International women's day 2025: हक और सम्मान के लिए महिलाओं ने जब उठाई थी आवाज, महिला दिवस पर जानिए इस खास दिन का इतिहास

टीएनपी डेस्क: यूं तो नारी सम्मान के लिए हर दिन ही खास है. लेकिन 8 मार्च को महिलाओं के लिए एक खास दिन है. क्योंकि, आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. यह दिन खासकर महिलाओं के सम्मान के लिए बनाया गया है. अपनी एक अलग पहचान बनाने व अपने हक की लड़ाई के लिए नारी द्वारा किये गए संघर्ष और उनकी सफलता के उत्सव को आज पूरा विश्व मना रहा है. अपने हक, अधिकार और सम्मान के लिए नारी ने काफी संघर्ष किए हैं. जिसका ही परिणाम है की आज घर की चार दीवारी छोड़ महिलाएं बाहर पुरुषों की बराबरी कर रही हैं. साथ ही अपनी एक नई पहचान बना रही हैं.
महिलाओं के इन्हीं संघर्ष, उनकी कामयाबी को आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मनाया जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं की अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत कब और कहां हुई थी? तो चलिए जानते हैं आज इसके इतिहास के बारे में.
कैसे हुई इसकी शुरुआत
घर की चार दीवारी छोड़ महिलाएं आज बाहर हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं और अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं. घर की रसोई संभालने से लेकर महिलाएं आज ऑफिस संभाल रही हैं और तो और ट्रेन चलाने से लेकर प्लेन तक उड़ा रही हैं. इतना ही नहीं, खेल के क्षेत्र में भी पुरुषों की बराबरी कर महिलाएं देश का नाम रोशन कर रही हैं. आज महिलाओं को सम्मान के साथ-साथ उनका अधिकार भी मिल रहा है. लेकिन अपना अधिकार लेना महिलाओं के लिए इतना आसान नहीं था.
पहले के समय में महिलाओं का जीवन घर की चार दीवारी में बीतता था. शिक्षा का अधिकार तो दूर महिलाओं को घर के चौखट से भी बाहर निकलने की आजादी नहीं थी. उस समय केवल पुरुषों को ही सारे अधिकार प्राप्त थे. लेकिन आखिर ये सब कब तक चलता. धीरे-धीरे अपने अधिकार और सम्मान को लेकर महिलाएं आवाज उठाने लगी. सबसे पहले 1908 में न्यूयॉर्क में हजारों महिलाओं ने अपने हक और अधिकार के लिए एक विशाल प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में उन्होंने बाहर काम करने, वोट देने, अच्छी सैलरी जैसे कई अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठाई. जिस दिन महिलाओं ने अपने हक के लिए रैली निकाली थी उस दिन 8 मार्च था.
पहली बार यहां मनाया गया महिला दिवस
महिलाओं के इस प्रदर्शन ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. जिसका परिणाम ये हुआ की 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन शहर में महिलाओं के सम्मान के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया गया. जिसमें जर्मनी की समाजवादी नेता क्लारा जेटकिन ने महिलाओं के अधिकारों और समानता को समर्पित करने के लिए साल में एक दिन महिलाओं के लिए विशेष रखने का प्रस्ताव रखा. जिसके बाद नेता के इस प्रस्ताव का कई देशों ने समर्थन किया. अंत में 1911 में सबसे पहले डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया और जर्मनी में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया.
इसलिए तय की गई 8 मार्च की तारीख
वहीं, 8 मार्च को ही इस दिवस मानने के पीछे का कारण यह है की इसी दिन अमेरिका सहित यूरोप की महिलाओं ने भी अपने हक के लिए सड़क पर रैली निकाली थी. इसके अलावा 1917 की क्रांति के दौरान भी युद्ध के खिलाफ और महिलाओं के बेहतर अधिकारों के लिए बड़ी संख्या में महिलाओं द्वारा प्रदर्शन किया गया था. जिसके बाद सरकार को महिलाओं के सामने झुकना पड़ा और महिलाओं को मतदान करने का अधिकार दिया गया. 8 मार्च को ही महिलाओं द्वारा प्रदर्शन करने के कारण ही 1977 में आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मानने का ऐलान कर दिया. जिसके बाद से ही पूरे विश्व भर में 8 मार्च को महिलाओं के हक, अधिकार और उनके सम्मान के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा.
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