हाय रे सोना झारखंड! आज भी सड़क नहीं पहुंची गाँव, गर्भवती महिला को 1 किलो मीटर तक खाट पर लेकर चलने के दौरान चली गई जच्चा-बच्चा दोनों की जान


गुमला (GUMLA): गुमला जिले के घाघरा प्रखंड अंतर्गत सुदूरवर्ती दीरगांव पंचायत के झलकापाट गांव से एक बार फिर बुनियादी सुविधाओं की कमी की तस्वीर सामने आई है. सड़क नहीं होने के कारण गर्भवती महिला को परिजनों को झिलगी (कंधे पर ढोने वाली लकड़ी की खाट) में उठाकर पैदल ले जाना पड़ा. रविवार को दिन के करीब 11 बजे परिजनों ने इस घटना की जानकारी दी.
झलकापाट गांव की रहने वाली गर्भवती महिला सुकरी कुमारी को प्रसव पीड़ा होने पर पति जगरनाथ कोरवा और अन्य परिजन झिलगी में उठाकर करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर काड़ासिल्ली गांव तक लेकर पहुंचे. इसके बाद वहां से ममता वाहन एंबुलेंस के माध्यम से महिला को घाघरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया.
ग्रामीणों ने बताया कि झलकापाट गांव में आज तक सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. गांव का इलाका पूरी तरह पठारी और दुर्गम है, जिससे एंबुलेंस या अन्य वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाते. बरसात के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं. ऐसे में बीमार लोगों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए ले जाना परिजनों के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है.
इस मामले में भी परिजनों ने जान जोखिम में डालकर गर्भवती महिला को कंधे पर उठाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया. बताया गया कि काड़ासिल्ली गांव तक ममता वाहन चालक को भी काफी जोखिम उठाकर वाहन लेकर पहुंचना पड़ा.
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के करीब 78 साल बाद भी झलकापाट गांव सड़क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है. सड़क नहीं होने के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी आवश्यक सुविधाएं भी गांव तक नहीं पहुंच पा रही हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि झलकापाट गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए जल्द से जल्द सड़क निर्माण कराया जाए, ताकि भविष्य में किसी मरीज या गर्भवती महिला को इस तरह की परेशानी न झेलनी पड़े.
घाघरा प्रखंड मुख्यालय से यह क्षेत्र लगभग 30 किलोमीटर दूर है, लेकिन विकास के मामले में यह दूरी कहीं ज्यादा दिखाई देती है. यह घटना एक बार फिर सरकारी योजनाओं और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को उजागर करती है.
रिपोर्ट: सुशील सिंह
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