टीएनपी डेस्क(TNP DESK): राम भक्तों के लिए 28 अप्रैल को एक बड़ी खुशखबरी मिली. जिसमें यूपी सरकार के वित्त और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने देश के लोगों को ट्वीट कर ऐसी बात बताई की खुशी से लोग झूम उठे. मंत्री सुरेश खन्ना ने अपने ट्वीटर हेंडल से बरसो से इंतजार कर रहे श्रीराम के भक्तों को तृप्त कर दिया. और ट्वीट कर राम मंदिर के रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तय तिथि का ऐलान किया. और लिखा कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी.
रामभक्तों के लिए खुशखबरी
राममंदिर निर्माण समिति की ओर से दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को शुरू हुई थी. जिसमें लिये फैसले के बाद यूपी के मंत्री सुरेश खन्ना का ट्वीट सामने आया. आपको बता दें कि अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए करोड़ो भक्त टकटकी लगाकर इंतजार कर रहे भक्तों के लिए अच्छी खबर है. जिसमे श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के तारीख की घोषणा की है. 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा गर्भगृह में की जायेगी. इसके साथ ही रामलला की नई प्रतिमाओं के साथ दो पुरानी मुर्तियों स्थापित करने के बारे में विचार किया जा रहा है.
22 जनवरी 2024 को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
आपको बताये कि 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में देश भर से भक्त जुटेंगे. पूरे विधि विधान और पूजा- पाठ कर रामलला को उनके जन्मस्थली पर स्थापित किया जायेगा. प्राण-प्रतिष्ठा के बाद भव्य राम मंदिर का द्वार सभी भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा. जिसके बाद सभी लोग अपने प्यारे रामलला का दिदार कर सकेंगे.
सूर्य की किरणें करेंगी रामलला का अभिषेक
वहीं मिली जानकारी के मुताबिक गर्भ गृह इस ढंग से बनाया जा रहा है कि राम नवमी के दिन यानी श्रीराम भगवान के जन्मदिन पर सूर्य की किरणों से रामलला का अभिषेक होगा. पांच मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर रहेंगी. जिसे सूर्य तिलक कहा जाता है. वहीं प्राण-प्रतिष्ठा की तारीख के ऐलान के बाद बड़ी तेजी से मंदिर के गर्भगृह के निर्माण कार्य को पूरा किया जा रहा है. जो लगभग सितंबर महीने तक पूरा कर लिया जायेगा. तो वहीं अक्टूबर तक मंदिर का प्रथम तल्ला बन जाएगा.
काफी भव्य है रामलला का मंदिर
आपको बताये कि अयोध्या का भव्य राम मंदिर आस्था के साथ बनावट में काफी विशेष है. ये मंदिर 235 फीट चौड़ा, 360 फीट लंबा और 161 फीट ऊंचा बना है. जिसको चंद्रकांत सोमपुरा और उनके दो बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा ने आकार दिया है. राम मंदिर को 'नागरा' शैली की वास्तुकला में बनाया गया है. 'नागरा' शैली भारत में मंदिरों के वास्तुकला के प्रकार में शामिल है.
कई सालों तक रामजन्म भूमी पर छिड़ा रहा विवाद
आपको बताये कि भले ही राम भक्तों को ये बड़ी खुशखबरी आज मिल रही है. लेकिन आज से कई सालों पहले रामजन्म भूमी पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कराने के लिए ना जाने कितनी ही मुश्किलों से गुजरना पड़ा.
18 हजार करोड़ अनुमानित राशि से मंदिर का निर्माण
आपको बता दें कि श्रीराम मंदिर का निर्माण 18 हजार करोड़ अनुमानित राशि खर्च की गई है. ये मंदिर शुरु से ही विवादों में घिरा रहा है. इसकी भूमी को लेकर हिन्दु और मुस्लिम समुदाय की ओर से एक तरफ जहां हिन्दुओं ने अपने आराध्य श्रीराम भगवान की जन्मस्थान होने का दावा कर रहे थे. तो वहीं दुसरी तरफ मुस्लिम समुदाय को लोग बाबरी मस्जिद होने का दावा कर रहे थे. कई सालों तक इसपर विवाद मुकदमा और राजनीति चलती रही. वहीं हिन्दुओं की ओर से दलील दी गई कि 14वीं शताब्दी के बाद मुगलों का अधिकार हो गया था. जिसके बाद और 1527-28 में राम मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनाई गई.
9 नवंबर 2019 को राम भक्तों के हित में कोर्ट ने सुनाया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट में कई सालों तक केस चलने के बाद 5 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से 9 नवंबर 2019 को राम भक्तों के हित में सुनाते हुए उस विवादित स्थान पर राम मंदिर का अंश बताते हुए फैसला सुनाया. कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को 3 महीने के अंदर राम मंदिर बनाने के ट्रस्ट और ट्रस्टी बोर्ड बनाने का आदेश जारी किया. जिसके बाद साल 2020 में 5 अगस्त को मंदिर निर्माण का काम को फिर से शुरू किया गया.
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