धनबाद(DHANBAD): झारखंड खनिज विकास प्राधिकार को लेकर पिछले कई वर्षों से लगातार चर्चाएं हो रही है. कभी इसे धनबाद नगर निगम में विलय की बात उठी तो कभी झरिया पुनर्वास विकास प्राधिकार में. अंततः सारी बातें खारिज हो गई और अब लगने लगा है कि झारखंड खनिज विकास प्राधिकार का अस्तित्व बना रहेगा. धनबाद के झारखंड खनिज विकास प्राधिकार का अस्तित्व स्वतंत्र एजेंसी के रूप में बना रहेगा. झारखंड पुनर्वास विकास प्राधिकार में विलय की संभावना खत्म हो गई है. झारखंड पुनर्वास विकास प्राधिकार को ही संवैधानिक दर्जा देने की तैयारी चल रही है. इसे सीईओ भी मिलेगा. सूत्रों के अनुसार झरिया पुनर्वास को लेकर अक्टूबर में रांची में हुई बैठक में विलय की योजना को खारिज कर दिया गया है. कोयला मंत्रालय की ओर से जारी बैठक के मिनट्स से इस आशय की जानकारी मिली है. मिनिट्स की कॉपी राज्य सरकार, कोल इंडिया एवं बीसीसीएल को भेजी गई है.
आर्थिक स्थिति है बेहद खराब
बता दें झारखंड खनिज विकास प्राधिकार पहले झरिया माइन्स बोर्ड और झरिया वाटर बोर्ड के नाम से चलता था. कोलियरी क्षेत्रों में सफाई की जिम्मेवारी झरिया माइन्स बोर्ड के अधीन थी तो जलापूर्ति का काम झरिया वाटर बोर्ड देखता था. इसके बाद दोनों संस्थानों को मिलाकर एक संस्थान बना दिया गया. पहले MD बनाए गए सीनियर आईएएस एस पाटणकर. उन्होंने कई योजनाएं बनाई, कई जमीन पर उतरी और बहुत कुछ बाकी रह गई. अभी फिलहाल झारखंड खनिज विकास प्राधिकार की आर्थिक स्थिति सही नहीं है. सरकार का भी इस पर कोई ध्यान नहीं है. कर्मचारियों का वेतन लंबित है, जो अवकाश ग्रहण कर लिए हैं उनके पावना का भुगतान नहीं हो रहा है. देखना है झारखंड खनिज विकास प्राधिकार धनबाद को लेकर आगे सरकार क्या राह पकड़ती है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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