धनबाद(DHANBAD) | झारखंड में कांग्रेस के खाते में अगर तीस सीटें तक आती है तो रोटेशन पर मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर के इस बयान के बाद बुधवार को हेमंत सोरेन पहली बार दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिले. कहा जाता है कि इस मुलाकात में झारखंड में सीट शेयरिंग पर बातचीत हुई. यह तो सर्व विदित है कि हाल ही में झारखंड में सीटों को लेकर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा में खटास पैदा हुआ था. इसके बाद हेमंत सोरेन का मिलना इसी खटास से जोड़ कर देखा जा रहा है. यह बात तो साफ कही गई कि इंडिया गठबंधन मजबूती के साथ झारखंड में चुनाव लड़ेगा.
हरियाणा से सबक लेगा इंडिया गठबंधन
हरियाणा चुनाव को भी निशाने पर लिया गया और कहा गया कि झारखंड में ऐसी ठोस व्यवस्था की जाए, जिससे कि हरियाणा का परिणाम झारखंड में भाजपा नहीं दुहरा सके. सूत्रों के अनुसार बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीट शेयरिंग, सीटों की अदला -बदली और अन्य गठबंधन के दलों को सीट देने के मुद्दे पर भी चर्चा की. कांग्रेस इस बार 33 सीटों की मांग कर रही है. इस पर बात हुई कि कौन किस सीट से लड़ेगा, इससे ज्यादा जरूरी है कि इंडिया गठबंधन अधिक से अधिक सीट जीते. इसके लिए एक-एक सीट पर चर्चा करनी होगी. इस पर सभी ने सहमति व्यक्त की कांग्रेस की ओर से कहा गया कि प्रदेश के नेता इस पर गहराई से चर्चा करेंगे. इसके बाद सीट तय होगी. इंडिया गठबंधन में इस बार कांग्रेस, राजद , झारखंड मुक्ति मोर्चा और माले होंगे.
माले को संतुष्ट करना इंडिया गठबंधन के लिए चुनौती होगी
माले को भी संतुष्ट करना इंडिया गठबंधन के लिए चुनौती होगी. एके राय की पार्टी का अभी हाल ही में माले में विलय हो गया है. माले के अभी एक विधायक बगोदर से विनोद कुमार सिंह है. जबकि एके राय की पार्टी मासस की सूची में सिंदरी और निरसा सीट भी है. हालांकि तमाम आशंकाओं के बीच उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द सीट शेयरिंग की तस्वीर साफ हो जाएगी. इतना तो तय है कि हरियाणा चुनाव परिणाम के बाद एनडीए गठबंधन, झारखंड में आक्रामक चुनाव लड़ेगा, झारखंड इस बार एनडीए के लिए प्राथमिक सूची में है. तो इंडिया ब्लॉक भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. वह भी चाहेगा कि फिर से झारखंड में उसकी सरकार बने. झारखंड के कांग्रेस प्रभारी गुलाम मोहम्मद मीर कश्मीर में चुनाव जीत गए हैं और अब वह झारखंड में सक्रिय होंगे. इस बीच हेमंत सोरेन का कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व से मुलाकात करना यह बताता है कि बात बिगड़ने से पहले संभाल ली जाएगी. अब देखना है कि आगे- आगे होता है क्या??
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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