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Ranchi-बिहार के बाद अब झारखंड की सियासी फिजा में बदलाव होता नजर आने लगा है. यदि हालिया दिनों के कई घटनाक्रमों को सजग नजरों से खंगालने-परखने की कोशिश की जाय, तो एक साथ कई संदेश और संदेह आंखों के सामने से गुजरने नजर आता हैं. और उसकी कई कड़ियों को आपस में जोड़ कर देखने की जरुरत महसूस होती है. याद कीजियें, जिस दिन बिहार की सियासत में शीर्षाशन का मंच सज रहा था. जिस इंडिया गठबंधन को आगे कर 2024 के सियासी मैदान में भाजपा को पटकनी देने का अचूक फार्मूला तैयार करने का दावा किया जा रहा था, उस सियासी महाभारत की शुरुआत के पहले ही उसके सूत्रधार ने ही पालाबदल का खेल कर इसकी सफलता की कामना करने वालों के अरमानों पर पानी फेर दिया. और इसके साथ ही यह संदेश भी दे दिया कि यदि देश के मौजूदा सियासी हालत में अपनी सियासत को प्रासंगिक बनाये रखना है तो एक ही मंत्र का जाप करना होगा होगा, क्योंकि यह जाप वर्तमान सियासी माहौल में महामृत्युंजय के जाप से भी ज्यादा असरकारी है, और वह जाप है मोदी नाम केवलम का.
बिहार में जारी हलचल के बीच दिल्ली दौरा संयोग या सियासी खिचड़ी का हिस्सा
लेकिन बड़ा सवाल है यह है कि बिहार में सत्ता का परिवर्तन और ठीक उसी दिन सीएम हेमंत का चार्टड विमान से दिल्ली के लिय कूच करना महज एक संयोग था, या इसकी प्लानिंग पहले ही तैयार कर ली गयी थी, क्योंकि सीएम हेमंत का दिल्ली जाने की खबर किसी को नहीं थी, सारी मीडिया का ध्यान बिहार के बदलते घटनाक्रम पर टिका था, ठीक इस बीच देर शाम यह खबर आती है कि सीएम हेमंत चार्टेड विमान से दिल्ली कूच कर गयें हैं, इसके साथ ही सीएम नीतीश की इस पलटी पर सीएम हेमंत ने खामोशी की चादर ओढ़ ली, उनकी ओर से इसको लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी, और ना ही अपने सोशल मीडिया पर कोई बयान दिया गया, क्या यह सब कुछ सामान्य था, क्या सीएम नीतीश के पालाबदल से सीएम हेमंत को धक्का नहीं लगा, क्या उन्हे इस बात की पीड़ा नहीं हुई कि जिस अरमानों के साथ इंडिया गठबंधन को खड़ा किया जा रहा था, सीएम नीतीश ने उसके अरमानों का कत्ल कर दिया, और यदि हुआ तो सीएम हेमंत ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो क्या यह माना जाये कि सीएम हेमंत को पहले से ही इस पालाबदल की खबर थी, और इसके समानान्तर उनके द्वारा भी एक सियासी प्लॉट की रुप रेखा तैयार की जा रही थी. जिसे अंतिम अंजाम तक पहुंचाने के लिए वह दिल्ली कूच कर गयें.
मोदी नाम केवलम के जाप के पहले दिल्ली स्थित आवास पर ईडी की इंट्री क्यों?
लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि यदि सीएम हेमंत किसी बड़े सियासी प्लॉट पर काम कर रहे थें, नीतीश कुमार की सीख का अनुशरण करते हुए मोदी नाम केवलम पढ़ने की तैयारी में थें तो आज उनके दिल्ली स्थित आवास पर ईडी अधिकारियों की टीम क्यों पहुंची, क्या इस डील को पूरा होने की अभी औपचारिकता पूरी नहीं की गयी है, क्या अभी सहमति के बिन्दुओं पर अंतिम मुहर लगनी बाकी है, और ईडी की यह पैंतरेबाजी सीएम हेमंत को उस राह पर चलने के लिए मजबूर करने के इरादे से की गयी है. और क्या इसके बाद सीएम हेमंत का सरेंडर करना निश्चित है, बस उसकी औपचारिकता और शर्तों की पटकथा लिखी जा रही है, ताकि इंडिया गठबंधन से बाहर होने के लिए सीएम नीतीश के समान ही सीएम हेमंत के पास भी एक ठोस तर्क हो. और क्या शीट शेयरिंग में सहमति का अभाव का हवाला देते हुए बिहार के बाद झारखंड में भी एक बड़ा सदमा हाथ लगने वाला है.
अभी कई सवालों का जवाब खोजा जाना जरुरी है
ये सारे वैसे सवाल है, जिनका कोई सीधा जवाब अभी किसी के पास नहीं है, लेकिन झारखंड की सियासत कुछ इसी दिशा में जाती हुई प्रतीत हो रही है, इस बीच खबर यह भी है कि सीएम हेमंत एक बड़े औद्योगिक घराने की मदद से केन्द्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने की तैयारी में है, किसी भी उनकी मुलाकात हो सकती है, जिसके बाद ही इस पूरी पटकथा को अंतिम रुप दिया जायेगा, लेकिन उनके सामने मुश्किल यह है कि झारखंड भाजपा का एक बड़बोला सांसद, उनके खिलाफ अभी भी मोर्चा खोले हुए हैं, और उसकी कोशिश आज भी बनी हुई है कि भाजपा आलाकमान और सीएम हेमंत के बीच कोई सहमति नहीं बने. और यही कारण है कि सीएम हेमंत को दिल्ली में डेरा डालना पड़ रहा है. अब देखना होगा कि अंतिम विजय किसकी होती है, उस बड़बोले सांसद का जोर चलता है, या फिर उस औद्योगिक घराने का प्रयास रंग लाता है, हालांकि झारखंड के सियासी गलियारों में उस सांसद के बारे मे यह दावा आम है कि वह झारखंड में उसी औद्योगिक घराने का चमकदार चेहरा है, जिसकी ओर से सीएम हेमंत को इस संकट से बाहर निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं,
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