टीएनपी डेस्क(TNP DESK): अपने बेबाक बोल और बिहारी बाबू के रुप में पूरे देश में चर्चित आज कल टीएमसी सांसद शत्रुधन सिन्हा ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को क्रांतिकारी करार दिया है. लगे हाथ बिहारी बाबू ने यह भी कहा है कि राहुल गांधी की छवि पूरी तरह बदल गयी है, वह अब देश के एक गंभीर राजनेता और युवा पीढ़ी का आइकॉन हैं. देश उनमें अपना अगला पीएम की छवि देख रहा है.
यहां बता दें कि इसके पहले भी बिहारी बाबू क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अभिनेता कमल हसन के साथ लाल किले पर राहुल गांधी के साथ दिखे थें. पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर और पूर्व अधिकारियों के साथ भी उन्हे राहुल गांधी के साथ हरियाणा में मार्च करते देखा गया था.
क्या बदल सकता है बिहारी बाबू का राजनीतिक ठिकाना
तब क्या यह मान लिया जाय कि बिहारी बाबू का मन अब टीएमसी के शामियाने में रम नहीं रहा. क्या वह टीएमसी के साथ जुड़कर कर अपना राजनीतिक भविष्य उज्जवल नहीं देख रहें. क्या उनके राजनीतिक ठिकाने में जल्द ही कोई बदलाव आने वाला है या यह पूरी कसरत मात्र मोदी विरोधी एक व्यापक गठबंधन को साकार करने की है. क्या उनकी कोशिश मात्र इतनी भर है कि किसी प्रकार 2024 के पहले तक विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में एक आर-पार की लड़ाई को तैयार हो जाय.
बिहारी बाबू को कोलकता की नहीं दिल्ली की लड़ाई दिखती है
कहा जा सकता है कि यह दोनों ही दृष्टिकोण अपने-अपने जगह सही है, लेकिन इसमें पेच यह है कि बिहारी बाबू को सिर्फ दिल्ली की राजनीति दिखलाई देती है, लेकिन एक लड़ाई तो कोलकता में भी चल रही है, जहां कांग्रेस की कोशिश एक बार फिर से अपनी पुरानी जमीन वापस पाने की है, और यही ममता दीदी की गले की हड्डी है, साथ ही तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) यह संकेत भी नहीं देना चाहती कि वह राहुल गांधी के नेतृत्व मे 2024 की लड़ाई को तैयार है, क्योंकि खुद ममता दीदी के अन्तर्मन के किसी कोने में पीएम की कुर्सी का सपना दिख रहा है.
बिहारी बाबू के बयान से तृणमूल ने बनायी दूरी
यही कारण है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के द्वारा बिहारी बाबू के बयान से अपने आप को दूर रखा गया है, तृणमूल कांग्रेस भारत जोड़े यात्रा की प्रशंसा से दूर रहना चाहती है, यही कारण है कि ममता दीदी के द्वारा श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा का समापन समारोह से अपने को दूर रखा था.
अपनी पार्टी को तो टूट से बचाये
कांग्रेस टीएमसी के शांतनु ने कहा, "कांग्रेस को पहले पार्टी को एकजुट करना चाहिए और इसे टूटने से बचाना चाहिए. सभी भाजपा विरोधी दलों को अपने अपने गढ़ों में पूरे दमखम से लड़ना होगा, लड़ाई जीतनी होगी, और उसके बाद ही पीएम पद पर फैसला होगा. साफ है कि बिहारी बाबू की राय चाहे जो भी हो लेकिन ममता दीदी को राहुल गांधी की साथ अभी मंजूर नहीं है, उनके अनुसार हर किसी को अभी अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी, उसके बाद ही पीएम की कुर्सी का फैसला होगा.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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