रांची(RANCHI): देश में दो हजार के नोट बंद होने के बाद राजनीति बयान बाजी शुरू है. एक ओर सत्ता पक्ष नोटबंदी के फायदे गिनाने में लगी है वहीं विपक्ष केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने में लगी है. इस निर्णय को अब राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है.झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह कहानी वही है जो 2016 में अपनाई गई थी. भराष्टाचार के नाम पर एक एक निर्णय ले रही है समझ से परे है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछली नोट बंदी में कई बड़े कारोबारी कारोबार को बंद कर देश से चले गए. जो कंपनी देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देते थे.लेकिन सरकार जिस तरह से निर्णय ले रही है इसका असर हर बार मध्यम वर्ग के परिवार पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि सभी चीजों की एक उम्र सीमा होती है लेकिन केंद्र सरकार कब क्या निर्णय लेकर किसे बंद कर दे यह कहना मुश्किल है.दो हजार के नोट की उम्र सीमा सिर्फ सात साल रही यह दुर्भाग्य है. नोटबंदी केंद्र सरकार का राजनीति निर्णय है उन्हे लगता है कि ऐसे निर्णय से वह अपना राजनीति वजूद बचा लेंगे.
देश की जनता सारे मामलों को अच्छे तरीके से समझ और जान रही है.जिस आशा और उम्मीद के साथ केंद्र की सरकार चुनी गई थी वह उससे अलग काम कर रही है. जो उम्मीद जनता की थी वह चकना चूर हो गई है.
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