Ranchi- एक तरफ जहां ईडी झारखंड शराब घोटाले को लेकर योगेन्द्र तिवारी के साथ गहन पूछताछ में जुटी है, बारिक कड़ियों को एक दूसरे से जोड़ने की कोशिश कर रही है, बालू खनन से लेकर उसके आय तमाम स्रोतों की जानकारी खंगाने में जुटी है, सफेदपोशों और नौकरशाहों के साथ उसके अंतरंग संबंधों को समझने की कोशिश कर रही है. वहीं दूसरी तरफ रघुवर शासन काल में राज्य के काबिना मंत्री और झारखंड की सियासत का एक जाना पहचाना चेहरा सरयू राय ने यह दावा कर हेमंत सरकार पर हमलावर भाजपा को बचाव की मुद्रा में आने को विवश कर दिया है.
अरगोड़ा थाना से उत्पाद आयुक्त भोर सिंह यादव को लौटना पड़ा था बैरंग
सरयू राय ने लिखा है कि काश: 2017 में तात्कालीन भाजपा सरकार ने प्रेम प्रकाश को बचाने का महापाप नहीं किया होता, तब आज झारखंड को शराब घोटाले का किंग पिन के रुप में योगेन्द्र तिवारी को देखना नहीं पड़ता. यहां बता दें कि 2017 में झारखंड में भाजपा की सरकार थी और उसके मुखिया रघुवर दास थें. अपने ट्विटर एकाउंट पर सरयू राय लिखते हैं कि ‘2017 में प्रेम प्रकाश के विरूद्ध कार्रवाई हो गई होती तो इतना बड़ा शराब घोटाला झारखंड में नहीं हो पाता. पर उस समय तो ₹7 करोड़ के ग़बन मामले में प्रेम प्रकाश पर एफआईआर नहीं होने दिया गया. एफआईआर लेकर राँची के अरगोड़ा थाना में बैठे उत्पाद आयुक्त भोर सिंह यादव को बैरंग लौटना पड़ा.
प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए ईडी ने हेमंत सरकार को भी भेजा है दो-दो पत्र
इसके आगे वह लिखते हैं कि ईडी ने जांच मिले पुख्ता सबूतों के आधार पर हेमंत सरकार को दो पत्र भेजा है. एक पत्र अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में मुख्य सचिव को, दूसरा पत्र सितंबर के अंतिम सप्ताह में डीजी एसीबीको. अपने पत्र में ईडी ने योगेन्द्र तिवारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था, देखना होगा कि इसका क्या नतीजा सामने आता है.
आज भी जारी है योगेन्द्र तिवारी से ईडी की पूछताछ
यहां बता दें कि झारखंड में शराब कारोबार का बड़ा चेहरा और कथित शराब घोटाले किंग पिन माने जाने योगेन्द्र तिवारी से आज ईडी की पूछताछ जारी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार ईडी कई सबूत और दस्तावेजी साक्ष्यों को सामने रख कर शराब घोटाले से जुड़े एक-एक बिन्दुओं पर गहन पूछताछ कर रही है. माना जा रहा है कि आज की पूछताछ के बाद कई सफेदपोश और नौकरशाहों के चेहरों से पर्दा उठ सकता है. जिसको लेकर अभी से ही नौकरशाहों और सियासतदानों में बेचैनी पसरी हुई है. एक दूसरे से सम्पर्क स्थापित कर मामले का अपडेट जानने की कोशिश की जा रही है. इस बात को तस्दीक करने की कोशिश की जा रही है कि कहीं योगेन्द्र तिवारी टूट तो नहीं गया, कहीं उसने शराब सिडिंकेट के राज को उजागर तो नहीं कर दिया.
19 अक्टूबर को हुई थी योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी
ध्यान रहे कि योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी 19 अक्टूबर की देर शाम हुई थी, जिसके बाद बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार भेज दिया गया था, कल ईडी कोर्ट में पेशी के बाद कोर्ट ने योगेन्द्र तिवारी को आठ दिनों के रिमांड पर ईडी को सौंप दिया. अब यह आठ दिन योगेन्द्र तिवारी के लिए काफी मुश्किल होने वाला है, दावा किया जाता है कि ईडी हर दिन नये साक्ष्य और दस्तावेजी सबूत सामने रख कर पूछताछ करेगी. जिसके बाद योगेन्द्र तिवारी का टूटना तय माना जा रहा है. हालांकि इन आठ दिनों के बाद भी ईडी की ओर से रिमांड बढ़ाने की अपील की जा सकती है, लेकिन यह आठ दिनों का समय भी किसी राज को सामने लाने के लिए कम नहीं होता.
23 अगस्त को योगेन्द्र तिवारी से जुड़े ठिकानों पर हुई थी छापेमारी
यहां बता दें कि ईडी ने 23 अगस्त को योगेन्द्र तिवारी के देवघर सहित 34 ठिकानों पर छापेमारी की थी. उन ठिकानों में एक ठिकाना राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के पुत्र रोहित उरांव का भी था. दावा किया जाता है कि रोहित उरांव के आवास से ईडी को करीबन 30 लाख रुपये कैश बरामद हुआ था. जिसके बाद ईडी योगेन्द्र तिवारी, उसका भाई अमरेन्द्र तिवारी और कांग्रेस नेता मुन्नम संजय से लगातार पूछताछ कर रही थी, और आखिरकार 19 अक्टूबर को योगेन्द्र तिवारी को गिरफ्तार करने का फैसला ले लिया गया.
प्रेम प्रकाश के आवास पर छापेमारी के दौरान मिले थें शराब घोटाले के साक्ष्य
यहां यह भी बता दें कि जब ईडी अवैध खनन मामले की जांच के क्रम में प्रेम प्रकाश के ठिकानों पर छापेमारी की थी, दावा किया जाता है कि उसी छापेमारी में ईडी को झारखंड में शराब सिडिंकेट से जुड़े कुछ पेपर हाथ लगें थें. उन दस्तावजों के इस बात के साक्ष्य मिल रहे थें कि झारखंड एक बड़ा शराब घोटला को अमलीजामा पहनाया गया है, और उसका किंगपिन यही योगेन्द्र तिवारी है. जिसके बाद योगेन्द्र तिवारी ईडी की निगाह पर चढ़ गया. और अब ईडी की कोशिश योगेन्द्र तिवारी से झारखंड शराब घोटाले दूसरे सभी किरदारों को सामने लाने की है. माना जाता है कि यह पूरी कवायद महज योगेन्द्र तिवारी तक सीमित नहीं रहने वाली है, इसके विपरीत ईडी के लिए योगेन्द्र तिवारी महज एक मोहरा है, उसकी नजर राज के सियासतदानों पर लगी हुई है, लेकिन इन सियासतदानों और नौकरशाहों पर हाथ डालने के पहले ईडी अपने पास पुख्ता सबूत रखना चाहता है, और यह गिरफ्तारी और पूछताछ उसी का हिस्सा है.b वैसे 2020 में भी योगेंद्र तिवारी के करीबियों के द्वारा संचालित शराब की दुकानों में स्टॉक में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी. जिसके आधार पर तिवारी पर प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी. अब उसी प्राथमिकी को आधार बना कर ईडी ईसीआईआर दर्ज मामले की जांच को आगे बढ़ा रही है.
झामुमो ने भी खोला सियासी मोर्चा
इस बीच योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी के बाद सियासी दांव खेले जाने की भी शुरुआत हो चुकी है, झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने मोर्चा खोलते हुए कहा कि महज एक मोहरे को गिरफ्तार कर ईडी हासिल करना क्या चाहती है, राज्य सरकार को पहले ही इस मामले की जांच कर रही थी, उनके द्वारा राज्य सरकार से भी मामले में एसआईटी का गठन कर जांच करवाने की सलाह दी गयी. ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सके.
योगेन्द्र तिवारी की हैसियत बाबूलाल के प्यादे से ज्यादा नहीं
सुप्रियो ने ईडी से योगेन्द्र तिवारी के सभी खातों की जांच करने की मांग करते हुए इस बात का दावा किया कि योगेन्द्र तिवारी राज्य के पूर्व सीएम बाबूलाल का महज एक प्यादा है. असली खिलाड़ी तो बाबूलाल हैं, जिनके परिजनों की पूंजी योगेन्द्र तिवारी के कारोबार में लगा है, उनके परिजनों के साथ ही बाबूलाल का सलाहकार सुनील तिवारी की पत्नी भी योगेन्द्र तिवारी की कंपनी का हिस्सा है.
सुप्रियो का दावा, भाजपा के सभी शीर्ष नेता इस घोटाले में शामिल
इन्ही तर्कों को आगे बढ़ाते हुए सुप्रियो इस बात का दावा करते हैं कि यदि ईमानदारी से योगेन्द्र तिवारी से जुड़े बही खातों की जांच की जाय को भाजपा का कोई भी शीर्ष नेता इस घोटाले से बच नहीं पायेगा. इसके साथ ही सुप्रियो ने इस बात का भी दावा किया है कि वह 15 दिनों के अन्दर एक बड़ा खुलासा करेंगे, उस खुलासे के बाद झारखंड की सियासत में भूचाल आ जायेगा और भाजपा नेताओं का चेहरा बेपर्दा हो जायेगा.
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