Ranchi- हेमंत सरकार के द्वारा एक बार फिर से मॉब लींचिंग बिल लाने की तैयारियों पर पूर्व सीएम बाबूलाल ने कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन में लव जिहाद पर कानून लाने की हिम्मत नहीं है. क्योंकि लव जिहाद पर बिल लाते ही उनका पूरा वोट बैंक विखर जायेगा. उनके वोटर नाराज हो जायेंगे. सिर्फ अपने वोट बैंक को साधने के चक्कर मे इस बिल को लाया जा रहा है. जबकि इसे राजभवन पहले ही लौटा चुकी है. बावजूद इसके इस बिल के प्रति उनकी व्याकुलता खत्म नहीं हो रही.
अब तक मॉब लींचिंग में दर्जनों लोगों को गंवानी पड़ी है अपनी जिंदगी
ध्यान रहे कि झारखंड में भीड़ के हाथों दर्जनों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, इसमें सबसे बड़ा हिस्सा समाज के वंचित समुदाय का है, अधिकांश मामलों में मरने वाले दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. मिथुन खरवार, तबरेज अंसारी, संजू प्रधान, जय मुर्मू, शमीम अंसारी, इमाम अंसारी ये कुछ चुनिंदा नाम हैं, ये कोई दुर्दांत अपराधी नहीं थें, समाज के सबसे कमजोर तबके से इनका नाता था, दो जुन की रोटी का जुगाड़ ही इनके जीवन का ध्येय था, लेकिन ये सभी भीड़ की उस मानसिकता का शिकार हो गयें, जिनका विश्वास “जस्टिस ऑन” स्पॉट में है. अलग-अलग समय में अलग-अलग भीड़ के हाथों मारे गये, इनके परिजन आज भी कानून और न्याय प्रणाली से इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं. इनकी तो मौत हो गयी, लेकिन इनके परिजन आज इंसाफ की लड़ाई में तिल तिल कर मर रहे हैं.
इसी मानसूत्र सत्र में विधेयक लाने की तैयारी में है हेमंत सरकार
भीड़ के द्वारा बरती जानी वाली इस अमानुषिक व्यवहार के खिलाफ हेमंत सरकार के द्वारा आज से 18 महीने पहले मॉब लिंचिंग विधेयक लाया गया था. लेकिन उसकी कई बिन्दुओं से महामहिम रमेश बैस को गहरी आपत्ति थी, उनके द्वारा विधेयक में कई संशोधनों का सुझाव देते हुए बिल को राज्य सरकार को वापस कर दिया गया था. उनकी मुख्य आपत्ति इस बात को लेकर थी कि विधेयक के अंग्रेजी संस्करण के धारा दो के उपखंड (1) के उपखंड 12 में गवाह संरक्षण योजना का जिक्र है, लेकिन हिंदी संस्करण में यह हिस्सा गायब है.
हिंसा/हत्या की रोकथाम विधेयक-2023
अब हेमंत सरकार एक बार फिर से राजभवन के द्वारा सुझाये गये संशोधन के साथ इस बिल को लाने जा रही है, बताया जा रहा है कि इसी मानसून सत्र में इस बिल को भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा/हत्या की रोकथाम विधेयक-2023 के नाम से लाया जा सकता है. सरकार यह मानती है कि किसी भी उन्मादी भीड़ के द्वारा कानून हाथ में लेकर आरोपी की हत्या करना या उसका शारीरिक नुकसान पहुंचाना एक गंभीर अपराध है और इस मानसिकता पर रोक लगाने के लिए लोगों में कानून का भय जरुरी है.
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