धनबाद(DHANBAD): झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से दीपक प्रकाश हट गए और प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया है. चर्चा कई महीनों से चल रही थी कि दीपक प्रकाश को हटना है और नया अध्यक्ष कोई ना कोई बनेगा. वैसे भी भाजपा के विधान के मुताबिक दीपक प्रकाश का कार्यकाल खत्म हो गया था और किसी न किसी नए अध्यक्ष को बनना ही था. लेकिन बाबूलाल मरांडी ही क्यों ,यह एक ऐसा सवाल है, जिसका उत्तर राजनीतिक क्षेत्र में सभी लोग अपने- अपने ढंग से ढूंढ रहे है. भाजपा 2024 का चुनाव झारखंड में आदिवासी चेहरा पर ही लड़ने का मन बना कर बैठी है. इसके पीछे कई कारण हो सकते है.
आदिवासी सुरक्षित सीटें है निशाने पर
राजनीतिक पंडितो की माने तो पूरे झारखंड में 28 सीटें विधानसभा की आदिवासियों के लिए सुरक्षित है. इन सीटों पर भाजपा को पहले 10 से 12 सीटें मिल जाया करती थी लेकिन 2019 में बहुत कम सीटें मिली है. यही कारण रहा कि 2019 में भाजपा पिछड़ गई और महागठबंधन की सरकार बन गई. भाजपा को अगर आदिवासी सुरक्षित सीटों पर 10 या उससे अधिक सीट मिली होती तो हो सकता था कि भाजपा 2019 में भी सरकार बना ले सकती थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस वजह से भी भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बार आदिवासी चेहरा को आगे कर चुनाव लड़ने का निर्णय किया होगा. बाबूलाल मरांडी फिलहाल नेता प्रतिपक्ष भी है. यह अलग बात है कि इसकी मान्यता अभी नहीं मिली है और इस मान्यता की वजह से सरकार के बहुत सारे काम लंबित है. सरकार में कई ऐसे काम होते हैं, जिनमे नेता प्रतिपक्ष की मौजूदगी जरूरी होती है.
नेता प्रतिपक्ष सरकार मानने को तैयार नहीं
अभी भाजपा ने तो नेता प्रतिपक्ष नामित कर दिया था लेकिन सरकार इस को मानने को तैयार नहीं है. अब सवाल उठता है कि भाजपा के कायदे- कानून के अनुसार क्या एक व्यक्ति, एक पद बाबूलाल मरांडी पर भी लागू होगा. अगर लागू होगा तो हो सकता है कि नेता प्रतिपक्ष का पद बाबूलाल मरांडी से वापस ले लिया जाए और किसी दूसरे विधायक को एडजस्ट किया जाए. लेकिन यह तो भविष्य की बात है. वैसे भी बाबूलाल मरांडी से अगर नेता प्रतिपक्ष का पद वापस ले लिया जाता है तो उन्हें बहुत अधिक कोई नुकसान नहीं होगा. कारण यह है कि नेता प्रतिपक्ष को मंत्री का दर्जा होता है और उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलती है लेकिन बाबूलाल मरांडी को पहले से ही जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री के नाते आवास भी बड़ा उनके नाम आवंटित है. ऐसे में बाबूलाल मरांडी को कोई व्यक्तिगत क्षति नहीं होगी लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बन जाने के बाद उनका कद जरूर बड़ा हो गया है. यह बात अलग है कि बाबूलाल मरांडी भाजपा में आने में थोड़ा जरूर विलंब कर दिए. अगर 2014 और 2019 में आये होते तो आज उनका कद अधिक बढ़ा जरूर होता.
2014 में झारखंड विकास मोर्चा के 8 विधायक जीते थे
2014 में झारखंड विकास मोर्चा के 8 विधायक जीते थे, जिनमें से 6 को पूर्व मुख़्यमंत्री रघुवर दास ने भाजपा के पाले में कर लिया और बाबूलाल मरांडी कुछ नहीं कर सके. खैर, जो भी हो यह तो वक्त वक्त की बात है. फिलहाल बाबूलाल मरांडी पर ही भाजपा ने भरोसा किया है. राज्य के दूसरे आदिवासी चेहरा अर्जुन मुंडा तो अभी केंद्र में मंत्री है. दीपक प्रकाश राज्यसभा के सांसद है. अब देखना होगा कि 28 सुरक्षित आदिवासी सीट पर भाजपा कहां तक पहुंचती है. वैसे झारखंड मुक्ति मोर्चा भी कमर कसे हुए है. वैसे तो सभी सीटों पर रस्साकशी होगी लेकिन 28 सुरक्षित सीटों पर भाजपा भी कमर कसेगी तो झारखंड मुक्ति मोर्चा भी पीछे नहीं हटने का हर संभव प्रयास करेगा. जो भी हो, बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बन जाने के बाद जिला स्तरीय नेताओं को भी निश्चित रूप से कुछ अलग अलग जिम्मेवारी मिलेगी. देखना है आगे होता क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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