जमशेदपुर (TNP Desk) : लोकसभा चुनाव 2024 बेहद नज़दीक हैं. बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा ज़ोर लगा रही है. वहीं, विपक्षी दल भी उलटफेर करने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. कहा जाता है कि जमशेदपुर का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है. इस शहर का दूसरा नाम टाटानगर भी है, क्योंकि जमशेदजी नौशरवानजी टाटा ने इसकी स्थापना की थी. ऐसे में झारखंड की राजनीति में जमशेदपुर की चर्चा किये बगैर पूरी नहीं हो सकती.
6 बार बीजेपी ने हासिल की है जीत
यह लोकसभा क्षेत्र पूर्वी सिंहभूम में है, जो पश्चिम बंगाल और ओडिशा की सीमा तक लगता है. 1957 के चुनाव में जमशेदपुर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. इस जिले में छह विधानसभा क्षेत्र है. इनमें बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई, जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी शामिल हैं. घाटशिला और पोटका सीटें एसटी तथा जुगसलाई एससी के लिए आरक्षित है. इससे पहले 1951-52 के चुनाव में इस सीट का नाम मानभूम साउथ सह धालभूम था. इस लोकसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां लगातार दो बार से अधिक कोई प्रत्याशी अबतक नहीं जीता है. इस सीट से सबसे ज्यादा 6 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है. इसके बाद कांग्रेस और झामुमो का दबदबा रहा है. एक-एक बार भाकपा व झाविमो ने भी जीत हासिल की है.
शैलेंद्र महतो और आभा महतो का लगातार चार बार रहा कब्जा
जमशेदपुर सीट से शैलेंद्र महतो और आभा महतो का लगातार चार बार कब्जा रहा है. बता दें कि शैलेंद्र और आभा महतो दोनों पति-पत्नी हैं, दोनों ने अलग-अलग दलों के टिकट पर जीत हासिल की थी. 1989 और 1991 में झामुमो से शैलेन्द्र महतो, जबकि 1998 और 1999 में उनकी पत्नी आभा महतो भाजपा की टिकट पर सांसद बनी. 1971 में बाहर से आकर सरदार स्वर्ण सिंह चुनाव जीते थे.
बीजेपी ने 2009 में अर्जुन मुंडा पर खेला था बड़ा दांव
2009 के चुनाव में बीजेपी ने सामान्य सीट पर बड़ा दांव खेला. पार्टी ने आदिवासी नेता अर्जुन मुंडा को उतारा और वे सुमन महतो को बड़े अंतर से हराने में कामयाब हुए. लेकिन वे ज्यादा दिन तक सांसद नहीं रहे. 2011 में मुख्यमंत्री बनने के लिए अर्जुन मुंडा ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. जब उपचुनाव हुआ तो झारखंड विकास मोर्चा ने डॉ. अजय कुमार को मैदान में उतारा. उन्होंने भाजपा के डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी को पराजित कर दिया. बता दें कि डॉ. अजय कुमार कभी जमशेदपुर जिला के एसपी रहे थे. वे जिले की नब्ज को अच्छी तरह से जानते थे. इसलिए झाविमो ने उन्हें टिकट दी थी.
लगातार दो बार से सांसद हैं विद्युतवरण महतो
2014 लोकसभा चुनाव में झामुमो को उस वक्त करारा झटका लगा जब विद्युतवरण महतो जेएमएम छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया. भाजपा ने भी मौके देखते हुए विद्युतवरण महतो को टिकट दे दिया. 2014 के चुनाव में उन्होंने डॉ. अजय कुमार को हराया. इसके बाद 2019 में विद्युतवरण महतो ने जेएमएम के वर्तमान मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को 3 लाख 1033 मतों से पराजित कर रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी.
क्या कहता है जातिगत समीकरण?
जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में मुख्य तौर पर कुड़मी, आदिवासी, उड़िया, बंगाली और बिहारी वोटर हैं. जो किसी भी चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं. वहीं मुस्लिम, छत्तीसगढ़ी, कुशवाहा, यादव जैसे अन्य जाति के भी वोटर हैं, जो चुनावी मौसम को देखते हुए अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. अक्सर चुनाव में ये देखा गया है कि उड़िया, वैश्य, बिहारी मतदाताओं का रुझान भाजपा प्रत्याशी की तरफ रहता है, जबकि आदिवासी और महतो मतदाता परिस्थिति के आधार पर वोट देते हैं. कुड़मी जाति का वोट बैंक बड़ा है, जो भाजपा में अभी तक बना हुआ है. लेकिन अभी कुड़मी जाति के मतदाता बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. ऐसा लगाता है कि आने वाले चुनाव में कुड़मी वोटर छिटक भी सकता है और झामुमो के पाले में भी जा सकता है. क्योंकि झामुमो ने जब-जब कुड़मी प्रत्याशी को मैदान में उतारा है तब-तब उसे सफलता हासिल हुई है.
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