Ranchi- कोलकाता कैश कांड के आरोपों से मुक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने इस बात का दावा किया था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल्लकार्जुन खड़गे ने तीनों विधायकों पर भरोसा जताते हुए निलंबन वापसी का फैसला किया है और इन्हे तत्काल निलंबन से मुक्त किया जा रहा है. जिसके बाद इन विधायकों ने एक बार फिर से अपने आप को निर्दोष बताते हुए खुद को कांग्रेस का सच्चा सिपाही करार दिया था. लेकिन निलंबन वापसी के तीन महीने गुजरने के बावजूद आज भी इन तीनों विधायकों पर दलबदल की तलवार लटक रही है.
विधान सभा अध्यक्ष को भेजी गयी शिकायत को नहीं लिया गया वापस
दरअसल पार्टी विधायक दल के नेता आलमगीर के द्वारा इन तीनों के खिलाफ विधान सभा अध्यक्ष से जो शिकायत भेजी गयी थी, आज तक उस शिकायत को कांग्रेस की ओर से वापस नहीं लिया गया है. आज की तारीख में भी यह मामला विधान सभा अध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो के न्यायाधीकरण में लंबित है.
ध्यान रहे कि जब इन विधायकों को 49 लाख रुपये के साथ कोलकता पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उसके बाद इन तीनों को झारखंड सरकार की शिकायत पर कोलकता में हवालात की हवा खानी पड़ी थी. इस क्रम में विधानसभा न्यायाधिकरण तीनों विधायकों से ऑनलाइन सुनवाई कर उनका पक्ष जाना गया था. इसके साथ ही आरोप के बिन्दुओं पर बहस भी हुई थी. उसके बाद आज तक इस मामले में कोई नयी तारीख नहीं दी गयी. इस प्रकार मामला पेंडिंग स्थिति में हैं.
प्रदेश कांग्रेस की अनदुरुनी राजनीति का शिकार
लेकिन सवाल यहीं से खड़ा हो रहा है कि आखिर कांग्रेस औपचारिक रुप से अपना आरोप वापस क्यों नहीं ले रही. दलबदल की तलवार से मुक्त क्यों नहीं कर रही. क्यों आज भी इनके उपर तलवार लटका कर आंतक के साये में रखा जा रहा है.
दावा किया जाता है कि झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अन्दर जबरदस्त राजनीति है. नेताओं के कई गुट बने हैं, हर गुट दूसरे गुट को राजनीतिक रुप से सलटाने की साजिश रचता रहता है. ये तीनों विधायक भी प्रदेश कांग्रेस की इसी गुटबाजी का शिकार हैं. दलबदल की तलवार सिर पर लटका प्रदेश कांग्रेस का मजबूत खेमा इनको अपने जद में रखना चाहती है, ताकि झारखंड कांग्रेस की अनदुरुनी राजनीति में कोई इनके नेतृत्व को चुनौती देने की स्थिति में आकर खड़ा नहीं हो सके. और उनकी राजनीति निरापद रुप से चलती रहे. यही कारण है कि निलबंन वापसी के बावजूद भी इन तीनों विधायकों पर तकनीकी रुप से तलवार की धार को बनाये रखा गया है.
यहां यह भी ध्यान रहे कि जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी अपने बड़बोलेपन के लिए भी जाने जाते हैं, बातों बातों में वह इस कदर भावावेश में बह जाते हैं कि कई बार प्रदेश के बड़े नेताओं पर सीधा सवाल खड़ा कर देते हैं. उनके नेतृत्व को चुनौती पेश कर देते हैं. कई बार तो इरफान इस बात का भी इशारा कर चुके हैं कि प्रदेश की बागडोर उन लोगों के हाथ में सौंप दी गयी है, जिनका अपना कोई जनाधार नहीं है, और जनाधार विहीन नेताओं का यह झुंड अपनी रणनीति के तहत मजबूत जनाधार वाले नेताओं को साइड लाइन में रखना चाहती है. कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि जैसे ही इन इन नेताओं के द्वारा प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठायी जायेगी, एक बार नये सिरे से इनके खिलाफ मामला खड़ा कर दिया जायेगा.
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