रांची : रांची संसदीय क्षेत्र में 2019 के मुकाबले इस बार का चुनाव कांटे का होगा. इस क्षेत्र से भाजपा ने दूसरी बार संजय सेठ को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को मैदान में उतारा है. बीजेपी प्रत्याशी संजय सेठ ने नामांकन कर दिया है. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार यशस्विनी सहाय 6 मई को नामांकन दाखिल करने वाली हैं. यहां एक बात बता दें कि रांची क्षेत्र से पांच बार के सांसद रह चुके रामटहल चौधरी ने करीब एक महीना पहले दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ली थी. उन्हें उम्मीद था कि कांग्रेस पार्टी रांची संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनायेगी. लेकिन पार्टी ने उनका पत्ता काटकर यशस्विनी सहाय को टिकट दे दिया. जिसके बाद नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
रामटहल चौधरी भाजपा के टिकट पर रांची लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद रह चुके हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इसके बाद वे निर्दलीय चुनाव लड़े जिसमें वे बुरी तरह से मात खा गये. उस समय उन्हें भरोसा था कि कुर्मी समाज उन्हें जरूर वोट करेगी, लेकिन वे सिर्फ 2.4 प्रतिशत वोट पाकर ही सिमट गये. उन्हें 29,597 लोगों ने ही वोट दिया.
जीत हार में कुर्मी वोटर बड़ा फैक्टर
आंकड़ों के अनुसार रांची संसदीय क्षेत्र में साढ़े तीन लाख आबादी सिर्फ कुर्मी वोटरों की है, यानि कि करीब 17 प्रतिशत कुर्मी मतदाता हैं. जो किसी भी पार्टी के उम्मीदवार की जीत और हार में अहम भूमिका निभाता है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र की 15 गैर जनजातीय आबादी में कुड़मी मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं. इस क्षेत्र में शुरू से कुर्मी, आदिवासी और दलितों की संख्या ज्यादा रही है. यहां मिशनरी और मुस्लिम वोट भी खास मायने रखता है. हालांकि रांची लोकसभा क्षेत्र में जातीय वोट बैंक को लेकर हर चुनाव में समीकरण बदलता है. यहां जातीय फैक्टर के बजाय राष्ट्रीय राजनीति की विचारधारा पर हर बार वोटरों का मूड बदलता रहा है.
कुर्मी वोटरों को साधने में बड़े चेहरे का अभाव
रामटहल चौधरी ने जब कांग्रेस का दामन थामा था तब उन्हें पाकर कांग्रेसियों में एक खुशी की लहर थी. कांग्रेसियों को लगा था कि कुर्मी समाज का दिग्गज नेता अब हमारी पार्टी में है, जो चुनाव में काफी अहम साबित होगा. लेकिन जब उन्होंने पार्टी छोड़ दी तो कांग्रेसजनों को काफी झटका लगा. हालांकि उनके जाने के बाद कांग्रेस नेता ने कहा था कि रामटहल चौधरी के इस्तीफे से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन सच्चाई ये है कि रांची सीट से भाजपा और कांग्रेस के दिलचस्प मुकाबले में कुर्मी वोटरों के समर्थन में बड़े चेहरे का घोर अभाव है. इंडिया गठबंधन के पास ऐसा कोई बड़ा नेता नहीं है जो कुर्मी मतदाताओं को अपने पाले में कर सके.
कौन किस उम्मीदवार के साथ हैं खड़े
वहीं भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ के लिए आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो रांची सीट की कमान संभाल रहे हैं. कुर्मी वोटरों को साधने के लिए सुदेश महतो ने काम करना शुरू कर दिया है. संजय सेठ के साथ जदयू प्रदेश अध्यक्ष खीरु महतो, बाबूलाल मरांडी भी हैं. हालांकि रांची सीट से इंडिया गठबंधन के कई नामचीन चेहरे एक साथ चुनावी ताकत झोंक दिया है. कांग्रेस कैंडिडेट यशस्विनी सहाय के साथ झामुमो की कल्पना सोरेन, कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, खुद सुबोधकांत सहाय खड़े हैं. यशस्विनी को विजयी बनाने के लिए लगातार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं. अगर रामटहल चौधरी कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार करते तो कुर्मी वोटरों के प्रतिशत में और इजाफा होता. अब देखना होगा कि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी कैसे कुर्मी वोटरों को साधते हैं.
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