टीएनपी डेस्क(TNP DESK) संसद का बजट सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया. बजट सत्र दो भाग में विभक्त था. विपक्ष के द्वारा अडाणी प्रकरण पर ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (जेपीसी) के गठन की मांग को लेकर सदन के अंदर और बाहर हंगामा होता रहा. उधर सत्तापक्ष भी राहुल गांधी द्वारा विदेशी धरती पर लोकतंत्र पर खतरे संबंधी बयान पर माफी मांगने की मांग को लेकर हंगामा करता रहा.
हम आपको बताते हैं कि संसद का बजट सत्र किस तरह का रहा और इसकी उपयोगिता कितनी रही. उल्लेखनीय है कि संसद का बजट सत्र दो हिस्सों में बटा रहता है. दो हिस्सों के बीच मोटे तौर पर एक महीने का अंतराल रहता है. गुरुवार को संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई. संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन मेघवाल के अनुसार हंगामे के कारण सदन का बहुमूल्य समय बेकार गया फिर भी सरकार का अपना बिजनेस पूरा कर लिया गया. लोकसभा की उत्पादकता 34% रही वहीं राज्यसभा की उत्पादकता मात्र 24% रही. इसका साफ अर्थ है कि भारत सरकार ने आवश्यक विधाई कार्य निष्पादित करवा लिए. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन का कामकाज संतोषजनक तरीके से नहीं हो सका. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भी कहा कि कार्यवाही में बाधा डालना अच्छी बात नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह संसद का अंतिम बजट सत्र था.
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