रांची (RANCHI): मोबाइल असेंबलिंग के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस क्षेत्र में भारत का विस्तार इस बात का संकेत है कि वैश्विक स्तर पर एशियाई देशों में तकनीकी रूप से भारत अपना सिक्का जमाता जा रहा. अब तक चीन इसमे अव्वल था परंतु अब भारत मे कई विदेशी मोबाईल कंपनियां है जो अपने प्रोडक्ट की असेंबलिंग के लिए भारत के बिजनेस क्लाइमेट को पसंद कर रही है. बता दें भारत तेजी से मोबाइल बनाने के क्षेत्र में पैर बढ़ा रहा है. एप्पल के अलावा सैमसंग मोबाइल भारत में फिलहाल बन रहे हैं. भारत एक बिजनेस हब के रूप में विकसित हो रहा है. भारत के इसी फेवरेबल बिजनेस क्लाइमेट को देख अब गूगल भी यहां पैर रखने जा रही है. यदि गूगल अपने प्रोडक्ट की असेंबलिंग के लिए भारत का रुख करती है तो भारत के लिए ये एक सुखद अवसर होगा रोजगार के सृजन का, तो वहीं गूगल को चीन वियतनाम के अलावा एशिया मे भारत के रूप में एक मजबूत पड़ाव मिलेगा. मालूम हो कि तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल इंक के मुख्य कार्याधिकारी सुंदर पिचाई 19 दिसंबर को भारत आ रहे हैं. इस दौरान वह वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे, जिसमें पिक्सल ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले मोबाइल फोन की देश में असेंबलिंग करने के मुद्दे पर भी चर्चा होगी.
जानिए साइबर सुरक्षा सहित किन मुद्दों पर होगी बातचीत
पिचाई के भारत दौरे के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘हम कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उनसे मिलेंगे. हम भारत में गूगल के हैंडसेट विनिर्माण करने, ऐप डेवलपर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने, साइबर सुरक्षा तथा भारतीय भाषाओं के उपयोग आदि पर चर्चा करेंगे. ’ बता दें गूगल चीन के अलावे ताइवान में भी असेंबलिंग यूनिट लगा रही है. भारत में भी इस यूनिट को लगाने की सोच विकसित हो सकती है. वैसे भारत धीरे-धीरे मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित हो हो रहा है. यहां की निर्मित उत्पाद विदेश में एक्सपोर्ट हो रहे हैं. भारत सरकार इस बात को लेकर काफी इच्छुक है कि सुंदर पिचाई से उसकी वार्ता लाभप्रद होगी संचार मंत्री अश्विनी में वैष्णव ने कहा है कि भारत गूगल को तमाम लॉजिस्टिक सपोर्ट उपलब्ध कराएगा. गूगल दक्षिण चीन में फॉक्सकॉन की इकाई में बनाए जा रहे अपने नवीनतम पिक्सल 7 मोबाइल फोन के आधे उत्पादन को वियतनाम ले जाने की योजना बना रही है. ऐसे में वैष्णव के साथ पिचाई की बातचीत अहम हो सकती है क्योंकि सरकार वैश्विक कंपनियों को दुनिया भर के बाजारों के लिए अपने उत्पादन के कुछ हिस्से को ‘चीन प्लस वन स्ट्रैटजी के तहत’ भारत लाने पर जोर दे रही है.
जानिए और किन मोबाइल का विनिर्माण केंद्र है भारत
अगर यह बातचीत सफल रही तो गूगल भारत को निर्यात केंद्रित विनिर्माण केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने वाली तीसरी मोबाइल उपकरण विनिर्माता होगी. इस क्षेत्र में अन्य बड़ी कंपनियों में ऐपल इंक शामिल है, जिसने इस साल अप्रैल-दिसंबर के बीच 20,000 करोड़ रुपये के आईफोन का निर्यात किया है जबकि सैमसंग इंडिया भी देश में विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है. ऐपल और सैमसंग उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत प्रोत्साहन पाने के लिए पात्र हैं. सैमसंग ने हाल ही में चीनी कंपनियों को भी कड़ी चुनौती दी है जिन्होंने घरेलू बाजार पर एक तरह से कब्जा जमा लिया है और अब अपने निर्यात को बढ़ावा दे रही है. भारत सरकार इस संबंध में गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई से बात करेगी. सुंदर पिचाई इसी महीने भारत आ रहे हैं. गूगल के पिक्चर फोन की मैन्युफैक्चरिंग यहां होने की पूरी संभावना है.
गूगल के अधिकारियों का पहले भी हो चुका है भारत दौरा जानिए कितने निवेश की है योजना
पिचाई की भारत यात्रा से पहले गूगल के कुछ शीर्ष अधिकारी भारत के दौरे पर आए थे और सरकारी अधिकारियों से भी मुलाकात की थी. इन अधिकारियों में लोक नीति के उपाध्यक्ष विल्सन व्हाइट और गूगल इंक में नीति के वैश्विक प्रमुख करण भाटिया शामिल थे. वर्ष 2020 में गूगल ने भारत में 10 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान किया था. पिचाई का भारत दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब सीसीआई ने गूगल पर प्लेस्टोर की नीति के जरिये अपने वर्चस्व के कथित दुरुपयोग के लिए 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. गूगल प्लेस्टोर ऐंड्रॉयड पारिस्थितिकी तंत्र को लक्षित करने वाले ऐप डेवलपरों द्वारा उपयोग किया जाने वाला मुख्य वितरण चैनल है. सीसीआई के आदेश में कहा गया है कि प्लेस्टोर की पहुंच के लिए गूगल प्ले बिलिंग प्रणाली का अनिवार्य उपयोग का नियम ऐप डेवलपरों पर अनुचित शर्त थोपने जैसा है. सीसीआई ने इससे पहले विभिन्न क्षेत्रों में वर्चस्व का दुरुपयोग करने के मामले में भी गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. उम्मीद है कि कंपनी जल्द ही सीसीआई के आदेश को सक्षम प्राधिकरण में चुनौती दे सकती है.
मोबाइल के क्षेत्र में गूगल की कम हिस्सेदारी का होगा फायदा ?
मोबाइल उपकरण के क्षेत्र में गूगल की हिस्सेदारी काफी कम है और यह वैश्विक स्मार्ट फोन बाजार की शीर्ष पांच कंपनियों के आस-पास भी नहीं है. विशेषज्ञों के विभिन्न अनुमानों के अनुसार कंपनी ने छह साल के दौरान दुनिया भर में 3 करोड़ से भी कम मोबाइल फोन की बिक्री की है. उत्तर अमेरिका के मोबाइल हैंडसेट बाजार में 2022 की दूसरी तिमाही में इसकी हिस्सेदारी केवल 2 फीसदी थी. पिचाई सरकार के साथ बातचीत के दौरान अपनी प्लेस्टोर नीति के संबंध में वर्चस्व का दुरुपयोग करने के मामले में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा लगाए गए विभिन्न जुर्माने के मुद्दे को भी उठा सकते हैं. माना जाता है कि इस बात को लेकर चिंता जताई गई थी कि सीसीआई के आदेश से गंभीर सुरक्षा मुद्दे पैदा हो सकते हैं.
जियो के साथ भी है गूगल की हिस्सेदारी
हालांकि गूगल ने जियो प्लेटफॉर्म्स में 4.5 अरब डॉलर के निवेश से 7.73 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है. इसके अलावा उसने रिलायंस जियो के साथ किफायती 4जी स्मार्टफोन बनाने के लिए गठजोड़ भी किया है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में इस हैंडसेट को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली. इसी तरह का करार 5जी फोन बनाने के लिए भी किया गया है, जिसे जल्द उतारा जा सकता है. वहीं रिलायंस जियो ने अक्टूबर से 5जी सेवाएं शुरू कर दी हैं.
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