अंतर्राष्ट्रीय बूकर पुरस्कार से सम्मानित हुई उपन्यासकार गीतांजलिश्री, पहली बार मिला किसी भारतीय को यह पुरस्कार


टीएनपी डेस्क(TNP DESK): लेखिका गीतांजलि श्री ने अपने उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' के लिए गुरुवार को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया. इसके साथ ही 'टॉम्ब ऑफ सैंड' बूकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली पुस्तक बन गई है.
गीतांजलि श्री ने अमेरिकी अनुवादक डेज़ी रॉकवेल के साथ ये पुरस्कार जीता है, जिन्होंने इस हिंदी उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद किया है. इस किताब को जजों द्वारा "जोरदार और अनूठा उपन्यास" के रूप में वर्णित किया गया था. प्रतिष्ठित 50,000 पाउंड साहित्यिक पुरस्कार के लिए इस किताब की दुनिया भर से पांच अन्य खिताबों के साथ प्रतिस्पर्धा थी.
कौन हैं गीतांजलि श्री?
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जन्मी और नई दिल्ली में स्थित 64 वर्षीय गीतांजलि श्री तीन उपन्यासों और कई कहानी संग्रहों की लेखिका हैं. 'टॉम्ब ऑफ सैंड' यूनाइटेड किंगडम में प्रकाशित होने वाली उनकी पहली किताबों में से एक है. बुकर कट बनाते हुए वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली हिंदी उपन्यासकार बनीं हैं. इस पुरस्कार विजेता उपन्यास के अलावा, उनके लेखन कार्यों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियाई और कोरियाई सहित कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है. उन्होंने 2000 में उपन्यास माई लिखा, जिसे क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए चुना गया था. उनकी पहली कहानी 'बेल पत्र' थी, जो 1987 में प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका हंस में प्रकाशित हुई थी.
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