टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार के तीन वर्ष पूरे होने वाले हैं. 29 दिसंबर को राज्य सरकार के तीन साल पूरे हो जाएंगे. ऐसे में सरकार जनता के उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी? ये बड़ा सवाल है. सरकार बनने से पहले सीएम हेमंत अपने कुछ चुनावी वादे लेकर जनता के बीच गए थे. मगर, सरकार बनने के बाद उन्होंने अपने कितने वादों को पूरा किया, ये जनता भी जानना चाहती है, क्योंकि अब अगले चुनाव में सिर्फ दो साल ही बचे हैं, आधे से ज्यादा कार्यकाल सरकार का खत्म हो चुका है. ऐसे में सरकार ने अपने कितने वादों को पूरा किया है, ये हम आज बताने वाले हैं. हम ये भी बताएंगे कि सरकार ने इन तीन वर्षों में क्या अच्छा काम किया और किसमें सरकार पीछे रह गई.
सरकार द्वारा तीन वर्षों में किया गया मुख्य काम
सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में मौजूदा सरकार ने 2019 में राज्य की बागडोर संभाली थी. उसके बाद सरकार को कोरोना का सामना करना पड़ा. मगर, इसके बाद सरकार ने कुछ अच्छे काम किए. कोरोना में प्रवासी मजदूरों को राज्य में वापस लाना हो, या राज्य के आदिवासी बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजना हो, सरकार ने इन कामों के जरिए वाह-वाही बटोरी. सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को लागू कर एक एतिहासिक फैसला लिया. इसके साथ ही राज्य में चल रहे 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति के विरोध को खत्म कर राज्य विधानसभा से इस विधेयक को इस सरकार ने पारित किया. हालांकि, इस विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया है, जिसे कब मंजूरी मिलती है, ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है. इसके साथ ही ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का भी विधेयक विधानसभा से पास कराया है. इसके साथ ही सरकार आपके द्वार कार्यक्रम की जमकर सराहना हुई. इस कार्यक्रम के तहत अधिकारियों ने गांवों और कस्बों में कैम्प लगाकर ग्रामीणों की परेशानी को दूर करने की कोशिश की.
सरकार किन मामलों में रही फेल?
सरकार की नाकामी की बात करें तो सरकार युवाओं को रोजगार देने के मामले में नाकाम साबित हुई. सरकार में आने से पहले दावा किया गया था कि दो साल के अंदर 5 लाख युवाओं को नौकरी दी जाएगी. मगर, ऐसा हुआ नहीं. पूरे तीन सालों में JSSC की ओर से मात्र 357 नियुक्तियां हुई हैं. CGL और CHSL जैसे कई परीक्षाएं आयोजित ही नहीं की गई. इससे युवाओं में काफी रोष है. झारखंड सरकार द्वारा बनाई गई नियोजन नीति 2021 को भी कोर्ट ने रद्द कर दिया. इससे भी कई छात्रों की नियुक्तियां रद्द हो गई.
स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में नाकाम रही सरकार
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकार नाकाम ही साबित हुई. रांची के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल RIIMS की बदहाली की लगातार खबरें आती रहती हैं. विधानसभा में भी इस मुद्दे को बार-बार उठाया जाता है. CHC राज्य के कई प्रखण्डों में आज तक नहीं बन पाई है. राज्य में एक और बड़ा मुद्दा रहा महंगाई का. राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर छूट दी, मगर, राज्य सरकार ने अब तक वैट कम नहीं किया. हालांकि, राज्य सरकार बीपीएल परिवारों को हर महीने 10 लीटर पेट्रोल पर 25 रुपए प्रति लीटर सब्सिडी दे रही है. मगर, डीजल पर आम लोगों को कोई रियायत नहीं मिल रही है.
शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार नाकाम साबित हुई है. स्कूल में छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है, इसलिए छात्र भी स्कूल नहीं जाते हैं. दिनों दिन सरकारी स्कूल में बच्चों का नामांकन घटता जा रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में इन विषयों पर काम करने की जगह सरकार ने स्कूल भवनों की रंगाई पुताई और रंग बदलने का काम और बच्चों के स्कूल ड्रेस का रंग बदलने का जरूर काम किया है.
घोषणा पत्र के कितने वादे सरकार ने किए पूरे?
सरकार ने अपने तीन वर्षों के कार्यकाल में कुछ अच्छे काम किए और कई कामों में नाकाम भी साबित हुई. मगर, राजनीतिक पार्टियों की कोशिश होती है कि वे चुनाव में जाने से पहले अपने चुनावी वादों को जरूर पूरा कर लें. ऐसे में सीएम हेमंत सोरेन की पार्टी ने अपने कितने चुनावी वादे को पूरा किया, ये हम जानते हैं.....
2019 चुनाव में झामुमो का घोषणा पत्र की मुख्य बातें
कितने वादे नहीं हुए पूरे?
इसके अलावा भी और कई सारे चुनावी वादे पूरी करने में सरकार अब तक फेल रही है. अभी भी सरकार के पास 2 साल बचे हैं. राज्य की जनता उम्मीद कर रही है कि बचे दो सालों में सरकार अपने इन वादों को पूरा करने पर काम करेगी.
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