धधकती झरिया के लोगों के पुनर्वास का मामला क्यों अटका, 7000 करोड़ की थी योजना


धनबाद (DHANBAD): झरिया पुनर्वास पर 24 अगस्त को प्रस्तावित बैठक फिर टल गई है. इसके साथ ही चौथी बार यह बैठक टली है. यानी कहा जा सकता है कि झरिया पुनर्वास योजना को फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक प्रस्तावित थी, जो ऐन वक्त पर टाल दी गई. कई अधिकारियों को तो एयरपोर्ट से वापस लौटना पड़ा. आपको बता दें कि 12 साल के लिए बनी झ रिया पुनर्वास योजना की अवधि अगस्त' 2021 में खत्म हो गई है और उसके बाद से सिर्फ बैठकों की तिथि ही तय हो रही है.
7000 करोड से भी अधिक की थी पुनर्वास योजना
यह पुनर्वास योजना 7000 करोड से भी अधिक की थी. झरिया पुनर्वास की बैठक नहीं होने का खामियाजा कोयलांचल को भुगतना पड़ सकता है. अवधि समाप्त होने के बाद इस योजना के तहत किसी नए प्लान पर काम नहीं हो सकता है. सिर्फ उन्हीं योजनाओं पर काम होगा, जो हाथ में ले ली गई है अथवा जिन पर काम शुरू कर दिया गया है. अभी बारिश का मौसम है, भूमिगत आग के कारण खतरा बढ़ सकता है. ऐसे समय में पुनर्वास योजना की जरूरत पड़ सकती है लेकिन बैठक ही नहीं हो रही है. संतोष की बात यही है कि बहुत सारे आवास अभी आवंटन के बावजूद खाली है. कोई दुर्घटना होने पर उन आवासों में लोगों को शिफ्ट किया जा सकता है.
सलाहकार अभी हाल ही में आए थे धनबाद
यह भी बता दें कि कैबिनेट सचिव के सलाहकार अभी हाल ही में धनबाद आए थे और बीसीसीएल सहित जरेड़ा के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया था. योजनाओं पर चर्चा हुई थी. 24 अगस्त की बैठक में इन्हीं योजनाओं पर चर्चा होनी थी, लेकिन बैठक ही स्थगित हो गई है. कैबिनेट सचिव के साथ अगर बैठक होती तो इसके ड्राफ्ट को कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाता और फिर वहां से मुहर लगने के बाद काम शुरू होता लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. वैसे एक ड्राफ्ट रिपोर्ट जो बीसीसीएल में पहुंचा है, उसके अनुसार बीसीसीएल और जरेडा के कामों में बंटवारा कर दिया गया है. बीसीसीएल अपने इलाके के लोगों का पुनर्वास करेगी जबकि जरेडा अतिक्रमणकारियों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास करेगा, हालांकि अभी यह ड्राफ्ट रिपोर्ट है. अंतिम निर्णय तो कैबिनेट ही करेगी.
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