रांची(RANCHI): पलामू में एक तो सुखाड़ की मार ऊपर से बालू की किल्लत ने लोगों की परेशानी को बढ़ा दिया है. सुखाड़ होने के बाद किसान मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे थे. लेकिन अब बालू की समस्या पलामू में विकराल रूप ले चुकी है. तमाम निर्माण कार्य ठप पड़ गए. कही बालू मिल भी रहा है तो वह चार से पांच हजार रूपये ट्रैक्टर. पलामू में बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से अवैध बालू ढुलाई का धंधा जोर शोर से जारी है. हर दिन सैकड़ो ट्रैक्टर बालू नदी से निकाल कर बिक्री किये जा रहे है. इस खेल में स्थानीय प्रशासन से लेकर जिले के बड़े अधिकारी तक शामिल है. लेकिन अब बालू और जमीन की री सर्व के मुद्दे को लेकर एनसीपी आर पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है. इसी कड़ी में प्रदेश अध्यक्ष कमलेश सिंह ने सरकार को सीधे चेतावनी दी है.अगर जल्द बालू घाट की नीलामी नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन को सरकार तैयार रहे.
प्रदेश अध्यक्ष कमलेश सिंह ने कहा कि बालू की समस्या राज्य में गंभीर हो गई है. विधानसभा में बालू की किल्लत को लेकर सात बार आवाज़ उठाया है. लेकिन फिर भी सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं कि है. राज्य में आवास योजना का काम बंद हो गया है. एक तरफ सरकार राज्य को विकास के रास्ते में ले जाने का दावा कर रही है. लेकिन बिना बालू के कैसे विकास हो पायेगा. राज्य में एक ट्रैक्टर बालू की कीमत पांच हजार हो गई है.उसपर भी अगर पुलिस पकड़ लेगी तो एक FIR कर देगी.
सरकार गरीबो को बालू उपलब्ध नहीं करा पाएगी. तो अब रांची में एक बड़ा आंदोलन की तैयारी है. अब रांची पहुंच कर सभी बालू की मांग उठाएंगे. सूबे के लोग परेशान है घर पर प्लास्टिक लगा कर रहने को मजबूर है. बालू की समस्या का मुद्दा कोई नया नहीं है. इसकी शुरुआत हुसैनाबाद में एक बड़े आंदोलन के साथ की गई थी. बालू के खिलाफ आंदोलन में पांच हजार से अधिक ट्रैक्टर किसान लेकर पहुंचे थे.लेकिन सरकार कि ओर से सिर्फ आश्वासन मिलता रहा. कमलेश सिंह ने बताया कि वह बिना किसी सर्थ के हेमन्त सोरेन सरकार को समर्थन दिया है.लेकिन सरकार सिर्फ टाल मटोल रैवैया है.अब 31 अक्टूबर तक हुसैनाबाद जिला नहीं बना तो इस सरकार से समर्थन वापस ले लिया जाएगा.
NCP राष्ट्रीय प्रवक्ता सूर्या सिंह ने बताया कि वह वैचारिक रूप से अब INDIA के साथ नहीं है. हम अजित पवार के साथ है और अब एनसीपी NDA का हिस्सा है. इस सरकार को हमने बिना किसी सर्थ के समर्थन दिया है. लेकिन सरकार सिर्फ आश्वासन से चल रही है. सूबे में कई अनुमंडल में DSP नहीं है कई प्रखंड में प्रखंड विकास पदाधिकारी नहीं है.इससे गरीब परेशान हो रहे है. आखिर सरकार किस चीज का इंतज़ार कर रही है.क्या ट्रांसफर पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं. आखिर कारण क्या है कि अधिकारियों को पोस्टिंग नहीं दी जा रही है.
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