दुमका(DUMKA):झारखंड विधानसभा चुनाव की डुगडुगी कभी भी बज सकती है.चुनाव की घोषणा से पूर्व सभी राजनीतिक दल मुकम्मल तैयारी में जुटी है. इंडिया गठबंधन हो या एनडीए सभी की नजर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 28 सीट पर है.झामुमो के परंपरागत वोटर को तोड़ने के लिए भाजपा दिन रात मेहनत कर रही है. संताल परगना प्रमंडल में कुछ ऐसे आरक्षित सीट है जिस पर आज तक कमल नहीं खिल पाया है.उसमें से एक सीट है दुमका जिला का शिकारीपाड़ा विधान सभा सीट. 7 टर्म झामुमो के टिकट पर इस सीट से विधायक चुने जाने वाले नलीन सोरेन अब सांसद बन चुके हैंऐसे में सवाल उठता है कि क्या नलीन सोरेन की विरासत को उनके पुत्र आलोक सोरेन संभालेंगे या पहली बार यहां कमल खिलेगा?
शिकारीपाड़ा विधान सभा है झामुमो को अभेद किला
झारखंड में कुल 81 विधानसभा के सीट है.इसमे दुमका जिला का शिकारीपाड़ा विधान सभा सीट झामुमो का अभेद किला माना जाता है. 1952 से अब तक हुए 17 चुनाव में 10 बार इस सीट पर झामुमो प्रत्याशी ने कब्जा जमाया है. लगातार 7 टर्म से शिकारीपाड़ा विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले झामुमो नेता नलीन सोरेन अब दुमका के सांसद बन चुके हैं. लेकिन झामुमो 11वीं बार इस सीट पर परचम लहराने को लेकर आश्वस्त दिख रहा है.
हालिया सम्पन्न लोस चुनाव परिणाम में नलीन सोरेन को मिली थी 25000 की लीड
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम को देखें तो शिकारीपाड़ा विधान सभा क्षेत्र से झामुमो प्रत्याशी नलीन सोरेन को लगभग 25000 की लीड मिली थी जो उनकी जीत में अहम भूमिका निभाया.शिकारीपाड़ा विधान सभा क्षेत्र में नलिन सोरेन को 87,980 वोट मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन को 62,639 मत प्राप्त हुए थे.
अलग राज्य बनने के बाद से पिछले विधान सभा चुनाव तक जीतते रहे है नलीन सोरेन
अलग झारखंड राज्य बनने के बाद अब तक हुए विधानसभा चुनाव परिणाम को देखें तो वर्ष 2000 में नलीन सोरेन को 39,259 तो भाजपा प्रत्याशी छोटू मुर्मू को 23,126 मत मिले थे। 2005 के विधानसभा चुनाव में नलीन सोरेन को 27,723 तो जदयू प्रत्याशी राजा मरांडी को 24,461 मत प्राप्त हुए. वही 2009 के विधानसभा चुनाव में नलीन सोरेन को 30,478, झाविमो प्रत्याशी परितोष सोरेन को 29,471 जबकि जदयू के राजा मरांडी को 29,009 मत प्राप्त हुए थे. त्रिकोणीय संघर्ष के बीच कांटे की टक्कर में नलीन सोरेन 1007 मत से चुनाव जीतने में सफल रहे थे.2014 के विधानसभा चुनाव में नलीन सोरेन 61,901 वोट लाकर विजेता बने तो झाविमो प्रत्याशी परितोष सोरेन को 37, 400, लोजपा प्रत्याशी शिवधन मुर्मू को 21,010 जबकि कांग्रेस प्रत्याशी राजा मरांडी को 7,877 मत प्राप्त हुए.वही 2019 के विधानसभा चुनाव में नलीन सोरेन को 79,400 जबकि भाजपा प्रत्याशी के रूप में परितोष सोरेन को 49,929 मत प्राप्त हुए.
1952 से 2019 तक हुए 17 चुनाव में 10 बार हुई है झामुमो प्रत्याशी की जीत
वर्ष 1952 से 2019 के बीच शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के लिए कुल 17 चुनाव हुए, जिसमें 1952, 1957 और 1962 में झापा प्रत्याशी यहाँ से चुनाव जीते थे, जबकि 1967 में कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जमाया तो 1969 में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई. 1972 में हूल झा.पा. तो 1977 में जनता पार्टी ने जीत का स्वाद चखा, लेकिन 1979 में हुए उपचुनाव में झामुमो प्रत्याशी डेविड मुर्मू ने पहली बार पार्टी को जीत दिलाई.1980 और 1985 में झामुमो प्रत्याशी के रूप में डेविड मुर्मू ने इस सीट से जीत की हैट्रिक लगाया.जीत की सिलसिला को 1990 में नलीन सोरेन ने आगे बढ़ाया जो अब तक कायम है.इस सीट से लगातार 10 टर्म से झामुमो जीतते आ रही है, जिसमें 7 टर्म से लगातार नलिन सोरेन विधायक बने हैं, जो अब दुमका के सांसद निर्वाचित हो चुके हैं.
आदिवासी मुश्लिम मतदाता का गठजोड़ झामुमो के लिए बना अभेद किला
शिकारीपाड़ा विधान सभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां लगभग 50% से अधिक मतदाता आदिवासी है जबकि लगभग 10% मतदाता मुस्लिम है.इस क्षेत्र में आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव झामुमो के पक्ष में रहा है. यही वजह है की झामुमो के प्रत्याशी लगातार 10 टर्म से यहां से विधायक निर्वाचित हो रहे हैं. यही वजह है कि संताल परगना में शिकारीपाड़ा विधान सभा क्षेत्र झामुमो का मजबूत किला माना जाता है
पुत्र संभालेंगे विरासत या पत्नी के हाथ में होगा तीर कमान, बसंत सोरेन की भी हो रही चर्चा
शिकारीपाड़ा विधान सभा क्षेत्र में हाल के कुछ वर्षों से नलीन सोरेन के पुत्र आलोक सोरेन की सक्रियता दिख रही है.नलीन सोरेन के सांसद निर्वाचित होने के बाद आलोक सोरेन क्षेत्र में काफी सक्रिय हो गए है.ऐसा माना जा रहा है कि नलीन सोरेन की विरासत को आलोक सोरेन संभालने के लिए तैयार है. आलोक सोरेन शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से झामुमो प्रत्यासी के प्रबल दावेदार माने जा रहे है. दूसरा नाम नलीन सोरेन की पत्नी जायस बेसरा का भी आ रहा है, जो फिलहाल जिला परिषद अध्यक्ष है.क्षेत्र में चर्चा तो यह भी है कि झामुमो का मजबूत किला होने के कारण दुमका विधायक बसंत सोरेन भी इस क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं.
BJP में है सीमित दावेदार, सोच विचार कर निर्णय लेगी पार्टी आला कमान
एक तरफ झामुमो में इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए सीमित प्रत्याशी का नाम सामने आ रहा है तो भाजपा को भी प्रत्याशी घोषित करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी.वर्ष 2009 और 2014 में झाविमो के टिकट पर जबकि 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले परितोष सोरेन अभी भी मैदान में डटे हुए हैं, जबकि जिला परिषद सदस्य अभिनाश सोरेन भी अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं.
पहली बार कमल खिलाने को बेताब दिख रही भाजपा, अंतर्कलह अटका न दे रोड़ा
शिकारीपाड़ा सीट पर आज तक कमल नहीं खिला है. 7 टर्म से झामुमो विधायक रहे नलीन सोरेन के सांसद बन जाने के बाद भाजपा इस सीट पर कमल खिलाने को बेताब नजर आ रही है. हर कदम फूंक फूंक कर रख रही है। पार्टी नेतृत्व इस अवसर को हाथ से जाने देना नहीं चाहती है,लेकिन पार्टी का अंतर्कलह शिकारीपाड़ा में भी देखने को मिल चुका है जो राह में रोड़ा अटका सकता है.
दिलचस्प होगा मुकाबला
शिकारीपाड़ा विधान सभा सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है.7 बार विधायक बनने वाले नलीन सोरेन की जीत में झामुमो का सिम्बल के साथ साथ उनका व्यवहार भी मददगार रहा है.बगैर किसी ताम झाम के सबसे मिलना, सबको गले लगाना, सुख दुख में शामिल होना उनकी खासियत रही है. लेकिन इस बार नलीन सोरेन जब मैदान में नहीं होंगे तो मतदाता के समक्ष नया प्रत्याशी होगा.ऐसी स्थिति में सोच समझ कर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
रिपोर्ट-पंचम झा
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