Patna-मनोज झा के बयान को लेकर मचे घमासान में जदयू प्रवक्त नीरज कुमार ने अब आरएसएस की इंट्री करवा दी है. उन्होंने कहा है कि सौ वर्षों के इतिहास में जिस आरएसएस के द्वारा एक दलित को सरसंघचालक नहीं बनाया गया, उनके लोगों के द्वारा एक सुनियोजित तरीके से मनोज झा की वैचारिकी पर सवाल खड़ा किया जा रहा है. उन्हे जान से मारने की धमकी दी जा रही है, जीभ खींचने का फरमान जारी किया जा रहा है.
ठाकुर नहीं लड़ाई ठाकुरत्व से
नीरज कुमार ने मनोज झा के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यहां सवाल ठाकुर का नहीं है, ठाकुरत्व है, उस प्रवृति का है, जो दमनकारी है, मनोज झा ने खुद अपने अंदर के ठाकुरत्व को भी मिटाने की बात कही है, बात जब अंदर के ठाकुर की हो रही है, तब इसे बाहर वाले ठाकुर से जोड़ने की साजिश क्यों की जा रही है. क्या यह सत्य नहीं है सौ वर्षों के इतिहास में आरएसएस ने एक भी दलित को अपना सरसंघचालक नहीं बनाया. जब तक समाज की यह स्थिति रहेगी तब तक ‘ठाकुर का कुंआ’ की प्रांसगिकता बनी रहेगी. और इसको लेकर सवाल खड़े किये जाते रहेंगे.
कब से लागू हो रहा है महिला आरक्षण इसका जवाब दे भाजपा
नीरज कुमार ने ठाकुर विवाद को खड़ा कर मुद्दों से भटकाने की साजिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुद्दा तो यह होना चाहिए था कि महिला आरक्षण लागू कब से होने जा रहा है, यह कौन सा विशेष सत्र था, जिसमें विधेयक तो पास कर दिया गया कि लेकिन यह लागू कब होगा, आज कोई इस पर चर्चा करने को तैयार नहीं है. महिला आरक्षण की हालत तो सत्यनारायण भगवान की कथा के समान हो गयी, जिस प्रकार से सत्यनारायण भगवान की कथा में अंत तक यह पता नहीं लगता कि कथा क्या है, पूरी ‘कथा’ कथा नहीं सुनने से होने वाले दुष्परिणामों का बखान सुनने में गुजर जाता है, लेकिन अंत तक वह कथा सामने नहीं आती, जिसको सुनकर सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है. ठीक उसी प्रकार महिला आरक्षण तो मिल गया, लेकिन आज भाजपा यह बताने को तैयार नहीं है कि यह लागू कब से होने जा रहा है.
महिला आरक्षण के लिए बिहार मॉडल सबसे उपयुक्त
भाजपा को इस बात का जवाब देना चाहिए कि वह महिला आरक्षण कब से लागू करने जा रही है, यदि भाजपा वास्तव में महिलाओं की हितैषी है तो उसे पूरे देश में बिहार मॉडल को लागू करने की पहल करने चाहिए. यह बिहार मॉडल है, जहां महिलाओं को 50 फीसदी का आरक्षण दिया गया है, और यह उस 33 फीसदी का वादा कर रहे हैं, जो अगले एक दशक तक लागू नहीं होने जा रहा.
ध्यान रहे कि इस मामले में खुद लालू यादव ने भी पार्टी का स्टैंड साफ करते हुए आनन्द मोहन और चेतन्य आनन्द को कम अक्ल बताया है. इसके साथ ही लालू यादव ने मनोज झा को विद्वान और चिंतक की उपाधि से भी सुशोभित किया है.
ध्यान रहे कि मनोज झा के द्वारा ओमप्रकाश वाल्मिकी की कविता ‘ठाकुर का कुंआ’ पर विवाद अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है, मनोज झा को मिलने वाली धमकियों का सिलसिला अभी भी जारी है, कभी जीभ खींचने की धमकी दी जा रही है, तो कभी छाती तोड़ने की, कभी इस बात का दावा किया जा रहा है कि काश! मैं संसद में रहता तो भरी महफिल में औकात बता देता.
हालत यह है कि एक तरफ भाजपा विधायक नीरज बबलू जीभ काटने का एलान कर रहे हैं तो उनकी ही पार्टी के एक और विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह गर्दन धड़ से जुदा करने की धमकी दे रहे हैं. और यह भी नहीं है कि यह धमकी सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के द्वारा दी जा रही है, खुद जदयू-राजद नेताओं के द्वारा भी मनोज झा को हर दिन ललकारा जा रहा है, जान से मारने की धमकी दी जा रही है.
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