धनबाद(DHANBAD): झारखंड में यह सवाल बड़ा हो चला है कि क्या झारखंड चुनाव के सह प्रभारी असम के मुख्यमंत्री का डायरेक्ट दिल्ली कनेक्शन प्रदेश भाजपा पर भारी पड़ रहा है. यह सवाल कई कारणों से उठाए जा रहे है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को भाजपा में शामिल कराने का मामला हो अथवा ओड़िसा के राज्यपाल रघुवर दास से मिलने की बात हो. या फिर चुनाव की रणनीति पर बोलने की बात हो. सब काम असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व सरमा आगे -आगे कर रहे है. उन्होंने यह भी कह दिया है कि विधानसभा चुनाव में आजसू और भाजपा साथ मिलकर लड़ेंगे. सीट शेयरिंग का मुद्दा 99% फाइनल हो चुका है. एक- दो सीटों को लेकर चर्चा चल रही है, जल्दी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. पितृ पक्ष के बाद एनडीए में सीट शेयरिंग की घोषणा कर दी जाएगी.
चार अक्टूबर को भाजपा जारी करेगी घोषणा पत्र
उन्होंने यह भी कहा कि तीन और चार अक्टूबर को भाजपा की ओर से पहले चरण का घोषणा पत्र जारी कर दिया जाएगा. अभी यह बात साफ नहीं हुई है कि जदयू के साथ सीट शेयरिंग की बात किस स्तर पर है. इधर, चिराग पासवान आज रांची होते हुए धनबाद पहुंचे. उन्होंने जो संकेत दिए, उससे साफ तौर पर दबाव की राजनीति सामने आ रही है. चिराग पासवान ने रांची में कहा कि उनकी पार्टी झारखंड में अलग चुनाव भी लड़ने पर विचार कर रही है. गठबंधन के लिए भी भी नेताओं से बात होगी. उन्होंने कहा, "हमारी राज्य इकाई इस विषय पर चर्चा कर रही है. हम तमाम तरीके के विकल्प लेकर आगे बढ़ रहे है. जहां एक तरफ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की सोच है, तो वहीं अकेले चुनाव लड़ने पर भी पार्टी विचार कर रही है.
चिराग पासवान इमोशनल टच देने से भी नहीं चूके
उन्होंने इमोशनल टच भी दिया. कहा कि मेरा जब जन्म हुआ था तब बिहार-झारखंड एक ही राज्य थे तो यह मेरी जन्मभूमि भी और मेरे पिता की कर्मभूमि भी रही है. पार्टी यहां चुनाव लड़ेगी, यह फैसला किया गया है. अब गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगे या अकेले इस पर चर्चा जारी है. वैसे धनबाद में भी आज सभा की वजह के पीछे कारण यह बताया जाता है कि लोजपा (रामविलास) धनबाद सीट पर चुनाव लड़ने का मन बनाकर दावा ठोक सकती है. यह अलग बात है कि धनबाद भाजपा का पारंपरिक सीट है और इस सीट को किसी भी हालत में भाजपा नहीं छोड़ सकती है. जनसंघ के जमाने से धनबाद में भाजपा की जड़े गहरी है. ऐसे में धनबाद के बहाने क्या चिराग पासवान झारखंड में अन्य सीटों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, यह अपने आप में सवाल है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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