Ranchi-कांग्रेस के नाराज विधायकों की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही. उनकी नाराजगी का आलम यह है कि झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से लेकर प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर भी अब अपना हाथ खड़ा करते नजर आने लगे हैं. विधायक किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है. इस बीच कांग्रेस में मचे इस सियासी तूफान के कारण चंपाई सरकार भी हिचकोलें खाती नजर आने लगी है. इस सियासी संकट के बीच सीएम चंपई दिल्ली निकल चुके हैं, बताया जा रहा है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जून खड़गे से मुलाकात कर इसका राह निकालने की कोशिश करेंगे.
नाराज विधायकों से मिलने पहुंचे बसंत सोरेन
इस बीच बड़ी खबर यह है कि पूर्व सीएम हेमंत के छोटे भाई और चंपाई सरकार में मंत्री बंसत सोरेन खुद नाराज विधायक को मनाने का प्रयास शुरु कर चुके हैं, जिस होटल में नाराज विधायकों की बैठक चल रही है, बसंत सोरेन सीधा उनके पास पहुंचे और उनकी तकलीफ को समझने की कोशिश की, हालांकि इसका परिणाम क्या निकला, अभी इसकी जानकारी सामने नहीं आयी है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि विधायकों ने बसंत सोरेन के साथ खुल कर बात की है, और अपने अंदर के सारे भड़ास को बाहर निकाला है, दरअसल विधायकों की नाराजगी चंपाई सरकार से नहीं होकर झारखंड कांग्रेस के कदावर नेताओं से है, उनका आरोप है कि झारखंड कांग्रेस में कुछ ऐसे चेहरे भी है, जिनका मकसद कांग्रेस को मजबूत करने बजाय अपने चेहतो को मंत्री पद बैठाने की होती है,
यहां ध्यान रहे कि मंत्रिमंडल विस्तार के साथ झारखंड में सियासी तूफान की आहत दिखने लगी है, मंत्री पद को लेकर कांग्रेसी विधायकों के बीच धमासान जारी है, नाराज विधायक अपनी गुप्त बैठक कर रहे हैं, हालांकि नाराजगी की मुख्य वजह क्या है, इसको लेकर कोई भी साफ साफ बोलने को तैयार नहीं है, मीडिया के सामने तो आरोप यह लगाया जा रहा है कि कांग्रेस कोटे से बनाये गये मंत्रियों के द्वारा उनकी सुनी नहीं जाती है, जिसके कारण उनके इलाके की समस्यायों का समाधान नहीं हो पाता, और उन्हे अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अंदरखाने खबर यह है कि इन सबकी नजर मंत्री की कुर्सी पर लगी हुई है, और यह सारा सियासी ड्रामा मंत्री पद को लेकर भी है. नाराज विधायकों में अकेला यादव, अम्बा प्रसाद, इरफान अंसारी, राजेश कश्यप, दीपिका पांडेय सिंह, भूषण तिर्की, नवन विक्सल कोंगाड़ी, अनुप सिंह सहित 11 विधायक हैं. इसमें कई नाम तो बेहद चौंकाने वाले हैं. अपनी गिरफ्तारी के बाद जब पूर्व सीएम हेमंत विधान सभा में पहुंचे थे, तो अनुप सिंह अपने आंसू को रोक नहीं पा रहे थें, जबकि इरफान अपने को हेमंत का हनुमान बताते हैं, जब मुख्यमंत्री आवास में ईडी हेमंत से पूछताछ करने पहुंची थी, तो इरफान सीएम हेमंत से लिपट कर फूट फूट कर रोये थें. लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि कितने विधायकों को मंत्री पद की कुर्सी दी जा सकती है.
झारखंड से दूर बेंगलुरु जा सकते हैं नाराज विधायक
खबर यह भी है कि अपनी मांग नहीं माने जाने की स्थिति में इन विधायकों ने झारखंड से दूर बेंगलूरू जाने का फैसला लिया है, उनका दावा है कि वह तब तक बेंगलुरु से वापस नहीं आयेंगे, जब तक उनकी मांग को स्वीकार नहीं कर लिया जाता, और यदि वास्तव में ये सारे विधायक बेंगलुरु चले गयें, तो चंपाई सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है, क्योंकि आगे विधान सभा सत्र की शुरुआत होने वाली है, जिसमें मनी बिल भी प्लोर पर रखा जायेगा, यदि इस सूरत में ये विधायक सदन से दूर रहें तो मनी बिल फ्लोर पर गिर सकता है, और इसके साथ ही चंपाई सरकार भी अपना बहुमत खो सकती है.
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