टीएनपी डेस्क(TNP DESK); भारत में वैसे तो कई सरकारी और कॉरपोरेट्स दफ्तरों में 5 दिन का वर्किंग डे 1 सप्ताह में चालू है. यानी 1 सप्ताह में 5 दिन काम करिए और 2 दिन आराम करिए. इस पॉलिसी के तहत बहुत सारे प्राइवेट सेक्टर के दफ्तरों में वर्क इन आवर को परिभाषित किया गया है. इधर ब्रिटेन में एक सर्वे कराया गया है. जिसमें यह कहा गया है कि सप्ताह में पांच दिन के बजाय 4 दिन काम लिया जाना चाहिए और 3 दिन छुट्टी दी जानी चाहिए. इससे काम करने वालों की वर्किंग क्वालिटी पर अच्छा असर पड़ेगा और उनके जीवन स्तर और अच्छे होंगे.
डॉक्टरों ने क्या दिया सुझाव
एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 61 संगठनों में इस संबंध में फीडबैक लिया गया तो 56 संगठनों ने इसके पक्ष में सकारात्मक रिस्पांस दिया है. 1 सप्ताह में 4 दिन का कार्य दिवस लोगों को अच्छा लग रहा है. इसका एक अच्छा परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि लोग ना तो ज्यादा छुट्टी मांग रहे हैं और ना ही अनुपस्थित हो रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि 4 दिन के कार्य दिवस में वर्किंग आवर अगर बहुत अधिक बढ़ाया जाता है तो फिर इसका बहुत अच्छा असर नहीं होगा परंतु एक तार्किक वर्किंग आवर बढ़ाने से इसका फायदा होगा. इससे काम करने वालों के स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर पड़ेगा. अब यह संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में ब्रिटेन में 4 दिन का वर्किंग वीक होगा.
क्या झारखंड राज्य मुख्यालय में 4 डेज वर्किंग पॉलिसी लागू हो सकती है
भारत में भी केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों में सप्ताह में 5 दिन का वर्किंग डे लागू है. इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया तो कई राज्यों ने भी अपने मुख्यालय में 5 डेज वर्किंग इन ए वीक पॉलिसी लागू कर दी. केंद्र सरकार के दफ्तरों में यही लागू है. झारखंड में भी मुख्यालय मैप 5 डेज वर्किंग वीक पॉलिसी लागू है, परंतु जिला मुख्यालयों में 6 डेज वर्किंग पॉलिसी बनी हुई है. अब सवाल यह उठता है कि क्या झारखंड में राज्य मुख्यालय में 4 डेज वर्किंग पॉलिसी लागू हो सकती है. प्रबुद्ध जनों का कहना है कि ब्रिटेन में यह इसलिए संभव है कि वहां सार्वजनिक छुट्टियां बहुत कम होती है लेकिन भारत या झारखंड जैसे राज्य में यह पॉलिसी उपयोगी नहीं हो सकती क्योंकि यहां सार्वजनिक छुट्टियां बहुत होती हैं. पर्व, त्यौहार, जयंती जैसे मौके पर बहुत सारी छुट्टियां मिलती रहती हैं.
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