रांची(RANCHI): झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से ईडी ने 17 नवंबर को पूछताछ की. ये पूछताछ करीब दस घंटे तक चली. बता दें कि सीएम हेमंत ईडी कार्यालय दोपहर 11:30 बजे पहुंचे थे और करीब रात नौ बजे कार्यालय से बाहर निकले. इतनी लंबी चली पूछताछ में ईडी ने सीएम हेमंत से कई सवाल किए, जिसका हेमंत ने जवाब दिया. हालांकि, सूत्रों की मानें तो हेमंत के जवाब से ईडी संतुष्ट नहीं है. ऐसे चर्चाएं चल रही है ईडी को हेमंत सोरेन को फिर पूछताछ के लिए बुला सकती है.
जवाब से संतुष्ट नहीं ईडी
बता दें कि सुबह से ही खबर चल रही थी कि ईडी के पास लंबी सवालों की लिस्ट तैयार है. हालांकि, पहले दिन सभी सवाल के जवाब ईडी को नहीं मिला. वहीं, जिन सवालों के जवाब हेमंत ने ईडी को दिए उससे भी अधिकारी संतुष्ट नहीं दिखे. सूत्रों की मानें तो ईडी अधिकारियों के पास अभी भी कई और सवाल हैं जिसके जवाब सीएम हेमंत को देने होंगे.
जेएमएम कार्यकर्ताओं में काफी उबाल!
दरअसल, 17 नवंबर को हेमंत सोरेन ईडी कार्यलय पहुंचे थे उससे पहले ही उनके हजारों कार्यकर्ता सीएम हाउस से लेकर मोरहाबादी मैदान तक पहुंचे हुए थें. ईडी और केंद्र सरकार के विरोध में कार्यकर्ता लगातार नारेबाजी कर रहे थे. भारी संख्या में कार्यकर्ता होने की वजह से और झड़प जैसे माहौल ना बने इसको लेकर राजधानी रांची के हिनू चौक से ईडी कार्यलय तक धारा 144 लगा दिया गया था.
सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम
राजधानी रांची में सुरक्षा के मद्देनजर भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की गई थी. ताकि किसी तरह की अनहोनी ना हो जाए. पूरे रांची में पुलिसबल की तैनाती की गई थी. जगह-जगह पर बैरिकेडिंग की गई थी. हालांकि, प्रशासन की समझदारी और सतर्कता की वजह से कहीं झड़प और हंगामे की खबर नहीं मिली. लेकिन पूरे दिन सड़क पर कार्यकर्ता टिके रहें.
इसलिए लगातार दूसरे दिन नहीं बुलाया गया सीएम को !
सूत्रों की मानें तो ईडी की पूछताछ फिलहाल पूरी नहीं हुई है लेकिन कार्यकर्ताओं में उबाल की वजह से लगातार दूसरे दिन सीएम हेमंत को नहीं बुलाया गया. दरअसल, लगातार बुलाने पर कार्यकर्ता कहीं तोड़-फोड़ ना करने लगे इसको देखते हुए हो सकता है कि सीएम को फिर दोबारा बुलाने से पहले कुछ दिनों का ब्रेक लिया जाए. ताकि माहौल शामत हो सके.
कार्यकर्ताओं को सीएम ने किया संबोधित
CM हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में विपक्ष पर हमलावर दिखे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सभी झारखंडी को जिम्मेवारी लेना होगा. नहीं तो भाजपा गुजरात और अन्य जगहों से प्रत्याशी लाकर यहां से चुनाव लड़ायेगा. चाहे वह लोकसभा हो या विधानसभा सभी जगहों पर बस आदिवासी मूलवासी ही दिखना चाहिए. उन्होंने कहा कि यही हमारी एकजुटता राज्य के विकास और राज्य को बचा सकता है. विपक्ष ने सोचा कि आदिवासी बोका होता है इन्हें डरा दो कोर्ट कचहरी दौड़ा दो यह शांत हो जाएंगे. वहीं, इसके बाद हेमंत ने सभी कार्यकर्ताओं को अपने-अपने घर जाने का अनुरोध किया लेकिन अंत में ये भी कहा कि फिर जब जरुरत पड़ेगी तो चिट्टी की तरह पहुंच जायेगा. ऐसे में ये प्रतीत होता है कि हेमंत सोरेन को भी पता है कि ईडी उन्हें पूछताछ के लिए दोबारा बुला सकती है.
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