शिक्षा के मंदिर में शिक्षक एवं प्रधानाध्यापिका एक दूसरे लोग पर जूता और चप्पल तानने का वीडियों वायरल हो रहा है.इसकी जितनी भी निंदा की जाए उतनी भी कम पड़ेगी. जबकी विद्यालय में शिक्षक एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे.जबकी ऐसे शिक्षा के मंदिर में बच्चों को कैसे पढाया जाए. मैं जिला पदाधिकारी एवं जिलाशिक्षा पदाधिकारी को सूचना दूंगा और वीडियों भी उनके पास भेजूंगा इस विद्यालय के सभी शिक्षक के साथ प्रधानाध्यापिका का भी यहां से स्थानांतरण किया जाए,ताकि शिक्षा के मंदिर में जबकी शिक्षक एवं प्रधानाध्यापिका विद्यालय के प्रांगण में एक दूसरे के ऊपर जूता और चप्पल तानने है,तो ऐसे में बच्चों के ऊपर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.
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