TATA STEEL: विश्व को अध्यात्म का पाठ पढ़ानेवाले स्वामी विवेकानंद ने जमशेदजी टाटा को दिखाई थी लौहनगरी की राह, पढ़ें टाटा स्टील से जुड़ी ये रोचक कहानी

टीएनपी डेस्क(TNP DESK): टाटा स्टील या टाटा समूह पूरे विश्व में किसी का नाम या पहचान का मोहताज नहीं है. आज टाटा का नाम आते ही लोगों में एक विश्वास जागृत होता है कि टाटा का प्रोडक्ट है यानि इसमें कोई मिलावट नहीं होगी. विश्व के 126 देशों में आज टाटा का उद्योग घराना व्यापार कर रहा है और मुनाफ़े में लगातार अपने प्रगति की ओर आगे बढ़ रहा है.यह बात सबको पता होगी कि टाटा स्टील के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने जमशेदपुर में इसके पहले प्लांट की नई रखी थी, लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि विश्व को अध्यात्म का ज्ञान देने वाले स्वामी विवेकानन्द जी के कहने पर ही जमशेदजी टाटा ने जमशेदपुर की राह चुनी थी.
पढ़ें कैसे टाटा स्टील से जुड़ा है स्वामी विवेकानंद जी का नाम
बहुत लोग ये बात सुनकर हैरान हो सकते है कि विश्व को भारत का ज्ञान और अध्यात्म की जानकारी से रुबरु करानेवाले स्वामी विवेकानन्द जी का नाम देश विश्व के सबसे बड़े उद्योग घराने टाटा से जुड़ा हुआ है.स्वदेशी ज्ञान और कौशल की बलबूते देश को आत्मनिर्भर बनाने के पक्षधर रहे स्वामी विवेकानन्द जी ने जमशेदजी टाटा को जमशेदपुर में टाटा स्टील के प्लांट की स्थापना करने की सलाह दी थी.तो चलिए जानते है इसके पीछे रोचक कहानी.
विवेकानन्द जी ने जब जमशेदजी टाटा को उद्योग और अर्थशास्त्र की परिभाषा बताई
आपको बताये कि स्वामी विवेकानन्द विज्ञान, अर्थशास्त्र, तकनीकी उद्योग और खनिजों के बारे में गहरी जानकारी रखते थे.जिसको जानकर जमशेदजी नसरवानजी टाटा दंग रह गए थे.स्वामी विवेकानन्द जी ने जब जमशेदजी टाटा को उद्योग और अर्थशास्त्र की परिभाषा बताई तो वे काफी प्रभावित हुए.यहीं जमशेदजी ने ठान लिया था कि देश में जो उद्योग की क्रांति वो लाना चाहते है, उसकी शुरुआत की बुनियाद वो जमशेदपुर शहर में रख सकते है.इस बात का जिक्र टाटा स्टील कंपनी के संग्रहालय में रखी गई दस्तवेजों में बताई गई है ,जिसमे स्वामी विवेकानन्द और जमशेदजी टाटा के बीच हुई बातचीत का दस्तावेज मौजूद है.
इस तरह हुई थी दोनों की मुलाकात
टाटा स्टील के संग्रहालय में रखी दस्तावेजों को अनुसार साल 1893 में स्वामी विवेकानन्द शिकागो के एक धार्मिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए जा रहे थे, जिस पानी के जहाज यानि शिप से वह शिकागो जा जा रहे थे, उसी जहाज में जमशेदजी नसरवानजी टाटा भी सवार थे. दोनों के बीच इस दौरान काफी लंबी बातचीत हुई.इसी दौरान स्वामी जी ने जमशेदजी टाटा को लौह खनिज संपदा और संसाधन की जानकारी दी थी, और जमशेदजी को पूर्वी सिंहभूम में फैक्ट्री लगाने की सलाह दी थी.
काफी प्रेरणादायक है दोनों की मुकालात
दुनिया को अध्यात्म का पाठ पढ़ाने वाले स्वामी विवेकानन्द और पूरे विश्व में अपने स्टील का लोहा मनवाने वाले जमशेदजी टाटा की मुलाकात बहुत ही प्रेरणादायक है. उस समय लोगों को नहीं पता था कि पानी के जहाज में जो दो लोग सवार हैं, उसमें एक आध्यात्मिक क्रांति की चेतना जगाने निकला है तो दूसरा औद्योगिक क्रांति की चेतना जगाने.
इस तरह रखी गई टाटा स्टील की नींव
इस मुलाक़ात के दौरन ही जेएन टाटा को स्वामी विवेकानन्द ने छोटा नागपुर में लौह संसाधन होने की जानकारी दी.वहीं मयूरभंज के ओडिशा राजघराने के काम कार्यरत भुगर्भशास्त्री पीएन बॉस से मिलने की सलाह दी थी. जेएन टाटा ने वहीं से अपने बड़े बेटे नोराबजी टाटा को पीएन बॉस से मिलाने की सलाह दी.इसी के बाद दोराबजी ने दिसंबर 1907 में टाटा स्टील की स्थापनी के लिए जिस स्थान का चुनाव किया था वहां जमशेदपुर था.
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