रांची(RANCHI)- नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने की कवायद तेज हो चुकी है, नगर निकाय विभाग ने ट्रिपल टेस्ट करवाने का प्रस्ताव सीएम हेमंत के पास भेज दिया है. अब सरकार जल्द ही हाईकोर्ट के किसी सेवानिवृत या वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट करवाने की प्रक्रिया की विधिवत शुरुआत कर सकती है. जिसकी अनुशंसा के आलोक में राज्य में पिछड़ी जातियों को नगर निकाय चुनाव में आरक्षण प्रदान किया जायेगा.
अक्टूबर सितम्बर में हो सकता है नगर निकाय चुनाव
जानकारों का मानना है कि ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरी करने में करीबन तीन माह का समय लग सकता है, जिसके बाद राज्य में नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सकती है. बहुत संभव है कि सितम्बर-अक्टूबर इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाय.
बगैर ओबीसी आरक्षण के ही निकाय चुनाव करवाने की तैयारी में थी हेमंत सरकार
यहां बता दें कि पिछली बार हेमंत सरकार ने बगैर ओबीसी आरक्षण के ही नगर निकाय चुनाव करवाने का फैसला लिया था, जिसके बाद पूरे राज्य में विरोध की राजनीति शुरु हो गयी थी, विपक्षी दल और खास कर भाजपा इसे मुद्दा बना रही थी, साथ ही ओबीसी संगठनों के द्वारा भी इसका विरोध किया जा रहा था, लगातार विरोध के बढ़ते स्वर को देखते हुए आखिरकार हेमंत सरकार ने नगर निकाय चुनाव करवाने का फैसला वापस ले लिया. अब जब की सरकार की ओर से ट्रिपल टेस्ट की कवायद शुरु कर दी गयी है, माना जा सकता है कि अब नगर निकाय चुनाव में पिछड़ी जातियों को उसका प्रतिनिधित्व मिल जायेगा.
किसी भी राज्य में पिछड़ी जातियों की संख्या को निर्धारित करने की प्रक्रिया है ट्रिपल टेस्ट
यहां बता दें कि ट्रिपल टेस्ट किसी भी राज्य में पिछड़ी जातियों की संख्या को निर्धारित करने की एक कवायद है. इस मामले में कई बार कोर्ट ने किसी भी राज्य में चुनावों में पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के पूर्व ट्रिपल टेस्ट की अनिवार्यता को रेखांकित किया है. कोर्ट का मानना है कि यदि एक बार पिछड़ी जातियों की संख्या उस राज्य में निर्धारित हो जाती है, तब ही पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया जा सकता है, हालांकि सरकार यदि चाहे तो बगैर पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिये भी चुनाव करवा सकती है. यही कारण है कि हेमंत सरकार ने भी बगैर पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिये ही निकाय चुनाव करवाने का फैसला किया था.
योगी सरकार को वापस खींचने पड़े थें अपने पैर
यहां बता दें कि यही स्थिति उतर प्रदेश की भी थी, वहां भी योगी सरकार ने बगैर पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिये ही निकाय चुनाव करवाने का फैसला किया था, लेकिन वहां भी इसका विरोध शुरु हो गया, जिसके बाद राज्य की योगी सरकार ने पिछड़ी जातियों को आरक्षण देकर ही चुनाव करवाने का फैसला लिया और ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग का गठन कर दिया गया.
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