Ranchi-चतरा और धनबाद की सियासी उलझन पर विराम लगाते हुए जैसे ही भाजपा ने कालीचरण सिंह और ढुल्लू महतो की उम्मीदवारी का एलान किया. अचानक से ढुल्लू महतो का नाम सुर्खियों में छा गया. सोशल मीडिया पर ढुल्लू महतो की खोज होने लगी. उसका कारण है ढुल्लू महतो का बेहद साधारण पृष्ठभूमि से सियासी सफर की शुरुआत. आज भले ही बाधमारा विधान सभा में ढुल्लू महतो का जलबा चलता हो, चाहने वालों के बीच ढुल्लू महतो “कोयलांचल का टाईगर” के रुप में मशहूर हों. लेकिन कभी जिंदगी की शुरुआत जोगीडीह कोलियरी से एक मजदूर के रुप में हुई थी. जबकि पिता पूना महतो महेशपुर कोलियरी में मजदूर थें. इंटर तक पढ़ाई-लिखाई करने वाले ढुल्लू महतो को कभी आर्थिक दुश्वारियों के कारण पढ़ाई बीच में छोड़कर मजदूरी करनी पड़ी. इसी दौरान ढुल्लू महतो को श्रमिकों की वंचना, उत्पीड़न और आर्थिक दोहन का घिनौना रुप आंखों के सामने से गुजरा. दावा किया जाता है कि इसी दौर में ढुल्लू महतो की जिंदगी में समरेश सिंह की इंट्री हुई. पहली ही मुलाकात में समरेश सिंह को यह समझते देर नहीं लगी कि आज का एक बेहद आम मजदूर ढुल्लू महतो कल सियासत का बड़ा चेहरा बनने की राह पर है. और इसके बाद समरेश सिंह ने ढुल्लू महतो को सियासत की बारकीरियां समझानी शुरु की, मजदूरों की समस्य़ायों पर फोकस करने का गुरु मंत्र दिया.
“टाइगर फोर्स’’ का गठन
इस बीच ढुल्लू महतो “टाइगर फोर्स’ के बैनर तले सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हो चुके थें, इलाके में पहचान स्थापित हो रही थी. देखते -देखते वर्ष 2009 आया, तब तक बाबूलाल भाजपा को अलविदा कर झारखंड विकास मोर्चा के बैनर तले अपने सियासी वजूद की तलाश कर रहे थें और उपाध्यक्ष की कुर्सी पर समरेश सिंह विराजमान थें. समरेश सिंह के साथ ढुल्लू की पुरानी दोस्ती काम आयी और समरेश सिंह ने झारखंड विकास मोर्चा के बनैर तले बाधमारा विधान सभा से उतारने का एलान कर दिया. यही पहली सियासी इंट्री थी और अपने पहले ही प्रयास में ढुल्लू महतो ने तात्कालीन झारखंड की सियासत में पिछड़ों का एक बड़ा चेहरा जलेश्वर महतो को 36,606 मतो से पराजित कर अपने नाम के आगे टाईगर की उपाधि को सार्थक सिद्ध कर दिया. उसके बाद ढुल्लू महतो के सियासी कारवां बढ़ता ही गया. आज बाधमारा विधान सभा में उनका जलबा कायम है. जलेश्वर महतो को आज भी अपनी वापसी का इंतजार है. इस बीच ढुल्लू महतो पर कई गंभीर आरोप भी लगें. कई मामलों में कानूनी प्रक्रियायों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन मजूदरों के बीच मसीहा की छवि भी बनी रही.
बड़े सियासी चेहरों के बावजूद ढुल्लू महतो पर दांव क्यों?
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि राज सिन्हा, पीएन सिंह और दूसरे कई बड़े सितारों की मौजूदगी बावजूद भाजपा ने ढुल्लू महतो पर दांव लागने का फैसला क्यों किया? तो इसका कारण धनबाद, बोकारो और गिरिडीह इलाके में टाईगर जयराम का सियासी दस्तक है. जिस प्रकार टाईगर जयराम ने बाहरी-भीतरी के मुद्दे के हवा दी है. उसका साफ असर जमीन पर दिखने लगा है. आदिवासी-मूलवासी समूहों के बीच यह नारा जोर पकड़ने लगा है, यह सवाल गहराने लगा है कि आखिर कब तक आदिवासी मूलवासी समाज इन गैर झारखंडी चेहरों को ढोने के लिए अभिशप्त होगा. आखिर कब तक धरती पूत्रों को अपने सियासी सामाजिक प्रतिनिधित्व के अपनी ही जमीन पर संघर्ष करना पड़ेगा. सियासी जानकारों का दावा है कि जयराम की इंट्री से बदलती जमीन को झारखंड भाजपा चाहे जितना भी नकारने की कोशिश करें, लेकिन भाजपा आलकमान को इस बदलती सियासी तस्वीर की भनक लग चुकी थी और यही कारण है कि स्थापित चेहरों की दावेदारी को नकार कर एक खांटी झारखंडी पर दांव लगाने का फैसला किया गया, ढुल्लू महतो की दूसरी मजबूत कड़ी पिछड़ी जाति से आना है. एक अनुमान के अनुसार धनाबाद लोकसभा में अनुसूचित जाति करीबन 9 फीसदी, अनुसूचित जनजाति-14 फीसदी और अल्पसंख्यक आबादी करीबन 15 फीसदी है. जबकि कुड़मी महतो की आबादी करीबन 10 फीसदी है. इसके साथ ही एक बड़ी संख्या दूसरी पिछड़ी जातियों की है. टाईगर जयराम ने बाहरी भीतरी की आवाज देकर इन्ही मतदाताओं में सेंधमारी की कोशिश की है, लेकिन सवाल यह है कि जब भाजपा ने ढुल्लू महतो के रुप में एक खांटी झारखंडी को मैदान में उतारने का एलान कर दिया है, अब जयराम का बाहरी भीतरी का नारा कितना प्रभावकारी होगा. और यही चुनौती इंडिया गठबंधन के सामने भी आ खड़ी हुई है, क्या इंडिया गठबंधन ढुल्लू महतो के सामने अब किसी बाहरी चेहरे को मैदान में उतारने का जोखिम लेगी, और यदि जोखिम लेगी, तो कल तक बाहरी भीतरी के सवाल पर बचाव की मुद्रा में खडी भाजपा क्या अब उसे सियासी मुद्दा नहीं बनायेगी. वैसे भी पिछड़ा कार्ड खेलने में माहिर भाजपा ने ढुल्लू महतो के रुप में धनबाद की जमीन पर पिछड़ा कार्ड भी खेल दिया है. यानि इंडिया गठबंधन के सामने एक साथ कई चुनौती पेश कर दी है, अब देखना होगा कि इंडिया गठबंधन इसकी तोड़ क्या खोजता है या फिर पुरानी लकीर के साथ ही आगे बढ़ने की राह अपनाता है.
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