टीएनपी डेस्क(TNP DESK): जब पूरी दुनिया में 2023 में नौकरियों पर संकट की भविष्यवाणी की जा रही है. इस बात की चेतावनी दी जा रही है कि आने वाले दिन हमारे लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं. अमेजन, स्नैपचैट, फेसबुक, ट्वीटर, माईक्रोसॉफ्ट और दूसरे कंपनियों में छंटनी का दौर चल रहा है, 2023 के शुरुआती 15 दिनों में ही 91 आईटी कंपनियों के द्वारा करीबन 24 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है. यह स्थिति अभी और भी बदतर होने की आंशका जतायी जा रही है. भारत में भी स्टार्टअप कंपनियों के द्वारा छंटनी की जा रही है. दावा किया जा रहा है कि भारत में हर पांच पेशेवर में से चार के द्वारा नई नौकरियों की तलाश की जा रही है.
तब क्या माना जाय कि क्या वाकई वर्ष 2023 में स्थिति चिंताजनक होने वाली है. क्या हमारे युवाओं के और भी बुरे दिन उनका इंतजार कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 71 हजार युवाओं को सौंपा नियुक्ति पत्र
लेकिन इस बीच कुछ राहत भरी खबर आयी है, प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा, पीएम मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करीबन 71 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपा है. यह नियुक्ति पत्र 10 लाख कर्मियों के लिए भर्ती अभियान ‘रोजगार मेला’ के तहत दिया जा रहा है. इन युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए उन्होंने कहा है कि रोजगार मेला हमारे सुशासन की पहचान है. वादों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता सबूत है. इन नियुक्ति पत्र सौंपे गये युवाओं को देश भर के विभिन्न सरकारी विभागों में कनिष्ठ अभियंता, लोको-पायलट, तकनीशियन, निरीक्षक, उप निरीक्षक, कांस्टेोबल, आशुलिपिक और कनिष्ठू लेखाकार, ग्रामीण डाक सेवक, आयकर निरीक्षक, अध्या्पक, नर्स, डॉक्टशर और सुरक्षा अधिकारी आदि पदों पर नियुक्त किया जायेगा. इसके पहले भी इस योजना के तहत 71 हजार कर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया था.
क्या रघुराम राजन जिस संकट की ओर से इशारा कर रहे हैं, वह महज एक राजनीतिक बयानबाजी है
तब क्या यह माना जाय कि प्रधानमंत्री के इस पहल से युवाओं की बेरोजगारी का समाधान होने ही वाला है. क्या वाकई उनके लिए वर्ष 2023 में कोई संकट नहीं रहने वाला है. क्या अच्छे दिन उनके जीवन में आ चुके हैं. क्या रघुराम राजन जिस संकट की ओर से इशारा कर रहे हैं, वह महज एक राजनीतिक बयानवाजी है. नहीं आंकड़ें इसकी गवाही नहीं देते.
आंकड़ों के अनुसार कोरोना के पहली लहर में 1.45 करोड़, दूसरी लहर में 52 लाख और तीसरी लहर में 18 लाख लोगों की नौकरी गई
जुलाई 2020 से जून 2021 के बीच में किये गये एक सर्वे के अनुसार शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 3.3 प्रतिशत पाई गई. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के डेटाबेस पर आधारित सेंटर फॉर इकनॉमिक डाटा एंड एनालिसिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत की बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.11 प्रतिशत हो गई थी. सेंटर के अनुसार 2019 में बेरोजगारी दर 5.27 प्रतिशत थी. खुद भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2020 में महामारी की पहली लहर में 1.45 करोड़ लोगों की नौकरी गई, दूसरी लहर में 52 लाख लोगों की और तीसरी लहर में 18 लाख लोगों की नौकरी गई. कहने का मतलब है कि 71 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र उंट के मुंह में जीरा का फोरन है, देश में बेरोजगारी का आलम भयावह है, यही कारण है कि भाजपा के दवारा चुनाव प्रचार के दौरान 2 करोड़ नौकरियां प्रतिवर्ष देने की बात कही गई थी, जो अब सिमट कर 10 लाख पर आ गयी है. इस बीच टेक्नो कंपनियों के दवारा जारी छंटनी से स्थिति और भी भयावह होने वाली है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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