पटना(PATNA)- शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चन्द्रशेखर ने बिना पढ़ाई वेतन लेने के आरोपों पर पटलवार करते हुए है कि अब वह युग खत्म हो गया, जब एकलव्य का अंगूठा काटा जाता था. महात्मा फूले, पेरियार और बाबा साहेब की संतानों ने अब पढ़ना-लिखना सीख लिया है, उनके अन्दर अपने अधिकारों के प्रति सामाजिक जागरुकता आयी है, अब इन शैतानी ताकतों के लिए शूद्रों के अधिकारों को कुचलना इतना आसान नहीं रहा.
शायद यही कारण है कि एक शूद्र को शिक्षा मंत्री बनते ही शैतानी ताकतों की सरगरमी तेज हो गयी है और आधारहीन खबरों को चलाया जा रहा है, किसी भी चैनल या अखबार के द्वारा के द्वार इस मामले में मेरा पक्ष जाने की कोशिश नहीं की, सब कुछ एकतरफा चलाया गया. इससे इनके कुत्सित इरादे को समझा जा सकता है.
हर कार्रवाई का सामना करने को तैयार, जांच हो
उन्होंने कहा कि यदि मेरे द्वारा कोई नियम विरुद्ध कार्य किया है तो मेरे विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए, इतना अविवेकी तो मैं नहीं हूँ कि बगैर पढ़ाई करवाये वेतन का उठाव करुं. क्या जिस संस्था ने इसका भुगतान किया, उसके द्वारा इसकी जांच नहीं की गयी और वेतन का भुगतान किया जाता रहा.
उन्होंने कहा कि यह खबर मेरी जानकारी में है, हिन्दी के एक नामचीन अखबार ने इसे छापा है, उस मीडिया चैनल के खिलाफ जल्द ही अवमानना का मुकदमा दायर किया जायेगा.
यह कर्पूरी ठाकुर की धरती है, शैतानी ताकतों को मुंह की खानी पड़ेगी
प्रोफेसर चन्द्रशेखर ने कहा कि एक शूद्र को शिक्षा मंत्री बनना इन शैतानी ताकतों को हजम नहीं हुआ, यही कारण है कि इस प्रकार की आधारहीन खबरों को चलाया जा रहा है. लेकिन यह महात्मा बुद्ध और कर्पूरी ठाकुर की धरती है, इस धरती पर बाबू जगदेव प्रसाद ने सामाजिक आर्थिक असामानता के खिलाफ संघर्ष किया है. इस महान धरती पर यह सब कुछ नहीं चलने वाला है. इन ताकतों का जवाब दिया जायेगा.
हिन्दू धर्म ग्रन्थों से शूद्रों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों को बाहर किया जाय
हिन्दू धर्म ग्रन्थों में शूद्रों के बारे में तथाकथित रुप से अपमानजनक टिप्पणी पर एक बार फिर से वार करते हुए उन्होंने कहा कि जितना जल्दी इन धर्म ग्रन्थों से से इन टिप्पणियों को निकाला जाय, उतना ही यह इस मुल्क के लिए बेहतर होगा. ध्यान रहे कि हिन्दी के नामचीन अखबार में इस बात का दावा किया गया था कि शिक्षा प्रोफेसर मंत्री चन्द्रशेखर ने बगैर पढ़ाई करवाये एक कॉलेज से 15 वर्षों से वेतन का उठाव किया है, जिसके बाद शिक्षा प्रोफेसर मंत्री चन्द्रशेखर की ओर यह प्रतिक्रिया आयी है.
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