रांची (RANCHI): साल 2022 अपने अंतिम महीने के साथ विदाई को तैयार है. वहीं साल 2023 अपने स्वागत की प्रतीक्षा में है. जाता हुआ ये साल बहुत सी खट्टी मीठी यादों के साथ विदा हो रहा है. वहीं आता हुआ नया साल बहुत सी अपेक्षाओंके दीप को प्रज्ज्वलित भी कर रहा है. ऐसे में अच्छे और बुरे पलों की चिंता छोड़ कर लोग पिकनिक के मूड में आ गए हैं. जी हाँ झारखंड में भी लोग वनभोज या पिकनिक पर जोरों शोरों से निकलते हैं. ऐसे में अगर आपका भी प्लान है कि इस बार पिछले दो सालों के कोरोना आपदा की कसर को निकाला जाए, तो आपने बिल्कुल सही क्लिक किया है. यहां आज हम आपको जानकारी देंगे कि झारखंड में अच्छे पिकनिक स्पॉट कौन से हैं और कैसे वहां तक पहुंचा जा सकता है साथ में अपको दिखाएंगे उस स्पॉट की एक खूबसूरत झलक तो आईए मैं ले कर चलती हूँ आपको झारखंड के खूबसूरत वादियों के सफर पर-:
हुनडुरु जलप्रपात
हुंड्रू जलप्रपात रांची शहर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है. पिकनिक और घूमने के लिए यह बेहद उपर्युक्त है. हुंडरू जलप्रपात रांची सुवर्णरेखा नदी के दौरान बनाई गई है, जहां 320 फीट की ऊंचाई से गिरती है जो राज्य के उच्चतम जलप्रपात में से एक है. हुंड्रू जलप्रपात के आधार पर, एक पूल है, जो एक स्नान स्थल और एक पिकनिक स्थान के रूप में कार्य करता है. इतनी बड़ी ऊंचाई से गिरने वाले पानी का शानदार दृश्य लंबे समय से लोगों से अपील कर रहा है. पानी के लगातार गिरने से कटाव के कारण चट्टान के विभिन्न रूपों ने जगह की सुंदरता में जोड़ा है.
कैसे पहुंचे-:
बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से हुंडरू जलप्रपात की दूरी लगभग 47 किलोमीटर है. रांची रेलवे स्टेशन से हुंडरू जलप्रपात की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है. यह रांची सहर से 45 किलोमीटर दूरी पर है जो कि रांची -पुरलिया रोड पर अवस्थित है यह मेन रोड से 21 कोलिमीटर की दूरी पर है.
दशम फॉल -:
लॉक डाउन और घरबंदी से निजात पाए लोगों के लिए 2022 बहुत ही सुकून से बीता लेकिन पिछले वर्ष भी कोरोना का दबदबा पिकनिक पर भारी पड़ा था. इस वर्ष लोगों ने ठान लिया है की पिछले दो वर्षों की भरपाई इस बार पूरी करेंगे तो चलिए चलते है झारखंड का खूबसूरत दस झरनो वाला जलप्रपात दशम फॉल . झारखंड का ये खूबसूरत जलप्रपात प्राकृतिक छटाओं के बीच रांची से करीब 34 किलो मीटर दूर दक्षिण पूर्व में कांची नदी पर स्थित है. यह जलप्रपात करीब 144 फीट की उंचाई से गिरता है. इसमें दस धाराएं हुआ करती है. इसलिए इसका नाम दशम पड़ा. दशम फॉल रांची-टाटा मार्ग पर तैमारा गांव के पास है. यह झरना खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से घिरा हुआ है. यह भी कहा जाता है कि मुण्डारी में पानी को 'दाअ' और स्वच्छ को 'सोअ' कहते हैं. झरने से गिरता हुआ उज्जवल पानी बडा स्वच्छ दिखता है. स्वच्छ पानी का झरना 'दाअसोअ' से 'दासोम' और बाद में 'दशम ' हो गया. फरवरी से अप्रैल के बीच का समय दशम फॉल घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इसकी प्रसिद्धि दशम घाघ के रूप में भी है. यह झरना खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से घिरा हुआ है. सीढीनुमा खेतों में पौधों की हरियाली देखते ही बनती है. साल, सिद्धा, केंद आदि वृक्षों से घिरे वन के बीचों बीच झरना का नजारा देखने के लिए रास्ते में कुछ-कुछ दूरी पर रेलिंगयुक्त प्लेटफार्म बने हुए हैं. जंगल और पहाडियों के बीच से एक नदी बहती है, जो यहां आकर काफी ऊंचाई से, लगभग 45 मीटर की ऊंचाई से गिर कर आगे बढ ज़ाती है. इतनी ऊंचाई से भी नदी का पानी यदि सीधे गिरता तो उतना आकर्षक नहीं लगता, ऊंचाई से गिरते पानी के रास्ते में बडे-बडे चट्टानों से टकराने के कारण पानी का रंग-ढंग बदल जाता है और मनमोहक झरना बन जाता है.
सावधानियां
यहां आने वाले पर्यटकों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वह जलप्रपात की धारा में नहाएं नहीं, या नहाते वक्त खास सावधानी बरतें. दशम फॉल में पर्यटकों को विशेष सावधानी की सलाह दी जाती है क्योंकि जलप्रपात वेग से गिरता है वहाँ जाना खतरनाक हो सकता है. हां, फॉल के गिरने के बाद जब वह आगे बढता है तो इसमें स्नान का किया जा सकता है. लेकिन यहां भी स्नान में बहुत सावधानी की जरूरत है. पानी के वेग से चट्टानों के बीच अनेक खतरनाक गड्ढे बन गये हैं, जो पानी से ढंके होने के कारण दिखते नहीं हैं और यहां फंसना जानलेवा साबित हो सकता है. दशम फॉल से निकला पानी आगे करीब 50-60 मीटर जाने के बाद समतल नदी का रूप ले लेता है. बीच-बीच में कहीं-कहीं चट्टानों का मिलना असंभव नहीं, क्योंकि पूरा छोटानागपुर ही चट्टान पर बसा है.
कैसे पहुंचे
दशम फॉल तक पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको रांची आना होगा रांची में वायु मार्ग रेल मार्ग और सड़क मार्ग तीनों तरीकों से पहुंचा जा सकता है. बता दें बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से दशम जलप्रपात की लगभग दूरी 31 किलोमीटर है. रांची रेलवे स्टेशन से दशम जलप्रपात की लगभग दूरी 26 किलोमीटर है, बिरसा मुंडा बस टर्मिनल से दशम जलप्रपात की लगभग दूरी 24 किलोमीटर है.यहां आने के बाद आप आराम से किसी भी ट्रैवल अजेंसी से गाड़ी हायर कर यहां आ सकते हैं.
देखिए दशम फॉल का खूबसूरत नजारा
रांची से कुछ ही दूर पर रांची-टाटा मार्ग पर स्थित इस खूबसूरत फॉल पर हर रोज सैकड़ों पर्यटक पहुंच रहे हैं. यहां काची नदी का पानी 144 मीटर की ऊंचाई से गिरता है. यहां पहुंचने के लिए प्रशासन की तरफ से सीढ़ियों का निर्माण किया गया है. साथ ही फॉल में नहाने के बाद खाने-पीने की पूरी व्यवस्था है.
पंचघाघ जलप्रपात
पंचघाघ पांच झरनों का संयोजन से बना है. यह झरना बनई नामक प्रसिद्ध नदी के टूटने के कारण बनता है. पंचघाघ का पानी लंबी ऊंचाइयों से नहीं गिरता है फिर भी, जब कोई इसके पास आता है, तो पानी का गर्जन लगभग सुन सकता है, क्योंकि सभी पांच धाराएँ चट्टानों को बहुत अशांत तरीके से टक्कर मारता है. पानी कम ऊंचाई से गिरता है, जिससे पर्यटकों को पानी के तेज प्रवाह में आनंद लेना काफी सुरक्षित है. ज्यादातर लोग परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक के लिए यहां पहुंचते हैं. झरने के आसपास प्राकृतिक सुंदरता इसे और अधिक सुंदर और शांतिपूर्ण बनाती है. पिकनिक प्रेमियों के लिए ये बेहद सुरक्षित और आसानी से पहुँचने वाली जगह है. रांची से 50 किमी की दूरी पर और खूंटी से सिर्फ 8 किमी की दूरी पर स्थित ‘पंचघाघ’ नामक एक झरने को देखने जाना वनभोज के लिए उपयुक्त है. कहा जाता है कि यहाँ कांची नदी की पांच धाराएँ हैं जी बेहद खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य बनती हैं.
पंचघाघ कैसे पहुंचे?
आप रांची से खूंटी के लिए बस ले सकते हैं और यह प्रपात बस स्टॉप से सिर्फ 8 किमी दूर है, आप बस स्टॉप से किसी भी ऑटो रिक्शा या टैक्सी को किराए पर ले सकते हैं. यदि आप जमशेदपुर से हैं, तो आप खूंटी के लिए सीधी बस भी ले सकते हैं और फॉल्स पर जा सकते हैं. यदि आपके पास अपना वाहन है, तो आप किसी भी मार्ग से यात्रा कर सकते हैं. याद रहे कि पंचघाघ फॉल्स जमशेदपुर से 130 किमी और रांची से 50 किमी दूर है. फॉल्स के आसपास का विस्तृत क्षेत्र बहुत ही आकर्षक है जो एक उत्कृष्ट पिकनिक स्थल के रूप में दिखाई देता है. इन जंगलों में साल (सखुआ), बांस, और पलास के जंगल हैं. जंगल मुख्य जलधारा के आसपास 1 से 2 किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और लोग वहां खाना बनाते हैं और खाते हैं. इतना व्यापक जंगल क्षेत्र झारखंड के अन्य प्रपातों के आस-पास उपलब्ध नहीं है. इसीलिए जल्दी से पैक कीजिए अपना समान और निकल जाएं पिकनिक पर.
डोम्बारी बुरु
यह डोम्बारी बुरु की सुरम्य पहाड़ियाँ है, जो खून से लाल हो गई थी जब बिरसा मुण्डा ने एक सदी से भी अधिक समय पहले अंग्रेजों के खिलाफ अपने पौराणिक उलगुलान (विद्रोह) का नेतृत्व किया था, जिसे अब स्टर्लिंग फेसलिफ्ट, सौहार्द मिलेगा. राज्य की राजधानी से 50 किमी दूर स्थित है, डोम्बारी बुरु उलीहातू के करीब सेल राकब गांव के ऊपर स्थित है. यहां आकार आप पिकनिक के साथ साथ झारखंड के ऐतिहासिक धरोहर का भी दर्शन कर सकते.
उलिहातु
उलिहातु ,झारखंड, भगवान बिरसा मुण्डा के “धरतीआबा ” का जन्म स्थान है. उन्होंने 1835 में स्वतंत्रता की लड़ाई यहीं से शुरू की थी. यह जिला मुख्यालय से उत्तर की ओर 37 किमी और राज्य की राजधानी रांची से 80 किमी दूर स्थित है. उलिहातु पूर्व में बूरमु ब्लॉक, दक्षिण की तरफ मांडर ब्लॉक, पश्चिम की ओर चान्हो ब्लॉक, पूर्व में पतरातू ब्लॉक से घिरा हुआ है. उलीहातु गाँव पहाड़ियों से घिरा हुआ है एवं चारों ओर प्राकृतिक सुंदरता अद्भुत है. यहाँ गांव के पास सूर्यास्त बिंदु भी है जो पर्यटक द्वारा अनन्वेषित है.
कैसे पहुंचे:
सड़क द्वारा जिला मुख्यालय से 40 किमी और मुरहू ब्लॉक से 30 किमी दूर है.
ट्रेन द्वारा – निकटतम स्टेशन कर्रा है
प्लेन द्वारा -: रांची एयरपोर्ट
पेरवाघाघ जलप्रपात
यह खूँटी जिले के तोरपा के फटका पंचायत में छाता नदी पर स्पष्ट जल प्रवाह के साथ एक सुंदर झरना गिरती है. यह ज्ञात है कि “पेरवा” शब्द कबूतर को दर्शाता है और “घाघ” का मतलब घर है जो झरने के अंदर “कबूतरों का घर” दर्शाता है. यह अभी भी माना जाता है कि ये कबूतर झरने के अंदर रहते हैं. कैसे पहुंचे- यह सड़क से खूँटी जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर है. बता दें तोरना का पेरवाघाग जलप्रपात राज्य के सबसे खूबसूरत झरनों में शामिल है. इसकी सुंदरता देखते ही बनती है. घने जंगलों से घिरा पेरवाघाघ अपनी प्राकृतिक छटाओं के कारण सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है. प्राकृतिक सौंदर्य व नीले पानी की झील एकमात्र पेरनाघाघ में ही देखने को मिलती है. यहां सैलानियों की हर सुविधा का ध्यान रखा गया है. यहां शौचालय, टॉवर तथा रेस्ट रूम भी है.
पतरातू डैम
रामगढ़ के पश्चिम में 30 किमी इस बांध का निर्माण पतरातू थर्मल पावर स्टेशन को पानी की आपूर्ति के उद्देश्य से किया गया था. नलकार्नी नदी से और इस बांध के आस-पास की पहाड़ियों के झरने से पानी इस बांध में जमा किया जाता है. इस बांध की कुल भंडारण क्षमता 81 वर्ग मील है. यह एक सुंदर पर्यटन स्थल है और पूरे वर्ष विशेष रूप से सर्दियों के मौसम के दौरान लोगों का एक बड़ा सदस्य पिकनिक के लिए यहां जाता है. डैम की खूबसूरती को आजकल विदेशी पक्षी भी बढ़ा रहे हैं. लोग नाव में बैठकर इन पक्षियों को अपने हाथ से खाना खिलाने का मजा लेते हुए देखे जा सकते हैं. इसके अलावा यहां पर्यटकों के खाने-पीने का भी पूरा इंतजाम है. बांध के बगल में एक सर्किट हाउस है. बांध के नजदीक पंचवाहिनी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और इसके धार्मिक मूल्य के लिए महत्वपूर्ण है. इस बांध को नलकार्नी बांध भी कहा जाता है जो पहाड़ों पर बने खूबसूरत स्केनेरी और सर्पिन तरीके के कारण सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है जो बांध को 3 तरफ से सीमा से बांधता है.
कैसे पहुंचे -:
देश के अन्य प्रमुख शहरों से पतरातू तक कोई नियमित उड़ान नहीं है. निकटतम हवाई अड्डा रांची हवाई अड्डा है. ट्रेनों के माध्यम से यह आसानी से पहुंचा जा सकता है. नियमित ट्रेनों के माध्यम से देश के अन्य प्रमुख शहरों से पतरातू अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.
रेलवे स्टेशन: पतरातू (पीटीआरयू)
धुर्वा डैम
धुर्वा डैम भी एक बेहतरीन विकल्प है पिकनिक के लिए. हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने दोस्तों के साथ बर्थडे और पिकनिक मनाने पहुंचते हैं. पानी के किनारे का नजारा अद्भुत होता है, इसलिए यहां ढ़ेर सारी तस्वीरें भी लेकर यादगार बनाते हैं. वैसे तो झारखंड प्रकृति की गोद में बसा हुआ है. चारों तरफ प्राकृत्तिक सौंदर्य देखने को मिलता है. ऐसे में झारखंड में पर्यटक स्थलों की कमी नहीं है, लेकिन राजधानी रांची का धुर्वा डैम इन दिनों खासा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. धुर्वा डैम के पानी की लहरों से निकली आवाज इन दिनों लोगों को खूब भा रहा है और लोगों की मानें तो यह आकार उन्हें समुद्र किनारे घूमने का एहसास मिल रहा है. तो देर किस बात की आप भी अपने झारखंड मे समुन्द्र किनारे का मजा ले सकते हैं. राजधानी के ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी धुर्वा डैम के किनारे लोग पिकनिक मनाने आते हैं. ऐसे में धुर्वा डैम के पानी में बांस के बल्ली से बनाया गया. सेल्फी प्वाइंट भी इन दिनों लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है. लोग इस बांस के मचान पर चढ़कर पानी में सेल्फी खूब ले रहे हैं.
कैसे पहुंचे : रांची शहर मे स्थित धुर्वा डैम जाने के लिए किसी भी गाड़ी बैक या इंटरसिटी बस का उपयोग कर र सकते है वहीं शहर से बाहर से आने वाले पर्यटकों को रेल वायुमार्ग या बस का सहारा लेना होगा
सीता फॉल
सीता फॉल रांची से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और प्रमुख पर्यटन स्थल में शुमार है. पहाड़ और जंगल से घिरा सीता फॉल की सुंदरता देखते बनती है. 350 फीट की ऊंचाई से गिरते पानी को देखना मन को शांति प्रदान करता है. झरने के पास ही सीता माता का मंदिर है. मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ कुछ दिन यहां ठहरे थे. यहां पास ही में जोन्हा जलप्रपात भी है. सुन्दर- सुन्दर पहाड़ियों के बीचो-बीच रांची-पुरुलिया राजमार्ग पर रांची से लगभग 43 किलोमीटर की दूरी पर कोनयारडीह गांव में स्थित है - सीता जलप्रपात. इस जगह सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है. सीता जलप्रपात का नामकरण भारतीय महाकाव्य तथा हिंदुओं के प्रमुख धर्मग्रंथ रामायण की देवी सीता के नाम पर रखा गया है. ऐसा कहा जाता है कि वनवास के 14 वर्षों के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण ने इसी झरने के निकट कुछ दिन बिताए थे. इस स्थान पर देवी सीता के पदचिन्ह भी मिले हैं जो अभी एक मंदिर में सुरक्षित रखे हुए हैं. वसंत ऋतु में यहाँ की सुंदरता इतनी लुभावनी होती है, कि इसकी तुलना देवी सीता से की जाती है जो अपने विचित्र सौंदर्य के लिए जानी जाती थीं. ऊंचाई से गिरता हुआ पानी को देखने से आभास होता है कि मानो ऊपर से कोई दूध की धारा गिर रही हो. ये दृश्य मन को रोमांचित कर देती है. आपको इस जगह पर पिकनिक के लिए जाना चाहते हैं, तो आप बेशक दिसंबर से लेकर फरवरी तक जा सकते हैं. क्योंकि इस समय यहां का मौसम ठंडा रहता है जो किसी Hill Station का Fillings कराता है.
करांजी जलाशय
करांजी जलाशय जंगलों से तीन तरफ से घिरा है. बेड़ो प्रखंड का करांजी जलाशय प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. यह बेड़ो हेडक्वार्टर से 4 किलोमीटर दूर बेडो-लोहरदगा लेन और बेड़ो-गुमला मेन रोड (एनएच-23) के बीच में है.
टूटी झरना फॉल
टूटी झरना फॉल रांची से करीब 37 किलोमीटर की दूर है. यहां 150 फीट की ऊंचाई से गिरता झरने का पानी व चारों ओर जंगल खूबसूरती पर चार चांद लगाते हैं.
पंडितपुरींग फॉल
पंडितपुरींग फॉल खूंटी जिले के लोहाजिमि गांव में स्थित है. चारों तरफ जंगल से घिरा यह झरना अपनी मनमोहक सुंदरता से पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है. यहां कई जगहों पर नदी की धारा चट्टानों से टकराती हुई नीचे गिरती है. पंडिपुरींग फॉल में सैलानियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं.
चुरिन फॉल
रांची से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चुरिन फॉल पर्यटकों के लिए बेहतर पिकनिक स्पॉट है. यहां होरहाप जंगल में बना चैकडेम भी टूरिस्टों के लिए पिकनिक मनाने के लिए अच्छी जगह है. चुरिन फॉल की सबसे खास बात यह है कि ये पूरी तरीके से अपने वास्तविक रूप में है. यहां पानी, पत्थर और जंगल है. यहां ऊंचाई से पानी की धार गिरती है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
चुंदड़ी फॉल
चुंदरीफॉल बरवादाग पंचायत क्षेत्र के सुदुर जंगलों के बीचों-बीच स्थित है. अनगड़ा प्रखंड को कुदरत ने नैसर्गिक सुंदरता से नवाजा है. ये टूरिस्टों के लिए पिकनिक मनाने का बेहतर विकल्प है.
रानी चुआं
झारखंड की लाइफ लाइन कही जानेवाली सुवर्णरेखा नदी का उद्गसम स्थल रानी चुआं के नाम से मशहूर है. यहां प्राकृतिक रूप से बना टिकरा और टोंगरी मनमोहक है. यह राजधानी रांची से गुमला रोड में 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है
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