टीएनपी डेस्क (Tnp desk):- झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए आगामी लोकसभा चुनाव से पहले ईडी का समन सबसे बड़ी चुनौती बन गया है. जिसकी बाधा पार करना मानो मुख्यमंत्र के लिए मुश्किल सरीखा हो गया है. दरअसल, लगातार सात समन को दरकिनार करने के बाद एकबार फिर आठवां समन सीएम को भेजा गया. इससे एकबार फिर तरह-तरह की खबरें फिंजा में तैरने लगी है. ये चर्चा और सुगबुगाहट तेज है कि क्या मुख्यमंत्री अगले एक हफ्तें में ईडी के दिए पत्र का जवाब लेकर जांच एजेंसी के दफ्तर आय़ेंगे ? इस पत्र में एक बात को लेकर भी सवाल पूछा गया है कि आखिर पिछले समन में क्यों नहीं आए.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आठवां समन
मालूम हो कि सातवें समन में ईडी ने उनसे पूछताछ के लिए जगह और दिन खुद बताने के लिए कही थी. लेकिन, वो पेश नहीं हुए थे, बल्कि उन्होंने पत्र के जरिए जवाब ईडी को भेजा था. इसके बाद इस साल की पहली कैबिनेट में एक प्रस्ताव पारित किया था. जिसमे कोई भी पदाधिकारी किसी भी बाहरी जांच एजेंसी के समन व बुलावे पर सीधे नहीं जा सकते थे. पहले उन्हें विभाग के अध्यक्ष के माध्यम से कैबिनेट को जानकारी देनी होगी . इसके बाद विभाग तय करेगा कि आखिर क्या करना है.
इस प्रस्ताव के बाद क्या मुख्यमंत्री इस प्रक्रिया से गुजरेंगे या फिर उनका रुख कुछ दूसरा होगा. क्योंकि, सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक उर्फ पिंटू, साहेबगंज के उपायुक्त औऱ दूसरे अधिकारियों को भी ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था. तब कैबिनेट सचिव वंदना दाडेल ने पत्र लिखकर ईडी से पूछा था कि आखिर इन्हें क्यों बुलाया गया और इस पर अपनी स्थिति को साफ करें.
जमीन घोटाले में पूछताछ
विपक्ष लगतार हेमंत सोरेन पर ईडी के समन में हाजिर नहीं होने पर आलोचना कर रहा है. मालूम हो कि प्रवर्तन निदेशालय जमीन घोटाले में मुख्यमंत्री से पूछताछ करना चाहती है. चर्चा बार-बार निकलती है कि सीएम सोरेन की गिरफ्तारी ईडी कर सकती है. माना जा रहा है कि इसी डर के चलते नववर्ष की पहली तारीख को गांडेय सीट से जेएमएम विधायक सरफराज अहमद ने इस्तीफा दिया. ताकि, किसी भी तरह की गड़बड़ी पर सीएम हेमंत की वाइफ कल्पना सोरेन को राज्य की बागडोर सौंपी जाए.
झारखंड के नये साल के जश्न के दौरान काफी उथल-पुथल थी. आनन-फानन में विधायक दल की बैठक बुलायी गई, जिसमे सभी ने सीएम सोरेन के साथ आगे बढ़ने का संकल्प दोहराया.
कुछ दिन सन्नाटे के बाद फिर तूफान
हालांकि, कुछ दिन की शांति और सन्नाटे के बाद लगता है कि ईडी का तूफान फिर आ गया है . जिसका इम्तहान पास करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले भी कानूनी तौर पर कई जुगत लगा चुके . लेकिन सफलता नहीं मिली. अब कैबिनेट में पास हुआ प्रस्ताव शायद उनकी कुछ मदद करें. खैर इन सब चिजों से हटकर लोगों की दिलचस्पी इसी में बनीं हुई है कि. आखिर इस आठवें समन को मुख्यमत्री सोरेन कैसे संभालते हैं और आगे जांच एजेंसी का क्या रुख होगा
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