पटना(PATNA): क्या बहुचर्चित हत्याकांड आइएएस जी कृष्णैया (DM G. Krishnaiah मामले में 28 वर्षों से जेल में बंद और सजायाफ्ता पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई होने वाली है. क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूर्व सांसद आनन्द मोहन की रिहाई के लिए पैरवी कर रहे हैं. यह सारे सवाल इस लिए उठ रहें कि इसकी घोषणा खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा एक सार्वजनिक सभा के दौरान की गयी है.
दरअसल सीएम नीतीश आज स्वाभिमान दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थें, इसी दौरान आनन्द मोहन के कुछ समर्थकों के द्वारा उनकी रिहाई की आवाज लगायी गयी. जिसके जवाब में सीएम नीतीश ने भीड़ की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि “जाइये, उनकी पत्नी से पूछिये, आनन्द मोहन की रिहाई के लिए हम कितना प्रयासरत है. हम तो खुद चाहते हैं कि उनकी जल्द से जल्द रिहाई हो जाय, आप लोग शांत हो जाइये, नहीं तो इसका दूसरा अर्थ भी निकाला जा सकता है,
राजपूत वोट पर नीतीश कुमार की नजर तो नहीं
यहां बता दें कि आनन्द मोहन राजपूतों के बड़े नेता माने जाते हैं, आनन्द मोहन के बहाने नीतीश कुमार की नजर राजपूत मतदाताओं पर है. फिलहाल में आनन्द मोहन के पुत्र चेतन आनन्द राजद के विधायक है. अभी हाल ही में बेटी सुरभि की शादी के अवसर पर आनन्द मोहन पेरोल पर बाहर आये थें. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही तेजस्वी यादव भी इस शादी में शामिल हुए थें.
क्या है जी. कृष्णैया हत्याकांड
जी. कृष्णैया की निर्मम हत्या 5 दिसम्बर 1994 को नेशनल हाईवे-28 पर कर दी गयी थी, बताया जाता कि वह पटना से एक बैठक में शामिल होकर गोपलगंज लौट रहे थें. एक दिन पहले ही गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी, नेशनल हाईवे-28 पर इसका विरोध प्रर्दशन किया जा रहा था, हजारों का जनसैलाब था, इस जन सैलाब के बीच जी. कृष्णैया की गाड़ी गुजरती रही थी, कि अचानक से उन्हे गाड़ी से खींच कर हत्या कर दी गयी. बताया जाता है कि छोटन शुक्ला के एक भाई ने कनपटी में गोली मार कर उनकी हत्या की थी.
2007 में सुनाई गयी थी फांसी की सजा
जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या मामले में पटना की निचली अदालत ने पूर्व सांसद आनंद मोहन को 2007 में फांसी की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही पूर्व मंत्री अखलाक अहमद और अरुण कमार को भी मौत की सजा सुनाई गई थी. लेकिन बाद में पटना हाईकोर्ट इनकी सजा को उम्र कैद में बदल दिया था. आनंद मोहन फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गये, लेकिन अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को बहाल रखा. दूसरे आरोपी तो बरी हो गये, लेकिन आनंद मोहन की सजा बरकरार रखी गयी.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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