टीएनपी डेस्क(TNP DESK): रूस को चिढ़ा कर फिनलैंड नाटो (NATO) सैन्य संगठन में शामिल हो गया है.यह एक बड़ा दांव माना जा रहा है. इसे रूस के खिलाफ अमेरिका का एक बड़ा ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. इससे रूस की भवें तन गई हैं. आने वाले समय में इसका प्रभाव देखा जा सकेगा.
नाटो के सदस्य संख्या की संख्या बढ़कर 31 हो गई है. यह सैन्य संगठन रूस के खिलाफ हमेशा उसके दुश्मन देशों के साथ खड़ा रहा है. यूक्रेन के साथ रूस के युद्ध में भी नाटो संगठन के कई देशों ने यूक्रेन को सामरिक और आर्थिक मदद दिए हैं.
तुर्किए ने सबसे अंत दी सहमति
हम आपको बताना चाहेंगे कि फिनलैंड लगभग 13 सौ किलोमीटर लंबी सीमा को रूस के साथ साझा करता है. बावजूद इसके वाह अमेरिका की धाक वाले सैन्य संगठन नाटो के कुनबे में शामिल होना पसंद किया. हम आपको बता दें कि नाटो में एंट्री के लिए तुर्किए ने सबसे अंत में सहमति दी उसके बाद फिनलैंड के नाटो में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया. सभी देशों की सहमति के बाद ही फिनलैंड शामिल हुआ और इस प्रक्रिया में लगभग 1 साल का समय लग गया.
नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने फिनलैंड के नाटो समूह में शामिल होने को एक बड़ा कदम बताया. मंगलवार को फिनलैंड औपचारिक रूप से नाटो का सदस्य बन गया.
NATO के बारे में भी जानिए
नाटो का पूरा नाम नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन है.यह एक सैन्य और राजनीतिक गठबंधन है. यूरोप और उत्तरी अमेरिकी देशों का यह संगठन काफी प्रभावी माना जाता है. इसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 में हुई थी. इसका हेड क्वार्टर बेल्जियम का ब्रुसेल्स है. इसकी स्थापना के समय अमेरिका समेत 12 देश सदस्य थे. वर्तमान में 30 सदस्य देश हैं जिनमें से 28 यूरोपीय और दो उत्तर अमेरिकी देश है. फिनलैंड के शामिल होने से इसके संख्या 31 हो गई है.
इस संगठन का सबसे बड़ा दायित्व नाटो देशों की संप्रभुता और उसकी आबादी की रक्षा करना है. इसके सदस्य देशों पर किसी प्रकार का बाहरी हमला सभी देशों पर हमला माना जाता है. यूक्रेन के साथ रूस का जो युद्ध चल रहा है इसके पीछे भी नाटो एक बड़ा कारण रहा है.1952 में नाटो से जुड़ा तुर्किश एकमात्र मुस्लिम राष्ट्र है.
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