पटना(PATNA): वाराणसी से अपनी यात्रा की शुरुआत कर 51 दिनों में 3200 किलोमीटर की लंबी दूरी तय असम का डिब्रूगढ़ की यात्रा पर निकला देश का पहला हाई लग्जरी क्रूज गंगा विलास का मात्र तीन दिनों की सफर के बाद ही छपरा के पास गंगा में फंसने की खबर है. बताया जा रहा है कि जारी शिड्यूल के अनुसार सैलानियों को छपरा से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डोरीगंज बाजार के पास चिरांद के पुरातात्विक अवशेषों का दौरा करना था. लेकिन गंगा नदी में पानी का उथला होने कारण क्रूज आगे की यात्रा नहीं कर पा रहा है.
कहा जा सकता है कि इस तरह हाई प्रोफाइल तरीके से शुरु की गई इस गंगा विलास यात्रा पर यह ग्रहण है.
विशेषज्ञों ने यात्रा की तैयारी पर उठाये सवाल
इसके साथ ही अब तमाम एक्सपर्ट यह सवाल भी उठा रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी योजना बनाते वक्त गंगा नदी में पानी की उपलब्धता का आकलन क्यों नहीं किया, किस किस शहरों के आसपास गंगा की गहराई का आकलन क्यों नहीं किया गया. इस बात का आकलन क्यों नहीं किया गया कि यदि नदी का उथलापन के कारण यदि क्रूज फंसता है तो उसे बाहर निकालने की रणनीति क्या होगी.
2020 में ही होनी थी शुरुआत
यहां बता दें कि इसकी शुरुआत तो वर्ष 2020 में होनी थी, लेकिन कोविड की भयावहता के यह सफर अब तक बाधित रहा, लेकिन जब अब इसकी शुरुआत कर दी गयी है, अब बार फिर से इसके लिए बूरी खबर आयी है. यहां यह भी बता दें कि भारत में निर्मित इस क्रूज की कुल लम्बाई 32 मीटर जबकि चौड़ाई 12 मीटर की है. हर साइट पर करीबन 380 वर्ग फीट की जगह है. साथ ही क्रूज पर तीन डेक और 18 सुइट्स है. जबकि सैलानियों से बनारस से डिब्रूगढ़ तक की यात्रा के लिए प्रति यात्री खर्च 13 लाख रुपये लिये गये हैं, जबकि कोलकता से बनारस के 12 दिनों का यात्रा के लिए कुल पैकेज 4 लाख 37 हजार रुपये है. चार दिन के इनक्रेडिबल बनारस पैकेज की कीमत 1 लाख 12 हजार रुपये है.
गंगा विलास से गंगा किनारे बसने वालों के जीवन में बदलाव के दावे थे
कहा जा सकता है कि यह क्रूज आम लोगों के नहीं होकर देशी विदेशी पर्यटकों को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है. खुद प्रधानमंत्री ने इसके उद्धाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इससे गंगा किनारे रहने वाले का जीवन में बदलाव आयेगा, उनके सामने रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार , रांची
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