लातेहार(LATEHAR): लातेहार ज़िले के चंदवा में इन दिनों लोहे की चोरी का खेल धड़ल्ले से जारी है. इस खेल में चंदवा के ही कबाड़ी दुकानदारों की अहम भूमिका है. आंकड़ो के मुताबिक प्रतिदिन 70-80 मोटरसाइकिल और कुछ पिकअप वैन से अभिजीत ग्रुप का लोहा चोरी कर लाया जाता है और उसे कबाड़ी की दुकान में बिक्री कर दिया जाता है. सूत्रों की मानें तो प्रत्येक दिन लगभग एक सौ टन लोहा अभिजीत ग्रुप से चोरी हो रहा है और ट्रकों के माध्यम से प्रत्येक दिन अन्यत्र भेजा जाता है. इस खेल में बंगाल और बांग्लादेश के दर्जनों लोग पूरी रात स्क्रैप को काटकर लाते हैं. कभी-कभी दिन में भी दिन-दहाड़े चोरी का स्क्रैप ढोया जाता है. सूत्रों की माने तो सिर्फ नवंबर महीना में एक करोड़ से ज्यादा का स्क्रैप चोरी कर बाहर की मंडी में भेजा गया है. इस अवैध धंधा में कबाड़ी दुकानदार संबंधित विभाग को मैनेज कर इस खेल को अंजाम दे रहे हैं. इस बात पर खुद एक कबाड़ी ढोने वाले युवक ने मुहर लगाई है. उसने बताया कि हम लोग अभिजीत ग्रुप से चोरी का लोहा लाकर कबाड़ी दुकान में बेचते हैं और इससे प्रत्येक दिन एक मोटरसाइकिल चालक 20 से ₹25 हजार तक मुनाफा कमा लेते हैं. इस पूरे खेल में पुलिस और रेलवे विभाग के अधिकारियों का भी मौन समर्थन समझ से परे है.
2 महीने पहले स्क्रैप बेचे जाने के लिए हुआ था टेंडर
बता दें कि पिछले 2 महीने से चंदवा प्रखंड में अभिजीत ग्रुप के पावर प्लांट को स्क्रैप बेचे जाने के टेंडर होने के बाद यह कार्य किया जा रहा है. लेकिन इस कार्य में वैध कार्य कम और अवैध कार्य ज्यादा किया जा रहा है. जिसे लेकर विगत दिनों पूर्व चंदवा पुलिस ने कार्रवाई भी की थी. बालूमाथ प्रखंड मुख्यालय में आधा दर्जन से अधिक कबाड़ी दुकान संचालित है और सभी कबाड़ी दुकानदार पिछले 2 महीने में इस अवैध कारोबार से मालामाल हो चुके है. बहरहाल बालूमाथ प्रखंड में लगभग 70-80 की संख्या में मोटरसाइकिल से कबाड़ के नाम पर स्क्रैप की ढुलाई की जा रही है. स्थानीय लोग लगातार इसका विरोध भी कर रहे हैं. आखिर क्या है अभिजीत पॉवर प्लांट की पूरी कहानी, चलिए समझते हैं.
2006 में चंदवा के चकला (बाना) गांव में 2000 मेगावाट के एक बड़े पावर प्लांट लगाने की रखी गई आधारशिला
झारखंड की राजधानी रांची से करीब 82 किलोमीटर दूर चंदवा स्थित है. इसे पलामू प्रमंडल का प्रवेश द्वार भी माना जाता है. कभी माना जाता था कि बोकारो के बाद चंदवा राज्य का दूसरा औद्योगिक शहर बनेगा. इसके लिए कदम भी उठाए जा रहे थे. चंदवा में कई पॉवर प्लांट लगने थे. लोगों में भी खुशियां थी क्योंकि प्लांट लगने से लोगों को रोजगार भी मिलते और इलाके का विकास भी जल्दी होता. लोगों की खुशी रंग लाई और वर्ष 2006 में चंदवा के चकला (बाना) गांव में 2000 मेगावाट के एक बड़े पावर प्लांट लगाने की आधारशिला रखी गई. अभिजीत ग्रुप को ये पॉवर प्लांट लगाने की जिम्मेदारी मिली. लगभग नौ हजार करोड़ रुपये की लागत से पावर प्लांट की स्थापना शुरू की गयी. इतने सारे पैसे किसी भी कंपनी के लिए किसी प्रोजेक्ट में आसान बात तो थी नहीं, तो एसबीआइ कैप और अन्य कई वित्तीय संस्थानों ने इस पावर प्लांट के लिए फाइनेंस उपलब्ध कराया. पावर प्लांट का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका था. मगर, तभी लोगों की खुशियों पर ग्रहण लग गया. देश में कोल स्कैम का मामला सामने आया और इस कोल स्कैम में अभिजीत ग्रुप के निदेशकों का नाम भी शामिल था. इसका नतीजा ये हुआ कि अभिजीत ग्रुप का चकला कोल ब्लॉक रद कर दिया गया. इसके बाद बैंकों ने भी अभिजीत ग्रुप का साथ छोड़ दिया. नतीजन प्लांट बंद पड़ा हुआ है.
कंपनी को बेचने का बनाया जाने लगा दबाव
अपना पैसा निकालने के लिए बैंक और वित्तीय संस्थान द्वारा कंपनी पर बेचने का दबाव बनाया जाने लगा़. इसके लिए एसबीआइ कैप द्वारा बिडिंग करायी गयी थी. इसमें इंडिया ग्रुप और अडाणी ने हिस्सा लिया था. पर बाद में बैंकर्स समितियों ने इसे एआरसीआइएल को एक हजार करोड़ का शेयर बेच दिया, जिसे कोर्ट में चुनौती दी गयी है. इसके बाद बैंकों ने insolvency & bankrupcy code 2016 कानून के तहत अपने बकाया रुपए की वसूली के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) कोर्ट के कोलकाता बेंच में आवेदन करते हुए मामला दायर किया.
मामला दायर होने के बाद एनसीएलटी कोर्ट ने मामले के निष्पादन और बैंक के बकाए की रिकवरी के लिए 10 अक्टूबर 2018 को पंकज धानुका को रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (RP) नियुक्त किया लेकिन उनके द्वारा कोई हल नहीं निकल पाया. जिसके बाद एनसीएलटी कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2021 को प्लांट की नीलामी की प्रक्रिया का आदेश देते हुए पंकज धानुका को रिजोल्यूशनल प्रोफेशनल से लिक्विडेटर बना दिया.
असाइनमेंट को करने से रोकने का आदेश हुआ पारित
12 अप्रैल 2022 को insolvency & bankrupcy board of india (IBBI) की डिसीप्लिनरी कमिटी ने पंकज धानुका को एक अन्य कंपनी (DTTILLP) के सलाहकार के पद पर होने के कारण 1 साल तक किसी भी तरह के असाइनमेंट को करने से रोकने का आदेश पारित किया. जारी आदेश को चुनौती देते हुए लिक्विडेटर पंकज धानुका ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अर्जी दी.
पंकज धानुका ने अपारदर्शी तरीके से शुरू किया उठाव
आरोप है कि कोर्ट में सुनवाई जारी रहते हुए ही बिना किसी स्पष्ट आदेश के लिक्विडेटर पंकज धानुका ने नाटकीय रूप से प्लांट के परिसंपत्तियों के परीसमापन (स्क्रैप) की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. पंकज धानुका के द्वारा इस बाबत आनन-फानन में पारदर्शिता न बरतते हुए कोलकाता के अंग्रेजी अखबारों में प्लांट के स्क्रैप का टेंडर जारी कर दिया. लिक्विडेटर पंकज धानुका द्वारा अपारदर्शी प्रक्रियाओं के तहत मनमाने ढंग से बिना टेंडर सक्सेसर का आदेश सार्वजनिक किए हुए 17 अक्टूबर 2022 से प्लांट के स्क्रैप का उठाव शुरू कर दिया गया. बता दें कि लिक्विडेटर पंकज धानुका द्वारा मनमाने, गैर कानूनी प्रक्रिया, स्थानीय रैयतों, बकायेदारों, कामगारों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बिना विश्वास में लिए हुए लगातार स्क्रैप उठाव का काम किया जा रहा है.
क्या है स्क्रैप उठाव का मामला ?
दरअसल, बैंक अपना पैसा निकालने के लिए पॉवर प्लांट से स्क्रैप का उठाव करा रही है. इसके लिए टेंडर निकाला गया और कंपनी को इसका टेंडर दिया गया. जिस स्क्रैपर कंपनी को स्क्रैप उठाने का काम मिला है, वह लगातार वहां से स्क्रैप का उठाव कर रही है. लेकिन इसका विरोध भी हो रहा है क्योंकि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है और कोर्ट ने स्क्रैप उठाने जैसा कोई आदेश पारित नहीं किया है. इसके विरोध में कई बार वहां के लोगों द्वारा विरोध भी किया गया.
जान बुझकर कराई जा रही चोरी?
लोगों का ये भी आरोप है कि स्क्रैप निकालने की आड़ में जान बूझकर स्क्रैप की चोरी कराई जा रही है. प्लांट से चोरी की कई घटनाएं सामने आ चुकी है. कई बार प्लांट में आग भी लगाया जा चुका है. एक अनुमान के मुताबिक प्लांट से इस दौरान करोड़ों की कीमत के कल-पुरजे चोरी हो गए हैं. इस चोरी में कंपनी के अधिकारियों के मिली-भगत की भी बात सामने आई है. आरोप है कि प्लांट के सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत से स्क्रैप (लोहा, पीतल, तांबा) की चोरी हो रही है. इससे नुकसान कंपनी के साथ-साथ बैंक और सरकार का ही हो रहा है. इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है.
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