टीएनपी डेस्क(TNP DESK): आम बजट पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसे गरीबों की जेब काटने वाला बताया है. उन्होंने कहा है कि सरकार की नीति गरीबों की जेब काटकर “मनी बैग्स’ को देने की है, यह बजट राज्य के आदिवासी-मूलवासी, दलित और पिछड़ों की उम्मीदों के विपरीत है. यह राज्य के युवाओं के सपनों और आकांक्षाओं को प्रतिबिम्वित नहीं करता. झारखंड को नई रेलवे लाइनों या ट्रेनों के संचालन के बढ़े हुए दायरे से कोई लाभ नहीं हुआ, जबकि रेल को सबसे अधिक लाभ झारखंड से हो रहा है.
उन्होंने कहा कि यह बजट गरीब किसान और मजदूर विरोधी भी है. बजट में किसानों का आय बढ़ाने की कहीं कोई चर्चा नहीं हैं, एक तरफ प्रधानमंत्री किसानों की आय दुगनी करने की बात करते हैं, दूसरी ओर बजट में इसकी कोई रुपरेखा ही नहीं जाती. स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार को लेकर भी सरकार की कोई योजना नहीं है.
स्वास्थ्य सेवा में बजट की कटौती घातक
हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई उजागर हो गयी थी, आशा का जा रही थी कि इस बार के बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम किया जायेगा, उसका आवंटन बढ़ेगा, लेकिन यहां तो उसमें में भी कटौती की गयी. रोजगार, मंहगाई आदि विषयों पर बजट की चुप्पी चिंताजनक है.
मनरेगा के आवंटन में 21.66 फीसदी की कमी
हेमंत सोरेन ने कहा कि केन्द्र की सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए आवंटन में 21.66 प्रतिशत की कमी की है, सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए योजना के लिए 60000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष के 73000 करोड़ रुपये के बजटीय अनुमान से कम है.
सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को कमजोर करने की कोशिश- अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज
विकास अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने भी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को कमजोर करने के लिए केंद्र की आलोचना की है. उन्होंने कहा, “बजट फिर से मनरेगा, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, बाल पोषण योजनाओं और मातृत्व लाभ जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को कमजोर कर रहा है. इन सभी योजनाओं के आवंटन में वास्तविक रूप से गिरावट आई है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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