गुमला(GUMLA):आज के दौर में जब दुनिया तेजी से तरक्की कर रही है. ऐसे समय में भी गुमला जिले के नगर मेरेंगबीरा नागेशिया टोली की एक महिला को वनवास में रहना पड़ रहा है. पति द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद ईश्वर की भक्ति में लीन रहने के लिए महिला एक साल से जंगल के बीच पहाड़ के ऊपर तंबू लगाकर रह रही है.
क्या है पूरा मामला
सिसई प्रखंड के नगर पंचायत के मेरंगबिरा नागेशीया टोली की लीलावती देवी लगभग 1 साल से पास के जंगल में पहाड़ के ऊपर प्लास्टिक का तंबू बनाकर वनवासी जीवन जी रही है. उसकी शादी सिमडेगा जिले में हुई थी. लेकिन पति ने उसे छोड़कर दूसरी शादी कर लिया तब वह अपने भाई के पास मेरेंगबीरा नागेशीयाटोली वापस लौटी. लेकिन वहां भी उसका मन नहीं लगा और ईश्वरीय भक्ति करने के लिए वह पहाड़ों पर आ गई. लगातार 1 साल से कठिन जीवन जी रही है. पहाड़ के ऊपर उसे ना भोजन की व्यवस्था है न पानी, न अन्य सुविधा. ग्रामीणों की मदद से उसे राशन इत्यादि तो मिल जाता है लेकिन पानी के लिए उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पानी लेने के लिए पहाड़ और जंगल से निकलकर पास की बस्ती में जाकर पानी लाना पड़ता है. अन्यथा चट्टान में बने बरसात का पानी जमने से उसी का उपयोग करती है. वह चाहते हैं कि इस स्थान पर उसके रहने के लिए घर और मंदिर रहे ताकि वो अपनी भक्ति भाव में जीवन गुजार सके.
गाँव वालों के मदद से करती है गुजरा
वनवासी महिला के आस पास के गांव के ग्रामीण मंगल नगेसिया,सोमेश्वर उरांव अनिल उरांव,बुद्धेश्वर उरांव, समेत कई ग्रामीण से बात करने पर उन्होंने बताया कि महिला लगभग एक साल से वनवासी का जीवन जी रही है. जंगल के बीच पहाड़ के ऊपर महिला को उस जगह पर प्रत्येक मौसम ठंडा गर्मी बरसात के बीच सांप बिच्छू जंगली जानवर जैसे के खतरे के बावजूद तंबू बना कर रह रही है. वह पत्थर का चूल्हा में खाना बना कर खाती है. गांव वाले जो मदद कर देते हैं उससे उसकी राशन की व्यवस्था हो जाती है फिर भी काफी कष्ट की जिंदगी जी रही है. ऐसे में गांव वाले चाहते हैं कि उसे सरकारी और अन्य मदद मिले ताकि उसका घर और मंदिर बन सके.
नहीं मिली अब तक कोई सरकारी योजना का लाभ
आज के आधुनिक युग में जब सरकार कई तरह की ग्रामीणों के लिए योजना लाई हुई है. ताकि लोग अच्छा जीवन जी सके. उसके बावजूद गुमला जैसे पिछड़े जिले में एक महिला को वनवास का जीवन जीना पड़ रहा है. ऐसे में उस महिला के लिए भोजन पानी वस्त्र स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए काफी संघर्षमय जीवन जीना पड़ रहा है. महिला को ग्रामीणों की तो मदद है, लेकिन उसे पीने का भी पानी लेने के लिए जंगल से निकलकर आसपास के गांव से पानी लाना पड़ता है. कहीं ना कहीं इसके पीछे महिला को पति द्वारा छोड़ देने और सामाजिक और अन्य प्रशासनिक सहायता नहीं मिल पाने के कारण वह भक्ति भाव में लीन होकर वनवासी जीवन जीने को मजबूर है.
रिपोर्ट सुशील कुमार सिंह,
4+