टीएनपी डेस्क(TNP DESK):- जिंदगी एक इम्तहान है, जहां खुशियां, गम, और मुसिबतों का एक लंबा सफर है. इसके समाधान के लिए पैसा सबकुछ तो नहीं , लेकिन बहुत कुछ तो जरुर है. यानि, पैसों की जरुरत जिंदगी के हर मोड़ में मददगार साबित होती है. मुसिबतें बोल कर नहीं आति, बल्कि अचानक पहाड़ की तरह खड़ा होकर आपको सताती है. जिससे ल़ड़ने के लिए जेब टटोलना प़ड़ता, यानि पॉकेट में पैसा मददगार साबित होता है. उदाहरण के तौर पर नौकरी चले जाने पर, इलाज कराने वक्त, बेवक्त किसी दुर्घटना होने पर या किसी ओर तरह के वित्तिय संकट पर हमे पैसे की सख्त अवश्यकता होती है. लिहाजा , ऐसे अनचाहे खर्चे से निपटने के लिए हमे एक इमरजेंसी फंड जरुर बना लेना चाहिए . जो मुसिबत के वक्त आपका भरोसमंद साथी बनकर आपकी मदद करें और आपकी चिंता दूर कर दे.
इमरजेंसी फंड क्या होता है?
अगर आप नौकरी पेशा वाले इंसान है,तो 12 महीने की तनख्वाह के बराबर इमरजेंसी फंड बना सकते हैं. इसमे आपके तमाम खर्चे शामिल होने चाहिए, जिसमे ईएमआई, बच्चों की फी, दवाईयां, घर के खर्च भी होंगे. इससे आपको कम से कम एक साल तो जाहिर तौर पर टेंशन नहीं होगी.
वही अगर नौकरी नहीं करते हैं, अपना कारोबार करते हैं, तो भी कम से कम 12 महीने के खर्च के बराबर एक फंड बना ही लेना चाहिए. इसमे समझने वाली बात ये है कि आपको पैसे की जरुरत कभी भी पड़ सकती है. लिहाजा, आपको पैसा वहां नहीं रखना है. जहां आप निकाल सके. जैसे किसी प्रॉपटी में निवेश,पीपीएफ,ईपीएफ, एनएससी, इश्यूरेंस ,क्योंकि, आप यहां पैसा कभी भी नहीं निकाल पायेंगे .
इक्वीटी म्यूचूअल फंड में भी पैसा नहीं रखना चाहिए, क्योकि इसमें उतार –चढ़ाव होते है. अगर जरुरत के वक्त पैसे चाहिए , तो अगर ये नीचे होगा तो आपको हानि में पैसा निकालना पड़ेगा.
सवाल है कि इमरजेंसी फंड के लिए कहा पैसा डालना चाहिए.
सेविंग बैंक अकाउंट- आज सभी के पास लगभग सेविंग अकाउंट हैं ही. इमरजेंसी फंड बनाने के लिए ये अच्छा और आसान विकल्प हैं. आप अपने बैंक खाते में ही पैसे को रखे . इसमे सबसे अच्छी चिज ये है कि आप कभी भी पैसा निकाल सकते हैं. एटीएम के जरिए या फिर बैंक में जाकर भी पैसा मिल जाता है. इसमे सालाना 4 प्रतिशत आमूमन बैंक ब्याज देता है. कुछ बैंक तो 5 से 6 प्रतिशत भी ब्याज ऑफर करते हैं. इसमे सबसे खास बात ये भी है कि दस हजार के ब्याज पर आपको कोई टैक्स भी नहीं देना पड़ता है.
बैंक फिक्सड डिपाजिट – बैंक फिक्सड डिपजिट भी एक अच्छा साधन इमरजेंसी फंड के लिए बन सकता है. जरुरत पड़ने पर आप फिकस्ड डिपाजिट तोड़ कर पैसा निकाल सकते हैं. आजकल नेट बैकिंग के जरिए भी आप अपना फिक्सड डिपाजिट तोड़ सकते हैं. इसमे सबसे खास बात ये होती है कि सेविग अकाउंट के ब्याज की तुलना में इसमे में ज्याद ब्याज मिलता है. हालांकि, वक्त से पहले इसे तोड़ने पर थोड़ी पेनाल्टी लगती है.
लिक्विंड म्यूचूअल फंड- यहां इक्विटी म्यूचूअल फंड से बिल्कुल अलग होता है. इसमे ज्यादा रिस्क नहीं होता, लेकिन फिक्सड डिपॉजिट की तुलना में थोड़ा जोखिम होता है . वैसे इमरजेंसी फंड बनाने के लिए यह एक अच्छा साधन है . वैसे इसमे ब्याज की दर कोई तय नहीं होती. लेकिन, इसमे पैसा भी आपको ज्यादा मिल जाता है, हालांकि, इसमे कोई गांरटी फिक्स य सेविंग डिपॉजिट की तरह नहीं होती है. इसे तुड़वाने में कोई पेनाल्टी भी नहीं लगती है. वैसे यह एक अच्छा विकल्प इमरजेंसी फंड बनाने के लिए है.
नकद कैश – पैसा कहा जमा करे या निवेश करें, यह बहुत लोगों को झंझट लगता है. लेकिन , अगर आपको कुछ भी समझ में नहीं आए तो कुछ पैसा कैश रख सकते हैं. लेकिन, इसमे आपको ब्याज नहीं मिलेगा. लिहाजा बैंक के सेविंग एकाउंट में ही पैसा रखना चाहिए. हां ये सही है कि थोड़े बहुत कैश भी रखना समझदारी है.
ऐसे भी बना सकते हैं इमरजेंसी फंड
मान लीजिए आपने एक साल के लिए 10 लाख रुपए का इमरजेंसी फंड बनाया है. तो 40 प्रतिशत बैंक फिक्स डिपॉजिट 40 प्रतिशत लिक्विड म्यूचूअल फंड, 10 – 10 प्रतिशत सेविंग अकाउंट और कैश अपने घर में रख ले. इससे आपको किस वक्त किस तरह की जरुरत पैसे की पड़ेगी. उसके मुताबिक पैसा निकाल सकते हैं.
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